सिख विरोधी दंगा- सज्जन कुमार को आज सजा सुनाई जाएगी:41 साल पुराने केस में दोषी, दिल्ली में सिख बाप-बेटे की हत्या हुई थी
सिख विरोधी दंगा के एक और केस में कांग्रेस से पूर्व सांसद सज्जन कुमार को आज (मंगलवार को) सजा सुनाई जाएगी। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने बुधवार को सज्जन कुमार को दोषी करार दिया था। 41 साल पुराने यह केस 1984 सिख विरोधी दंगों के दौरान सरस्वती विहार में 2 सिखों की हत्या से जुड़ा है। दिल्ली दंगों में सज्जन के खिलाफ 3 से ज्यादा केस चल रहे हैं। एक में वे बरी हो चुके हैं। इससे पहले दिसंबर 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच ने उन्हें हिंसा कराने और दंगा भड़काने का दोषी पाया था और उम्रकैद की सजा सुनाई थी। फिलहाल सज्जन तिहाड़ जेल में सजा काट रहे हैं। सज्जन कुमार के खिलाफ दंगा, हत्या और डकैती के आरोप में IPC की धारा 147, 149, 148, 302, 308, 323, 395, 397, 427, 436, 440 के तहत केस दर्ज किया गया था। 1984 में हत्या, 2021 में आरोप तय, 2025 में फैसला... सरस्वती विहार की कहानी 1 नवंबर 1984: सरस्वती विहार में जसवंत सिंह और तरुणदीप सिंह की हत्या की गई थी। पंजाबी बाग पुलिस स्टेशन में सज्जन कुमार के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। 16 दिसंबर 2021: पुलिस जांच को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने सज्जन के खिलाफ आरोप तय किए थे। इस दौरान पीड़ित के वकील ने दलील दी थी, "वकील ने कहा था, "बड़ी भीड़ खतरनाक हथियार लेकर सरस्वती विहार में घुसी। उन्होंने लूटपाट, आगजनी और तोड़फोड़ शुरू कर दी। वे सिखों की प्रॉपर्टीज पर हमला कर रहे थे। वे इंदिरा गांधी की हत्या का बदला ले रहे थे। भीड़ ने जसवंत के घर हमला किया, उसकी और बेटे की हत्या कर दी। लूटपाट के बाद घर में आग लगा दी। 12 फरवरी 2025: स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने फैसला सुनाया- इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि सज्जन कुमार न केवल भीड़ में शामिल थे, बल्कि भीड़ की अगुआई भी कर रहे थे। पहले तीन बार टल चुका है फैसला 31 जनवरी 2025 को हुई सुनवाई में राउज एवेन्यू कोर्ट ने सज्जन कुमार पर फैसला टाल दिया था। इससे पहले 8 जनवरी और 16 दिसंबर 2024 को भी फैसला टाला गया था। दोनों बार विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा की कोर्ट में तिहाड़ में बंद सज्जन कुमार वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश हुआ था। दिसंबर 2021 को सज्जन कुमार ने इस मामले में खुद को निर्दोष बताते हुए ट्रायल का सामना करने की बात कही थी। ट्रायल में सज्जन कुमार को दोषी माना गया था। इसके बाद उनके खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था। सुल्तानपुरी दंगा केस में बरी, लेकिन 5 सिखों की हत्या मामले में दोषी 1984 सिख विरोधी दंगा: कब-क्या हुआ... ................................... सिख विरोधी दंगे से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें... तापसी के पिता को मारने दंगाई घर तक पहुंचे थे, घर के बाहर खड़ी कार को फूंक दिया था तापसी पन्नू ने एक इंटरव्यू में 1984 में सिख विरोधी दंगों के दौरान अपनी फैमिली के बुरे अनुभव को लेकर बात की थी। उन्होंने कहा कि जब ये दंगा हुआ था तो वो पैदा भी नहीं हुई थीं। उनकी मां बताती हैं कि उनके घर को दंगाइयों ने चारों तरफ से घेर लिया था। दंगाई उनके घर के सामने तलवारें, पेट्रोल बम लेकर आए थे। पूरी खबर पढ़ें...

सिख विरोधी दंगा- सज्जन कुमार को आज सजा सुनाई जाएगी: 41 साल पुराने केस में दोषी, दिल्ली में सिख बाप-बेटे की हत्या हुई थी
Netaa Nagari
लेखक: साक्षी शर्मा, टीम नेता nagari
परिचय
दिल्ली में सिख विरोधी दंगे के 41 साल पुराने मामले में सज्जन कुमार को दोषी ठहराया गया है। इस मामले में आज उनकी सजा सुनाई जाएगी। 1984 में हुए इस दंगे ने न केवल सिख समुदाय को प्रभावित किया था, बल्कि यह पूरे देश में हिंसा और अस्थिरता का कारण बना। जिस समय इस दंगे ने देश को झटका दिया था, तब एक पिता और उसके बेटे की हत्या भी हो गई थी। इस लेख में हम इस केस के इतिहास, अदालत के फैसले, और इसके सामाजिक व राजनीतिक प्रभाव पर चर्चा करेंगे।
1984 के दंगे का पृष्ठभूमि
1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देशभर में सिख विरोधी दंगों का अहसास हुआ। दिल्ली में सिख बाप-बेटे पर जो हमला हुआ, वह इस हिंसा का एक त्रासदीपूर्ण उदाहरण था। सिख समुदाय को बहुसंख्यक भीड़ के क्रोध का सामना करना पड़ा और सैकड़ों निर्दोष सिखों की जानें गईं।
सेवानिवृत्त न्यायाधीश का फैसला
नवीनतम अदालती फैसले में, विशेष अदालत ने सज्जन कुमार को इस मामले में दोषी ठहराया है। सज्जन कुमार, जो कि दिल्ली के कांग्रेसी नेता रहे हैं, पर आरोप था कि उन्होंने दंगे भड़काने में सक्रिय भूमिका निभाई थी। अदालत की इस कार्रवाई से यह स्पष्ट होता है कि न्याय अब भी अपनी जड़ें कायम रखने में सफल हो रहा है।
सजा का महत्व
आज सज्जन कुमार को सजा सुनाई जाएगी, जो राजनीतिक और सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह सजा न केवल पीड़ित परिवारों के लिए न्याय की स्थापना का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाती है कि भारतीय न्याय व्यवस्था अब भी सक्रिय है और न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखती है।
समाज में प्रतिक्रियाएं
इस फैसले के बाद विभिन्न सामाजिक व राजनीतिक संगठनों की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। सिख समुदाय में ख़ुशी का माहौल देखा जा रहा है, जबकि अन्य वर्गों में चिंता भी हो रही है कि क्या इस प्रकार के फैसले से राजनीतिक स्थिरता को खतरा होगा।
निष्कर्ष
सज्जन कुमार का मामला यह दर्शाता है कि कानून और न्यायपालिका कितनी सशक्त हो सकती है, जिससे कि समाज में न्याय का एहसास होता है। आशा है कि आज सजा सुनाए जाने से पीड़ित परिवार को कुछ राहत मिलेगी और यह एक सकारात्मक संदेश के रूप में उभरेगा कि 1984 जैसे दंगों को न्याय की धाराओं में लाया जा सकता है।
न्याय की इस प्रक्रिया में अगर आप और अधिक अपडेट्स चाहते हैं, तो कृपया netaanagari.com पर जाएँ।
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