मोदी का मोटापामुक्त भारत: स्वास्थ्य-क्रांति का आधार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शासन में भारतीय लोगों के स्वास्थ्य को लेकर निरन्तर कदम उठाते हुए स्वस्थ भारत निर्मित करने के उपक्रम किये हैं। विकसित भारत-नये भारत-सशक्त भारत का आधार स्वस्थ भारत ही है। मोदी युग ने स्वास्थ्य के प्रति भारत के दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण मोड़ को चिह्नित करते हुए मोटापे से जुड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों को संबोधित करने और मोटापे को नियंत्रित पर अधिक ध्यान दिया गया। मोदी ने मोटापे के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया है, जिसमें भारतीयों से अपने खाना पकाने के तेल की खपत को कम करने का आग्रह किया। मोटापा कई जीवनशैली से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है, जैसे दिल की बीमारी, टाइप 2 डायबिटीज, स्ट्रोक, सांस लेने में समस्याएं और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं जैसे चिंता, तनाव और अवसाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 फरवरी को मन की बात के 119वें एपिसोड में हेल्थ का जिक्र करते हुए कहा था, एक फिट और स्वस्थ भारत बनने के लिए हमें ओबेसिटी (मोटापा) की समस्या से निपटना ही होगा। एक स्टडी के मुताबिक, आज हर आठ में से एक व्यक्ति मोटापे की समस्या से परेशान है। बीते सालों में मोटापे के मामले दोगुने हो गए हैं, लेकिन इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि बच्चों में भी मोटापे की समस्या चार गुना बढ़ गई है। मोटापे को नियंत्रित करने की मुहिम एक सामयिक एवं सराहनीय कदम होने के साथ स्वास्थ्य-क्रांति का आधार है।प्रधानमंत्री ने सेहत के प्रति जागरूकता लाने और इस क्रम में मोटापे से लड़ने के लिए अपने-अपने क्षेत्र के दस जाने-माने लोगों को नामांकित कर यही रेखांकित किया कि इस समस्या की गंभीरता को समझने एवं समय रहते इसको नियंत्रित करने की अपेक्षा है। उन्होंने आनंद महिंद्रा, दिनेश लाल यादव निरहुआ, मनु भाकर, मीराबाई चानू, मोहनलाल, नंदन नीलेकणि, उमर अब्दुल्ला, आर. माधवन, श्रेया घोषाल, सुधा मूर्ति को नामांकित करते हुए यह अपेक्षा जताई कि ये सभी मोटापे के खिलाफ क्रांति की अलख जगाने के साथ खाद्य तेल की खपत कम करने के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करेंगे। प्रधानमंत्री ने इन लब्ध प्रतिष्ठित हस्तियों से दस-दस और लोगों को इसी अभियान को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से नामांकित करने का आग्रह किया है। प्रधानमंत्री की यह पहल कुछ वैसी ही है, जैसी उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान को प्रारंभ करते समय की थी। मोदी की मोटापे नियंत्रण से जुड़ी इस जनोपयोगी पहल से देश मे मोटापे के प्रति चेतना जाग्रत होगी और लोग मोटापे को नियंत्रित करने में सफल होंगे।इसे भी पढ़ें: मोटापे के खिलाफ जंग, PM Modi ने इन 10 हस्तियों को किया नॉमिनेट, उमर अब्दुल्ला बोले- बहुत खुश हूंमोटापा वर्तमान युग की एक व्यापक स्वास्थ्य समस्या एवं एक दीर्घकालिक बीमारी है, जो कई स्वास्थ्य समस्याओं एवं असाध्य बीमारियों का कारण बन सकती है और आपके जीवन को छोटा कर सकती है। दुनिया भर में मोटापे के शिकार एक अरब से ज्यादा लोगों में 88 करोड़ लोग वयस्क हैं जबकि 15 करोड़ 90 लाख बच्चे हैं। महिलाओं में मोटापा बढ़ने की सबसे तेज़ गति देखने को मिल रही है। आज मोटापा समस्या नहीं महामारी बन गया है। मोटापे ने महामारी का ऐसा रूप धारण किया कि इसने भुखमरी को भी पीछे छोड़ दिया है। भूखमरी से जितनी मौतें होती हैं उससे कई ज्यादा मौतों की वजह अब मोटापा बन गया है। यूएन रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में 5 से 9 साल के बीच के 13.1 करोड़ बच्चे, किशोरावस्था वाले 20.7 करोड़ और 200 करोड़ वयस्क लोग मोटापे के शिकार है। अच्छी सेहत के बिना जीवन का कोई महत्व नहीं है, सेहत ठीक नहीं होगी तो व्यक्ति दुखी, तनावग्रस्त और रोगी बना रहता है। सेहत ही सबसे बड़ा धन है। ये बात जो लोग समझते हैं, वे अपनी सेहत के लिए बहुत सतर्क रहते हैं। अच्छे स्वास्थ्य की सबसे बड़ी बाधा मोटापा है, जब कोई व्यक्ति ऊर्जा के रूप में उपयोग की जाने वाली कैलोरी से अधिक कैलोरी का उपभोग करता है, तो उसका शरीर अतिरिक्त कैलोरी को वसा के रूप में संग्रहीत कर लेता है। इसी से मोटापा पनपता है। शारीरिक श्रम की कमी पेट पर मोटापा जमा होने का एक प्रमुख कारण है। आजकल की जीवनशैली में अधिकतर लोग 9-10 घंटों तक एक जगह बैठकर काम करते हैं और शारीरिक गतिविधि न के बराबर करते हैं। इससे शरीर में जमा हुई अतिरिक्त कैलोरी को बर्न करने में कठिनाई होती है और ये कैलोरी मोटापे के रूप में बदल जाती है। तनाव और नींद की कमी भी मोटापा बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। जब हम तनाव में होते हैं, तो शरीर में कोर्टिसोल का स्तर बढ़ता है, जो पेट के आसपास चर्बी जमा करने का काम करता है। नींद की कमी से मेटाबोलिज्म पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और शरीर अधिक चर्बी जमा करने के लिए प्रेरित होता है। इसके अलावा, कुछ खाद्य पदार्थ, खाद्य तेल और पेय पदार्थ-विशेषकर वे जिनमें वसा और शर्करा की मात्रा अधिक होती है-वजन बढ़ने की अधिक संभावना रखते हैं। लोगों में मोटापा बढ़ने के कई कारण हैं, जिनमें अति भोजन, अहितकर भोजन और प्रतिकूल भोजन के अलावा व्यायाम की कमी और तनाव शामिल हैं। पोषण में सुधार, गतिविधि बढ़ाने और जीवनशैली में अन्य बदलाव करने से लोगों के मोटापे को कम करने में मदद मिल सकती है। मोदी की पहल से मोटापा नियंत्रित करने के अनुकूल परिणाम तभी सामने आ सकते है, इसमें वांछित सफलता तभी संभव है, जब आम लोग यह समझेंगे कि स्वस्थ जीवनशैली उन्नत राष्ट्र ही नहीं, उन्नत स्वास्थ्य का आधार है। आज की सुविधा एवं भौतिकतापूर्ण जीवनशैली मोटापा बढ़ाने का काम कर रही है। अब लोग उतना शारीरिक श्रम नहीं करते, जितना पहले अपनी सामान्य दिनचर्या के तहत किया करते थे। मोटापे को नियंत्रित करने में योग, ध्यान, प्रातःभ्रमण एवं व्यायाम की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। किसी विचारक ने लिखा भी है कि मनुष्य के सबसे बड़े चिकित्सक हैं- शांति, प्रसन्नता और खुराक।’ यह हकीकत है कि लोग यदि खानपान में संयम एवं सतर्कता बरतें, शारीरिक सक्रियता बढ़ाएं और योग-व्यायाम को जीवन का हिस्सा बना लें तो मोटापे को भगा

Feb 25, 2025 - 17:37
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मोदी का मोटापामुक्त भारत: स्वास्थ्य-क्रांति का आधार
मोदी का मोटापामुक्त भारत: स्वास्थ्य-क्रांति का आधार

मोदी का मोटापामुक्त भारत: स्वास्थ्य-क्रांति का आधार

Netaa Nagari - हमारी सरकार, पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, एक नई स्वास्थ्य क्रांति के लिए प्रतिबद्ध है, जिसका लक्ष्य है भारत को मोटापामुक्त बनाना। यह योजना ना केवल स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए है, बल्कि यह आर्थिक प्रगति और सामाजिक उत्थान के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस लेख में हम जानेंगे कि यह स्वास्थ्य क्रांति कैसे हो रही है और इसके क्या प्रभाव होंगे।

मोटापे का बढ़ता हुआ खतरा

आजकल मोटापा एक बड़े संकट के रूप में सामने आ रहा है। भारत में इसके कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ बढ़ रही हैं, जैसे कि हार्ट प्रॉब्लम, शुगर, और विभिन्न प्रकार के कैंसर। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में करीब 35% लोग मोटापे से ग्रसित हैं। इस समस्या का सामना करने के लिए मोदी सरकार ने न केवल जागरूकता बढ़ाने, बल्कि ठोस कदम उठाने का निर्णय लिया है।

स्वास्थ्य-क्रांति की रणनीतियाँ

प्रधानमंत्री मोदी ने 'मोटापामुक्त भारत' मिशन की शुरुआत की है। इसके अंतर्गत कई प्रभावी रणनीतियाँ शामिल हैं:

  • जागरूकता अभियान: लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए जागरूक करने के लिए सरकार ने विभिन्न अभियान शुरू किए हैं। ये अभियान डिजिटल और पारंपरिक मीडिया दोनों का उपयोग कर रहे हैं।
  • फिटनेस चैलेंज: खेल-कूद और फिटनेस को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न चैलेंजेज़ आयोजित किए जा रहे हैं, जिससे युवा पीढ़ी सक्रियता के प्रति प्रेरित हो सके।
  • स्वस्थ भोजन की उपलब्धता: बाजारों में ताजे फलों और सब्जियों की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं।

योग और प्राचीन चिकित्सा पद्धतियाँ

मोटापामुक्त भारत कार्यक्रम में योग और प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों को भी शामिल किया जा रहा है। मोदी सरकार ने 'International Yoga Day' को एक समर्पित दिन के रूप में मान्यता दी है, जिससे लोग योग के लाभों के प्रति जागरूक हो सकें। योग सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य को नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है।

सकारात्मक प्रभाव और भविष्य की दिशा

इस अभियान के सकारात्मक प्रभाव पहले से ही सामने आ रहे हैं। न केवल लोगों में जागरूकता बढ़ी है, बल्कि इसके साथ साथ स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों में भी कमी आई है। यदि यह अभियान सफल रहा, तो भारत को मोटापामुक्त करने के साथ साथ इसे विश्व स्तर पर एक स्वस्थ और मजबूत राष्ट्र का उदाहरण बनाया जा सकेगा।

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री मोदी का 'मोटापामुक्त भारत' कार्यक्रम सिर्फ एक स्वास्थ्य अभियान नहीं, बल्कि यह एक संपूर्ण स्वास्थ्य-क्रांति का शुरूआत है। यह सुनिश्चित करेगा कि भारत आने वाले समय में न केवल स्वास्थ्य के क्षेत्र में बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास में भी आगे बढ़े। हम सभी को इस मुहिम में जुड़कर देश के भविष्य के लिए एक स्वस्थ और बेहतर भारत बनाना है। अधिक जानकारी के लिए, netaanagari.com पर जाएँ।

लेखिका: सुमिता शर्मा, टीम नेटानगरी

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