‘जैसे ही हम कंटेनर से बाहर निकले…’, उत्तराखंड में हिमस्खलन से बचाए गए मजदूरों ने सुनाई आपबीती

उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा गांव में एक हिमस्खलन ने 55 मजदूरों के कैंप को तबाह कर दिया। कई मजदूरों ने बर्फ के सैलाब से बचने की अपनी कहानी सुनाई।

Mar 1, 2025 - 23:37
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‘जैसे ही हम कंटेनर से बाहर निकले…’, उत्तराखंड में हिमस्खलन से बचाए गए मजदूरों ने सुनाई आपबीती
‘जैसे ही हम कंटेनर से बाहर निकले…’, उत्तराखंड में हिमस्खलन से बचाए गए मजदूरों ने सुनाई आपबीती

‘जैसे ही हम कंटेनर से बाहर निकले…’, उत्तराखंड में हिमस्खलन से बचाए गए मजदूरों ने सुनाई आपबीती

टैगलाइन: Netaa Nagari

लेखक: साक्षी वर्मा, टीम netaanagari

परिचय

उत्तराखंड के गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में हाल ही में हुए एक हिमस्खलन ने कई लोगों की जान को खतरे में डाल दिया। इस घटना में एक समूह के 28 मजदूरों को सुरक्षा के लिए तत्काल बचाया गया। बचाए गए मजदूरों ने अपनी अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने अपनी जान बचाई।

हिमस्खलन का मंजर

गुरुवार की सुबह, जब मजदूर अपने काम में व्यस्त थे, तभी अचानक पहाड़ से बर्फ गिरने लगी। कुछ ही पल में चारों ओर बर्फ की चादर बिछ गई। मजदूरों ने बताया कि जैसे ही उन्होंने बर्फ की आवाज़ सुनी, वे समझ गए कि बड़ा संकट आ गया है। बचने के लिए उन्हें तुरंत अपने कैंप से बाहर निकलना पड़ा। एक मजदूर ने कहा, “जैसे ही हम कंटेनर से बाहर निकले, हमें लगा कि यह हमारी आखिरी यात्रा है।” उनके चेहरे पर दर्द और आशंका थी, लेकिन वे भाग्यशाली रहे कि समय रहते बचा लिए गए।

बचाव कार्य की तेजी

स्थानीय प्रशासन और बचाव टीम ने तुरंत ही घटनास्थल पर पहुंचकर राहत कार्य शुरू किया। नौसेना और एनडीआरएफ की टीमों ने मिलकर मजदूरों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने की प्रक्रिया तेज़ी से की। प्रशासनिक अधिकारीयों का कहना है कि सभी मजदूर सुरक्षित हैं और उनके स्वास्थ्य में कोई समस्या नहीं आई है। लेकिन, इन मजदूरों की कहानी उनकी हिम्मत और साहस की मिसाल है।

सुरक्षा उपायों की आवश्यकता

इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि पहाड़ी क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों की सुरक्षा को लेकर और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। कई मजदूरों ने यह साझा किया कि पहाड़ी क्षेत्रों में काम करते समय सुरक्षा उपायों की कमी महसूस होती है। इस संबंध में सरकार को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

निष्कर्ष

उत्तराखंड में हुए इस हिमस्खलन ने सभी को चौका दिया। मजदूरों की हिम्मत और उनके जीवित बचने के अनुभव हमें इस बात का एहसास कराते हैं कि सुरक्षा ही सबसे महत्त्वपूर्ण है। इस घटना से जुड़े सवालों का समाधान ढूंढना जरूरी है। हमें उम्मीद है कि प्रशासन महासभाओं में चर्चा और योजनाओं के माध्यम से सुरक्षा को और बढ़ाएगा।

हमेशा सुरक्षित रहें और अपनी जान को जोखिम में न डालें। अधिक जानकारी के लिए, visit netaanagari.com.

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