यूपी में नौकरी छोड़ वीआरएस ले रहे बिजली विभाग के अभियंता? सामने आई ये बड़ी वजह
UP Electricity Privatization: यूपी में बिजली के निजीकरण की तैयारियों के बीच बिजली विभाग के कर्मचारियों में आक्रोश देखने को मिल रहा हैं. वहीं दूसरी तरफ कई मुख्य और अधीक्षण अभियंताओं ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की इच्छा जताई है, इनमें से अधिकारी वीआरएस ले भी चुके है. इसकी एक वजह ये पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन के द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न को बताया जा रहा है. इसी कड़ी में शुक्रवार को पांच और मुख्य अभियंताओं और एक अधीक्षण अभियंता ने वीआरएस ले लिया है. जबकि कई अधिकारियों ने वीआरएस के लिए आवेदन दे रखा है. खबरों के मुताबिक पिछले एक साल में 20 से ज्यादा मुख्य व अधीक्षण अभियंताओं ने पावर कॉर्पोरेशन पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए वीआरएस ले लिया है और कई अभियंता इस कतार में शामिल हैं. वहीं दूसरी तरफ बिजली कंपनियों के बढ़ते घाटे को देखते हुए पॉवर कॉर्पोरेशन के द्वारा शुरुआत में दो डिस्कॉम पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण करने की तैयारी हो रही है. पॉवर कॉर्पोरेशन प्रबंधन पर उत्पीड़न का आरोपबिजली कंपनियों का घाटा करीब एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. राज्य सरकार भी कंपनियों की मदद करने को तैयार नहीं है. जिससे आने वाले समय में बिजली कंपनियों का निजीकरण तय है. अगर इन दो निगमों का निजीकरण होता है तो राज्य के 42 जिलों की बिजली आपूर्ति निजी हाथों में आ जाएगी. वहीं पॉवर कॉर्पोरेशन घाटे से उबरने की तमाम कोशिशों में जुटा है. इसके लिए सबसे पहले बिजली चोरी पर कड़ाई से अंकुश लगाने पर जोर दिया जा रहा है. विभाग की तमाम बैठकों में खराब प्रदर्शन करने वाले अभियंताओं से जवाब तलब किया जा रहा है और उन पर कार्रवाई हो रही है. वहीं अभियंताओं का कहना है कि बैठक में उनका पक्ष सुनने की बजाय प्रबंधन का रवैया उत्पीड़नात्मक रहता है. ऐसे में कई अभियंता अब नौकरी करने की बजाय वीआरएस लेने लगे है. उत्तर प्रदेश विद्युत उपभोक्ता परिषद के मुताबिक पिछले एक साल में सात मुख्य अभियंता और 13 अधीक्षण अभियंता वीआरएस ले चुके हैं. जबकि कई और अधिकारियों ने वीआरएस के लिए आवेदन दे रखा है. यूपी में 2016 बैच के नायब तहसीलदारों की हो सकेगी पदोन्नति, हाईकोर्ट ने हटाई रोक

यूपी में नौकरी छोड़ वीआरएस ले रहे बिजली विभाग के अभियंता? सामने आई ये बड़ी वजह
Netaa Nagari - उत्तर प्रदेश बिजली विभाग में इन दिनों एक नई चर्चा का विषय बना हुआ है। कई अभियंता बड़ी संख्या में नौकरी छोड़कर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) का लाभ ले रहे हैं। इस फैसले के पीछे की वजहें जानने के लिए सभी की नज़रें इस घटनाक्रम पर टिकी हुई हैं।
वीआरएस का बढ़ता चलन
हाल ही में विभिन्न रिपोर्टों से पता चला है कि उत्तर प्रदेश बिजली विभाग में वीआरएस लेने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। इस प्रवृत्ति को समझने के लिए कुछ मुख्य कारणों का विश्लेषण किया गया है, जो इस फैसले के पीछे छिपे हैं। ये वजहें न सिर्फ व्यक्तिगत हैं, बल्कि विभाग के समग्र मुद्दों से भी जुड़ी हुई हैं।
सामाजिक और मानसिक दबाव
ज्यादातर अभियंता अपनी नौकरी के दौरान बढ़ते सामाजिक और मानसिक दबाव का सामना कर रहे हैं। विभाग में कार्य स्थिति और जनसंख्या के बढ़ते बोझ के कारण काम का तनाव बहुत अधिक हो गया है। ऐसे में अभियंता अपने मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए इस विकल्प का सहारा ले रहे हैं।
अवसर की तलाश
दूसरा महत्वपूर्ण कारण है, काफी अभियंता नए अवसरों की तलाश में हैं। वर्तमान में, सरकार कई नए क्षेत्रों में नौकरियों का सृजन कर रही है और कई अभियंता अपने अनुभव को यहां इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित महसूस कर रहे हैं। इससे उन्हें बेहतर करियर और आर्थिक लाभ की उम्मीद है।
विभागीय समस्याएँ
बिजली विभाग में कई समस्याएँ जैसे कि लंबे समय तक पदों के खाली रहना, उपकरणों की कमी और अनियमितता ने भी अभियंताओं का मनोबल गिरा दिया है। इन समस्याओं के चलते कई अभियंता अपने भविष्य को अनिश्चित समझते हुए वीआरएस लेने का निर्णय ले रहे हैं।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया
अभी तक सरकार या विभाग की ओर से इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इससे अभियंता और भी निराश होते जा रहे हैं। उन्हें लगता है कि यदि उनकी मांगों की अनदेखी की गई तो और अधिक लोग वीआरएस का रास्ता अपनाएंगे।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश बिजली विभाग के अभियंताओं का वीआरएस लेना एक गंभीर विषय है, जो न केवल व्यवसायिक बल्कि सामाजिक चिंताओं को भी दर्शाता है। अगर जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं निकाला गया, तो यह विभाग की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकता है। सभी की नज़रें अब विभाग और सरकार की ओर हैं कि वो इस मुद्दे को कैसे हैंडल करती हैं।
हमारी यह रिपोर्ट आपको इन घटनाक्रमों के बारे में जानकारी प्रदान करती है। अधिक अपडेट के लिए, कृपया netaanagari.com पर जाएं।
रिपोर्ट लेखन: रिया शर्मा और प्रियंका बासु, टीम Netaa Nagari
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