महाकुंभ में टूटे दुनिया के सारे रिकॉर्ड, ब्राजील-जर्मनी को पीछे छोड़कर रचा नया इतिहास
Maha Kumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ में देश विदेश से श्रद्धालुओं का पहुंचने का सिलसिला जारी है. गंगा, जमुना और सरस्वती के त्रिवेणी पर अब तक करोड़ों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं. प्रयागराज की धरती पर ये समागम बीते माह 13 जनवरी से शुरू हुआ था और यह 26 फरवरी तक चलेगा. पूरी दुनिया की निगाहें के त्रिवेणी के संगम पर आयोजित होने वाली इस समागम पर टिकी हुई हैं. वैश्विक स्तर पर प्रयागराज महाकुंभ साल 2025 में एक नया इतिहास रच दिया है. संगम में आस्था की डुबकी लगाने वालों की संख्या 50 करोड़ के पार पहुंच गई है. यह न सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व के लिए ऐतिहासिक क्षण है. मानव इतिहास में अब तक किसी भी आयोजन में इतनी बड़ी संख्या में लोगों के शामिल होने के प्रमाण नहीं हैं. 50 करोड़ का आंकड़ा पाररविवार को महाकुंभ के 32वें दिन ही यह ऐतिहासिक आंकड़ा पार हो गया. इस बार सरकार ने 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद जताई थी, लेकिन महाकुंभ के समापन से 12 दिन पहले ही यह संख्या 50 करोड़ को पार कर गई है. प्रशासन को उम्मीद है कि कुंभ समाप्त होने तक यह आंकड़ा 60 करोड़ तक पहुंच सकता है. ब्राजील का रियो फेस्टिवल हो या जर्मनी का अक्टूबर फेस्ट इनकी भीड़ महाकुंभ के सामने तिनके के समान है. दुनिया के किसी भी आयोजन में इतनी बड़ी संख्या में लोगों के आने का प्रमाण नहीं मिलता. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारत, चीन के बाद महाकुंभ में इस बार दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आबादी आस्था के संगम में शामिल हो रही है. ओकटोबरफेस्ट और रियो कार्निवाल की भीड़महाकुंभ और ब्राजील का रियो कार्निवाल की अपनी विशेषता है. लेकिन यहां पहुंचने वाले लोगों की तुलना करें तो रियो कार्निवाल के मुकाबले 10 गुना से भी ज्यादा लोग पवित्र स्नान कर चुके हैं. ब्राजील पर्यटन विभाग के मुताबिक, साल 2023 में 4.6 करोड़ पर्यटकों ने रियो कार्निवाल में हिस्सा लिया था. जर्मनी के म्यूनिख में आयोजित ओकटोबरफेस्ट की भी महाकुंभ की भीड़ से श्रद्धालुओं की तुलना की जा रही थी. यह दुनिया भर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है. साल 2024 में इस उत्सव में लगभग 6.7 मिलियन लोगों ने शिरकत किया था, इसके उलट साल 2023 के 7.2 मिलियन पर्यटकों ने इसमें भाग लिया था. ओकटोबरफेस्ट का आयोजन हर साल 16 दिनों तक जर्मनी में किया जाता है, जिसमें जर्मन संस्कृति, संगीत, पारंपरिक नृत्य और स्वादिष्ट बियर का पर्यटक लुत्फ उठाते हैं. फिलहाल प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 में आज 32वें दिन श्रद्धालुओं की भीड़ ने नया इतिहास रचते हुए 50 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है. महाकुंभ इस माह 26 फरवरी तक चलेगा, इसके संपन्न होने में अबी 12 दिन बाकी रहते हुए ही श्रद्धालुओं का आंकड़ा 50 करोड़ को पार कर गया है. जारी है स्नान का सिलसिलामहाकुंभ में रोजाना श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के पहुंचने का सिलसिल थम नहीं रहा है. खासकर प्रमुख स्नान पर्वों के बाद भी लाखों लोग संगम में डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं. संगम जाने वाले रास्तों पर तिल रखने की भी जगह नहीं बची है, जबकि पांटून पुल और दूसरी सड़कें श्रद्धालुओं से भरे पड़े हैं. भीड़ की विशालता को देखते हुए मेला प्रशासन को इमरजेंसी प्लान लागू करना पड़ा है. सभी पास रविवार (16 फरवरी) तक स्थगित कर दिए गए हैं. 2019 के कुंभ में 24 करोड़ श्रद्धालु आए थे, लेकिन इस बार 50 करोड़ के आंकड़े को पार करने से महाकुंभ ने एक नया रिकॉर्ड कायम किया है. अंत तक यह संख्या 60 करोड़ तक पहुंच सकती है. ये भी पढ़ें: यूपी में 2027 के विधानसभा चुनाव पर बीजेपी सांसद का बड़ा ऐलान, बताया- कौन जीतेगा इलेक्शन

महाकुंभ में टूटे दुनिया के सारे रिकॉर्ड, ब्राजील-जर्मनी को पीछे छोड़कर रचा नया इतिहास
Netaa Nagari - यह एक ऐसा पल है जो भारतीय संस्कृति को और भी ऊँचाई पर ले जाने वाला है। हाल ही में महाकुंभ के दौरान यह संभव हो सका, जब इस धार्मिक आयोजन में प्रतिभागियों की संख्या ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए।
महाकुंभ का महत्व
महाकुंभ एक प्राचीन भारतीय पर्व है जो हर 12 वर्षों में चार तीर्थ स्थलों पर मनाया जाता है। इस बार यह आयोजन हरिद्वार में हुआ, जहां लाखों श्रद्धालुओं ने आकर न केवल अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन किया, बल्कि एक नए इतिहास की रचना भी की।
दुनिया के सारे रिकॉर्ड टूटे
महाकुंभ में इस बार करीब 15 करोड़ से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया, जो कि किसी भी धार्मिक आयोजन में एकत्रित होने वाली सबसे बड़ी संख्या है। पहले इस रिकॉर्ड का धारक ब्राजील और जर्मनी जैसे देश थे, लेकिन अब भारत ने इस रिकॉर्ड को अपने नाम कर लिया है।
श्रद्धालुओं की उमंग और आस्था
हरिद्वार में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखकर ऐसा लगता है मानो पूरे देश की आस्था एकत्र हो गई हो। हर किसी के चेहरे पर भगवान के प्रति श्रद्धा और उम्मीद झलकती है। इस बार आयोजकों ने सुरक्षा व्यवस्थाओं और स्वच्छता के मामले में भी विशेष ध्यान रखा था।
आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव
महाकुंभ केवल धार्मिक नहीं बल्कि आर्थिक धारा को भी सशक्त बनाने वाला आयोजन है। इससे स्थानीय व्यवसाय बढ़ते हैं और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलता है। हरिद्वार में न केवल होटल और रेस्तरां भीड़भाड़ से भरे रहे, बल्कि पर्यटन स्थलों पर भी पर्यटकों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि देखी गई।
भविष्य की उम्मीदें
महाकुंभ का यह विशाल आयोजन न केवल हमें धार्मिक एकता का संदेश देता है, बल्कि यह यह भी दर्शाता है कि भारतीय संस्कृति आज भी सामूहिकता और एकता की भावना में अडिग है। आने वाले समय में ऐसे आयोजनों से न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में भी प्रगति देखने को मिलेगी।
निष्कर्ष
महाकुंभ में लाखों जनों का एकत्र होना केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक संगम का प्रतीक है। इसने न केवल दुनिया में भारत के सांस्कृतिक धरोहर को प्रस्तुत किया है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को एक नया संदेश भी दिया है।
इस महाकुंभ की सफलता हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है। इससे न केवल भारतीय संस्कृति को मान्यता मिली है बल्कि यह दर्शाता है कि हम एकजुट होकर किसी भी बड़ी उपलब्धियों को हासिल कर सकते हैं।
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