'कट्टर मूर्खों की परवाह मत कीजिए', चैंपियन ट्रॉफी में 'रोजा विवाद' पर भड़के जावेद अख्तर, शमी को दी सलाह
मोहम्मद शमी के रोजा न रख पाने को लेकर शुरू हुए विवाद के बीच जावेद अख्तर भी भड़क गए हैं। जावेद अख्तर ने कट्टरपंथियों को फटकार लगाते हुए शमी का बचाव किया है और फाइनल की शुभकामनाएं दी हैं।

कट्टर मूर्खों की परवाह मत कीजिए', चैंपियन ट्रॉफी में 'रोजा विवाद' पर भड़के जावेद अख्तर, शमी को दी सलाह
Netaa Nagari - हाल ही में चैंपियन ट्रॉफी में 'रोजा विवाद' ने एक बार फिर से धूम मचाई है। इस विवाद पर मशहूर लेखक और साहित्यकार जावेद अख्तर ने अपनी राय दी है। उन्होंने भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी को इस मामले में सलाह दी, जो न केवल महत्वपूर्ण है बल्कि सभी के लिए विचारणीय भी।
रोजा विवाद क्या है?
चैंपियन ट्रॉफी के दौरान, कुछ कट्टरपंथी विचारधारा के लोगों ने शमी को ट्रोल करना शुरू किया जब उन्होंने रमज़ान के महीने में अपने रोजे रखने का विषय उठाया। इस पर जावेद अख्तर ने कहा है कि "कट्टर मूर्खों की परवाह मत कीजिए", जो उनके तर्क को और भी स्पष्ट करता है। वे यह संदेश देना चाहते थे कि किसी को भी अपने व्यक्तिगत विश्वास या धर्म के कारण आक्रमण करने का हक नहीं है।
जावेद अख्तर की सलाह
जावेद अख्तर ने कहा कि मोहम्मद शमी को इस तरह के विवादों से घबराने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा, "आपका धर्म आपका व्यक्तिगत मामला है, और किसी भी सार्वजनिक व्यक्ति को इसे लेकर मायूसी अनुभव नहीं करनी चाहिए।" उनकी यह सलाह न केवल शमी बल्कि सभी खिलाड़ियों के लिए एक प्रेरक गर्भ है।
क्या कहना है उनके समर्थकों का?
जावेद अख्तर की इस बात ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है। उनके समर्थकों का मानना है कि इस तरह के विचार रखने से एक सकारात्मक सामाजिक वातावरण बनेगा। इसके अलावा, कई युवा खिलाड़ी भी अख्तर के शब्दों से प्रेरित हो रहे हैं।
संक्षेप में
इस विवाद ने केवल क्रिकेट की दुनिया में ही नहीं, बल्कि समाज में भी एक महत्वपूर्ण चर्चा की शुरुआत की है। देश में धर्म के नाम पर कट्टरता के खिलाफ जावेद अख्तर की आवाज़ का उठाना एक सराहनीय कदम है।
आखिर में, हमें एक सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम सभी एक-दूसरे का सम्मान करें, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या विचारधारा का हो।
जावेद अख्तर की टिप्पणियां न केवल खेल के क्षेत्र में बल्कि समाज में भी एक बदलाव की उम्मीद जगाती हैं। इसलिए, सभी को अपनी आवाज़ उठानी चाहिए और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए।
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