'मोदी मंत्र' से दिल्ली के अभेद्य दुर्ग को आखिरकार जीत ही गयी 'भाजपा'

दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के परिणाम 8 फरवरी यानी कि शनिवार को आ चुके हैं, जिसमें भाजपा ने 27 वर्ष के बाद स्पष्ट बहुमत हासिल किया है। चुनावी रणभूमि में भाजपा को 48 और आम आदमी पार्टी को 22 सीटें मिली हैं, वहीं कांग्रेस लगातार तीसरी बार बिना कोई सीट हासिल किये शुन्य की हैट्रिक लगाने में सफल रही है। भाजपा गठबंधन को आम आदमी पार्टी से 3.6 फीसदी ज्यादा मत मिले हैं, जिसके चलते वह आप से 26 सीटें ज्यादा जीतने में सफल रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा दिये गये जीत के मंत्र के दम पर ही दिल्ली चुनाव में भाजपा ने वर्ष 2020 के मुकाबले लगभग 9 फीसदी वोट ज्यादा हासिल किया है। वहीं आम आदमी पार्टी को लगभग 10 फीसदी वोटों का नुकसान हुआ है और कांग्रेस का भी 2 फीसदी वोट बढ़ गया है। वर्ष 2020 से तुलना करें तो चुनावी रणभूमि में भाजपा की 71 फीसदी स्ट्राइक रेट के साथ 40 सीटें बढ़ीं हैं, भाजपा ने 68 सीटों पर चुनाव लड़कर 48 सीटें जीतीं। वहीं आम आदमी पार्टी का स्ट्राइक रेट 31 फीसदी रहा, उसको 40 सीटों का नुकसान हुआ है।वैसे देखा जाए तो वर्ष 2014 के बाद से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुनाव दर चुनाव गैर भाजपाई सरकार वाले राज्यों में भाजपा की पताका को लहराने का कार्य बखूबी किया है, लेकिन भाजपा देश के दिल दिल्ली को जीतने में बार-बार प्रयास के बावजूद भी विफल हो रही थी, लाख प्रयास के बावजूद भी दिल्ली की चुनावी रणभूमि में भाजपा का शीर्ष नेतृत्व अरविंद केजरीवाल की कोई ठोस काट धरातल पर नहीं ढूंढ पा रहा था। वर्ष 2014 से ही केंद्र की सत्ता पर काबिज होने बावजूद भी दिल्ली की जनता बार-बार भाजपा को नकारने का कार्य कर रही थी, जो स्थिति भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को बहुत ज्यादा असहज करने वाली थी। चुनाव दर चुनाव भाजपा का शीर्ष नेतृत्व दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार का कोई तोड़ नहीं निकाल पा रहा था। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व दिल्ली की सत्ता हासिल करने के लिए लगातार आत्ममंथन कर रहा था कि आखिरकार बार-बार कसर कहां पर रह जाती है, किसी कारण से दिल्ली का मतदाता लोकसभा चुनावों में भाजपा को गले लगा लेता है लेकिन वह विधानसभा चुनावों में दुत्कार देता है। दिल्ली के मसले पर देश के राजनीतिक गलियारों में भी केजरीवाल की सफलता का उदाहरण दिया जाने लगा था कि किस तरह से बहुत ही कम समय में वह दिल्ली के मतदाताओं के दिलों पर छा गए थे और फिर वर्ष 2013, वर्ष 2015 और 2020 में उन्होंने आम आदमी पार्टी की दिल्ली में सरकार बनाने का कार्य किया था। लेकिन इस बार दिल्ली के विधानसभा चुनावों में 'मोदी मंत्र' ने स्थिति को बदलने का कार्य कर दिया है। मतदाताओं ने दिल खोलकर के भारतीय जनता पार्टी की झोली भरने का कार्य किया कर दिया है, मोदी के चहरे के दम पर ही दिल्ली विधानसभा चुनावों में 48 सीट जीतकर के 27 वर्षों के बाद सत्ता पर काबिज होने का भाजपा को अवसर मिला है।इसे भी पढ़ें: राहुल गांधी का कन्फ्यूजन कांग्रेस को डुबा देगा ?हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों के बहुत बड़े वर्ग का मानना है कि भारतीय राजनीति में जब अरविंद केजरीवाल का पदार्पण हुआ था तो उस वक्त केजरीवाल ने दिल्ली व देश की जनता को संदेश दिया था कि वह ईमानदारी के साथ देश के विकास के लिए बिना किसी पूर्वाग्रह से पीड़ित हुए स्वच्छ गांधीवादी राजनीति करेंगे। उस वक्त केजरीवाल ने लोगों को बहुत-बहुत बड़े सपने दिखाए थे, राजनीतिक जीवन के लिए उच्च श्रेणी के मानदंड रखने का कार्य किया था, लेकिन जैसे ही वर्ष 2013 में केजरीवाल के हाथ दिल्ली की सत्ता आयी वह राजनीति में शुचिता लाने की बाद एक-एक करके भूलने लग गये थे। केजरीवाल ने गाडी़, बंगाल और सुरक्षा पर बनाये गये अपने ही सिद्धांतों को सबसे पहले तिलांजलि देने का कार्य किया था, फिर केजरीवाल ने धीरे-धीरे दिल्लीवासियों को फ्री सुविधा देने का लालच देना शुरू किया और लगातार तीन बार मुख्यमंत्री बनकर के दिल्ली की सत्ता का जमकर के आनंद लिया। लेकिन इस बार वह अपने द्वारा बनाए सिद्धांतों के इसी चक्रव्यूह में बुरी तरह से फँस गए थे, क्योंकि राजनीति के लिए केजरीवाल के खुद के द्वारा तय किए गए सभी मापदंड उनके ही हाथों पूरी तरह से ध्वस्त कर दिये गये थे। दिल्ली के मतदाताओं को केजरीवाल की कथनी व करनी में स्पष्ट अंतर नज़र आने लग गया था। दिल्ली के वासियों ने करीब से देखा कि ईमानदारी, सुचिता व जमीन पर रहकर के आम आदमी से जुड़े रहने की राजनीति के सिद्धांतों पर केजरीवाल एंड कंपनी केवल फाइलों के भीतर ही अमल कर रही है, केजरीवाल का एक-एक करके साथ छोड़ते पुराने साथी पार्टी के भीतर लोकतंत्र के हाल पर जनता के बीच जाकर के गवाही दे रहे हैं, जिसका पूरा लाभ टीम मोदी ने इस बार के विधानसभा चुनावों में लिया और केजरीवाल को दिल्ली की सत्ता से बेदखल करने का काम कर दिया।जिस तरह से देश के दिल राजधानी दिल्ली की चुनावी रणभूमि में नरेन्द्र मोदी सेना ने जबरदस्त ढंग से हमलावर होकर के केजरीवाल की सेना को करारी हार देकर के प्रचंड विजय हासिल की है, वह आगामी कई दशकों तक देश की चुनावी राजनीति में एक नज़ीर बन गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हमलों के आगे टीम अरविंद केजरीवाल के सामने दिल्ली की चुनावी रणभूमि में लड़ना इस बार बेहद ही कठिन कार्य था, लेकिन फिर भी अरविंद केजरीवाल की दिल्ली के मतदाताओं के लिए फ्री बांटों की रणनीति की काट ढूंढना देश के भोले-भाले आम जनमानस को असंभव लगता था, क्योंकि केजरीवाल ना सिर्फ चुनावी रणभूमि में मतदाताओं से तरह-तरह के लोकलुभावन वादे ही कर रहे थे, बल्कि वह पहले से ही बहुत सारी फ्री की रेवड़ियां बांटने की घोषणाओं पर धरातल पर अमल भी कर रहे थे। ऐसी स्थिति में दिल्ली में भाजपा को पुनर्जीवित करना आसान कार्य नहीं था, क्योंकि देश की राजनीति में रुचि रखने वाले लोगों के एक बहुत बड़े वर्ग को केजरीवाल के पक्ष में रहने वाले मतदाताओं को तोड़कर के भाजपा के पक्ष में लाना असंभव कार्य लगता था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जादुई व्यक्ति

Feb 13, 2025 - 16:37
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'मोदी मंत्र' से दिल्ली के अभेद्य दुर्ग को आखिरकार जीत ही गयी 'भाजपा'
'मोदी मंत्र' से दिल्ली के अभेद्य दुर्ग को आखिरकार जीत ही गयी 'भाजपा'

मोदी मंत्र से दिल्ली के अभेद्य दुर्ग को आखिरकार जीत ही गयी भाजपा

Netaa Nagari – भारतीय राजनीति में सशक्त और प्रभावी दृष्टिकोण की निभाग करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दिल्ली की ताकतवर राजनीतिक पंक्ति में एक नई सफल यात्रा शुरू की है। यह समाचार भाजपा की नेतृत्व में एक नई जीत का सबूत है जिसने पिछले चुनावों में अभेद्य मानी जाने वाली दिल्ली को जीता है। इस आर्टिकल में हम इस जीत के पीछे के कारणों और राजनीतिक समीक्षाओं पर चर्चा करेंगे। यह लेख अंजली शर्मा और प्रिया मिश्रा द्वारा प्रस्तुत किया गया है।

भाजपा की जीत का मुख्य कारण

दिल्ली की राजनीति में भाजपा की जीत का मुख्य कारण "मोदी मंत्र" है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता, उनकी योजनाएँ, और भाजपा की रणनीतियाँ ने इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मोदी सरकार ने विकास, सुरक्षा, और सामाजिक कल्याण के मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया और जनता के बीच सही संदेश फैलाने में सफल रही। इससे भाजपा ने दिल्ली में अपने समर्थकों की संख्या में वृद्धि की।

दौरान चुनाव प्रचार की रणनीति

भाजपा ने चुनाव प्रचार के दौरान स्थानीय मुद्दों को उठाया। पार्टी ने स्थानीय समस्याओं को समझते हुए, मूड और मांग के अनुसार अपनी योजनाएं प्रस्तुत की। भाजपा के नेताओं ने मोहल्ले-मोहल्ले जाकर जनता से सीधे संवाद किया, जिससे जनता में भाजपा की विचारधारा के प्रति अधिक विश्वास बना। इससे भाजपा ने उनके मुद्दों को उठाने में सफलता पाई और वोटर्स का समर्थन रोका।

विपक्ष की भूमिका

आप पार्टी और कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों ने इस चुनाव में अपनी ताकत साबित करने का प्रयास किया, लेकिन भाजपा की स्थिति मजबूत होने के कारण वे महत्त्वपूर्ण मुद्राओं पर प्रभाव नहीं डाल सके। विपक्ष का एकता में न रहना और उम्मींद के अनुरूप प्रदर्शन न कर पाने ने भाजपा को और अधिक मजबूती दी।

नागरिकों की प्रतिक्रिया

भाजपा की जीत के बाद, दिल्ली के नागरिकों ने खुशी का इजहार किया। भाजपा की योजनाएँ और मोदी के नेतृत्व में किए गए विकास कार्यों की सराहना की गई। लोग मानते हैं कि यह जीत उनके लिए विकास और सुरक्षा का संकेत है।

निष्कर्ष

दिल्ली में भाजपा की यह जीत न केवल पार्टी के लिए एक सफलता है, बल्कि भारतीय राजनीति में मोदी के नेतृत्व की ताकत को भी दर्शाती है। "मोदी मंत्र" ने एक बार फिर साबित किया है कि जब विकास और जनहित के मुद्दे प्राथमिकता बनते हैं, तो सफलता निश्चित होती है। भविष्य में भी भाजपा को इस जीत के माध्यम से नई ऊँचाइयाँ हासिल करने की संभावना है।

अंततः, यह कहना गलत नहीं होगा कि दिल्ली का राजनीतिक परिदृश्य भाजपा की विजय के साथ एक नया मोड़ लेकर आया है। Netaa Nagari के सभी पाठकों का आभार और उम्मीद है कि वे हमारे अगले आर्टिकल को भी पढ़ेंगे।

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