राहुल गांधी बोलते रह गए लेकिन खरगे ने कर दिखाया
कांग्रेस को मजबूत करने के अभियान में जुटे राहुल गांधी के लिए इस वर्ष बिहार में होने वाला विधानसभा चुनाव काफी महत्वपूर्ण हो गया है। पिछले कुछ महीनों से वह लगातार कांग्रेसी कार्यकर्ताओं और नेताओं को आईना दिखाने का काम कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के अंदर मौजूद बीजेपी के एजेंट्स को पार्टी से बाहर निकालने का राग अलाप रहे हैं तो इसके साथ ही जनाधारविहीन नेताओं को किनारे लगाने की बात भी कह रहे हैं। राहुल गांधी का खासा जोर पार्टी में स्थानीय नेतृत्व को मजबूत करना है और इसके लिए वह लगातार जिलाध्यक्ष के पद को ताकतवर बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। लेकिन जिलाध्यक्ष वाले प्रयोग को लेकर लेखक ने जिस तरह की आशंका पहले जताई थी,वो अब सच साबित होती दिखाई दे रही है।दरअसल, राहुल गांधी के सार्वजनिक तौर पर और बंद कमरों में भी बैठक के दौरान बार-बार और लगातार इस तरह की बात कहने के बावजूद कड़वी सच्चाई तो यही है कि अभी तक किसी भी बड़े नेता के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया जा सका है। राहुल गांधी द्वारा पिछले कुछ वर्षों के दौरान शुरू किए गए अभियानों की असफलता का जिक्र करते हुए अब कांग्रेसी नेता दबी जुबान में इस बार भी राहुल गांधी के विफल होने की भविष्यवाणी कर रहे हैं। वर्ष 2022 में राजस्थान के उदयपुर में आयोजित तीन दिवसीय चिंतन शिविर जिसे 'नवसंकल्प शिविर' का नाम दिया था जैसे कई शिविरों और महत्वपूर्ण बैठकों में लिए गए संकल्पों की याद दिलाते हुए अब यह भी कहा जाने लगा है कि राहुल गांधी अपनी शानदार से शानदार योजना को भी जमीन पर नहीं उतार पाते। इसे भी पढ़ें: मुर्शिदाबाद हिंसा कांड पर कुछ अनुत्तरित सवाललेकिन ऐसा लग रहा है कि जो राहुल गांधी कर नहीं पा रहे हैं, उसकी शुरुआत 82 वर्ष की आयु पूरी कर चुके मल्लिकार्जुन खरगे ने कर दी है। बिहार की धरती पर जाकर कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 20 अप्रैल को एक रैली को संबोधित किया। खरगे ने बिहार के बक्सर के दल सागर में रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मोदी सरकार और राज्य की नीतीश कुमार-बीजेपी गठबंधन सरकार पर जमकर निशाना साधा। खरगे ने बहुत ही आक्रामक अंदाज में एक सधे हुए नेता के तौर पर भाषण देते हुए लोगों को कांग्रेस से जोड़ने की कोशिश की। लेकिन खरगे के इस उत्साह और प्रयास पर कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने ही पानी फेर दिया। सभा में न केवल भीड़ कम थी बल्कि रैली के हिसाब से समुचित इंतजाम तक नहीं किए गए थे। बीजेपी और जेडीयू नेताओं ने भी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे की रैली में आई भीड़ को लेकर जमकर कटाक्ष किया।वहीं नाराज खरगे ने अपनी रैली में उचित इंतजाम नहीं होने और वहां आई कम भीड़ को देखते हुए हुए बिहार प्रदेश कांग्रेस को जिला नेतृत्व के खिलाफ तुरंत एक्शन लेने का फरमान सुना दिया। खरगे के निर्देश पर पार्टी नेतृत्व ने बक्सर के जिला अध्यक्ष मनोज कुमार पांडे को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। बिहार प्रदेश कांग्रेस द्वारा बक्सर जिला अध्यक्ष के निलंबन को लेकर जारी पत्र में कहा गया है, 20 अप्रैल 2025 को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का दल सागर खेल मैदान में बक्सर में कार्यक्रम संपन्न हुआ। प्रथम दृश्य सभा की तैयारी की घोर कमी और आसपास में समन्यव का घोर अभाव पाया गया है। जिला कांग्रेस कमेटी ने अपने उत्तरदायित्व का निर्वाहन ठीक से नहीं किया। इसलिए जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से तत्काल मनोज कुमार पांडे को निलंबित किया जाता है। खरगे ने जिलाध्यक्ष के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए कांग्रेसी कार्यकर्ताओं और खासकर नेताओं को एक बड़ा राजनीतिक संदेश दे दिया है। खरगे का संदेश बिल्कुल साफ है कि वे राहुल गांधी नहीं है और एक्शन लेने में कतई देरी नहीं करेंगे। - संतोष कुमार पाठकलेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं।

राहुल गांधी बोलते रह गए लेकिन खरगे ने कर दिखाया
लेखक: सुषमा शर्मा, टीम नेता नागरी
भारतीय राजनीति में विपक्ष की भूमिका अक्सर महत्वपूर्ण होती है। हाल ही में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उन मुद्दों पर आवाज उठाई है, जिन पर पिछले कुछ समय से राहुल गांधी बोलते आ रहे थे। इस लेख में हम चर्चा करेंगे कि कैसे खरगे ने अपनी आवाज से न केवल कांग्रेस पार्टी को मजबूती दी, बल्कि अपने नेतृत्त्व में वे नई दिशा भी प्रदान कर रहे हैं।
राहुल गांधी की चुप्पी और खरगे की सक्रियता
राहुल गांधी, जो कि पार्टी के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं, ने कई मुद्दों पर अपनी राय रखी है, लेकिन हाल ही में उनकी आवाज काफी कम सुनाई दी है। दूसरी ओर, खरगे ने जिस तरह से मुद्दों को उठाया है, वह भारतीय राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ सिद्ध हो सकता है। उन्होंने संसद में अद्यतन समाजिक और आर्थिक मुद्दों पर जोर देकर यह दर्शाया है कि वे केवल एक नेता नहीं, बल्कि एक वास्तविक जनसेवक हैं।
खरगे की नई रणनीतियाँ
खरगे ने अपने नेतृत्त्व में कुछ नई रणनीतियों को अपनाया है, जिनसे पार्टी की स्थिति में सुधार हुआ है। उन्होंने पार्टी के अंदर एकजुटता को बढ़ावा देने का प्रयास किया है और कार्यकर्ताओं को मुख्य मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने को कहा है। इसके अलावा, उन्होंने चुनावी रणनीतियों में भी सुधार किया है, जिससे पार्टी को आगामी चुनावों में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है।
आगामी चुनौतियाँ
हालांकि, चारों ओर से उठ रही चुनौतियाँ भी हैं। बेरोजगारी, महंगाई और सामाजिक असमानता जैसे मुद्दे कई भारतीय नागरिकों के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं। खरगे का इन चुनौतियों का सामना कैसे करेंगे, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। वे इस दिशा में अपनी मेहनत और योजना का परिचय दे रहे हैं, लेकिन क्या वे इस चुनौतियों को सरलता से पार कर पाएंगे? यह आने वाला समय ही बताएगा।
निष्कर्ष
कांग्रेस में मल्लिकार्जुन खरगे की भूमिका दिन-प्रतिदिन महत्वपूर्ण होती जा रही है। जहां राहुल गांधी प्रमुखता से बोलते रह गए, वहीं खरगे ने सुधारी हुई रणनीतियों के जरिए पार्टी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का प्रयास किया है। इस कठिन समय में उनका नेतृत्त्व आवश्यक है, और यह देखने की बात होगी कि वे कैसे नई चुनौतियों का सामना करते हैं।
इस प्रकार, यदि कांग्रेस को अपने लक्ष्यों को हासिल करना है, तो उन्हें खरगे जैसे साहसी नेताओं की आवश्यकता है। उनकी सक्रियता और रणनीतियाँ निश्चित रूप से पार्टी को नई ऊर्जा देंगी।
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