विवादों में जामिया के कुलपति की नियुक्ति, दिल्ली HC ने केंद्र और विश्वविद्यालय को भेजा नोटिस
Jamia Millia Islamia University News: दिल्ली का जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय एक बार फिर सुर्खियों में है. कुलपति के रूप में प्रोफेसर मजहर आसिफ की नियुक्ति को चुनौती दी गई थी. दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी किया है. वकील विशाल कुमार राय ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. जस्टिस प्रतीक जलान की अदालत ने केंद्र सरकार, जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय और अन्य को नोटिस जारी किया है. हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार, विजिटर, प्रोफेसर मजहर आसिफ, सर्च-कम-सेलेक्शन कमेटी और जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय से जवाब मांगा है. विशाल कुमार राय की याचिका में कुलपति की नियुक्ति को गैरकानूनी बताया गया है. याचिका में कहा गया है कि नियुक्ति जामिया मिल्लिया इस्लामिया अधिनियम, 1988 के स्टैच्यूट 2 और यूजीसी विनियम, 2018 की धारा 7.3 के प्रावधानों का उल्लंघन है. केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा और जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय की ओर से वकील मोनिका अरोड़ा ने याचिका की वैधता पर विरोध जताया. जामिया कुलपति की नियुक्ति पर विवाद वकीलों ने याचिकाकर्ता विशाल राय की याचिका के दायरे पर भी सवाल खड़ा किया. उन्होंने दलील दी कि याचिका में उठाए गए अधिकांश सवालों का जवाब एम. एहतिशाम उल हक बनाम भारत संघ के मामले में डिवीजन बेंच दे चुकी है. मामला जामिया के पूर्व कुलपति की नियुक्ति से संबंधित था. दिल्ली हाई कोर्ट ने जारी किया नोटिस दूसरी ओर याचिकाकर्ता विशाल राय की ओर से पेश हुए वकील डॉ. अमित जॉर्ज ने कहा कि न्यायिक फैसलों में स्पष्ट है कि क्वो वारंटो के लिए कोई भी नागरिक याचिका दाखिल कर सकता है. इसके लिए कड़े लोकस के नियम लागू नहीं होते. दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए अगली सुनवाई के लिए 16 जुलाई की तारीख तय की है. ये भी पढ़ें- दिल्ली में होली से पहले अवैध शराब कारोबार के खिलाफ अभियान, नाबालिग समेत पांच तस्कर गिरफ्तार

विवादों में जामिया के कुलपति की नियुक्ति, दिल्ली HC ने केंद्र और विश्वविद्यालय को भेजा नोटिस
नेता नगरी - जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन को नोटिस जारी किया है। इस मुद्दे ने शिक्षकों और छात्रों के बीच चिंताओं को जन्म दिया है, जो इस उतार-चढ़ाव की स्थिति में अपने शिक्षा के भविष्य को लेकर चिंतित हैं।
कुलपति की नियुक्ति पर विवाद का कारण
जामिया के नए कुलपति की नियुक्ति पर उठे विवाद के पीछे एक लंबी कहानी है। विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों और शिक्षकों ने आरोप लगाया है कि नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी रही है और इसने एक संदेह को जन्म दिया है। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि यह राजनीतिक नियुक्ति का परिणाम हो सकता है, जबकि कुछ ने इसे विश्वविद्यालय के अकादमिक स्वतंत्रता के लिए खतरा बताया है।
दिल्ली हाई कोर्ट का हस्तक्षेप
दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में महत्वपूर्ण सुनवाई करते हुए केंद्रीय सरकार और जामिया प्रशासन को नोटिस भेजा है। न्यायालय ने विशेष रूप से यह संकेत दिया है कि अगर नियुक्ति प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की अनियमितता है, तो उसे तत्काल सुधारने की आवश्यकता होगी। कोर्ट ने इस मुद्दे की जांच के लिए अगली सुनवाई की तारीख तय की है।
छात्रों और शिक्षकों की प्रतिक्रिया
इस आदेश के बाद जामिया के छात्रों और शिक्षकों में उत्साह का माहौल है। कई छात्रों ने इसे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए एक सकारात्मक कदम बताया है। उन्होंने यह भी कहा है कि विश्वविद्यालय की दिशा को प्रभावित करने वाली किसी भी राजनीतिक नियुक्ति का वे विरोध करते रहेंगे।
सरकारी प्रतिक्रिया
केंद्र सरकार ने अभी इस मुद्दे पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, सरकार मामले में त्वरित हल निकालने की कोशिश कर रही है। सरकार का दावा है कि नियुक्ति प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी रखा गया है, और यह भूल-चूक का नहीं बल्कि एक उचित प्रक्रिया का परिणाम है।
निष्कर्ष
जामिया के कुलपति की नियुक्ति के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट का हस्तक्षेप यह दर्शाता है कि न्यायपालिका उच्च शिक्षा के क्षेत्र में राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर कितनी गंभीर है। इस मामले से न केवल जामिया बल्कि अन्य शैक्षणिक संस्थानों में भी समान मुद्दों की ओर ध्यान दिया जा रहा है। देखा जाए तो, शैक्षणिक स्वतंत्रता और उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए यह एक सकारात्मक संकेत है।
संक्षेप में कहें तो, जामिया के कुलपति की नियुक्ति विवाद में दिल्ली HC की कार्रवाई एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो विश्वविद्यालय के भविष्य के लिए एक सकारात्मक बदलाव लाने की उम्मीदें जगा रही है।
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