...बदला हुआ भारत, बदला लेना जानता है

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के एक पखवाड़े बाद भारत ने इसका जवाब उपयुक्त और निर्णायक ढंग से दिया। 6/7 मई की मध्यरात्रि भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी पीओके में आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाकर एयर स्ट्राइक की। इस कार्रवाई में 100 से ज्यादा आतंकवादियों के मारे जाने और कई अन्य के घायल होने की खबरें आ रही हैं।भारत ने इस जवाबी कार्रवाई को नाम दिया है ‘ऑपरेशन सिंदूर’। ये नाम उन महिलाओं को समर्पित है, जिनके पतियों की पहलगाम में आतंकियों ने धर्म पूछकर हत्या कर दी थी। इस सैन्य कार्रवाई को केवल रणनीतिक पलटवार नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस स्पष्ट संकल्प की पुष्टि के रूप में देखा जा रहा है, जो उन्होंने हमले के दो दिन बाद बिहार के मधुबनी से दिया था।24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस के मौके पर मधुबनी पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने पहलगाम हमले पर गहरा शोक प्रकट किया और देशवासियों से दो मिनट का मौन रखवाया। इसके बाद उन्होंने एक कड़े और प्रतिज्ञाबद्ध स्वर में कहा था— "मैं बहुत स्पष्ट शब्दों में कहना चाहता हूं कि जिन्होंने ये हमला किया है, उन आतंकियों को और इस हमले की साजिश रचने वालों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सज़ा मिलेगी।" बिहार मधुबनी में प्रधानमंत्री का दिया गया बयान अब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के रूप में धरातल पर उतर चुका है, जिसमें आतंकी नेटवर्क की जड़ें हिलाकर रख दी गई हैं। ऑपरेशन सिंदूर के लिए जिन आतंकी ठिकानों को मिट्टी में मिलाया गया है, उनमें से चार पाकिस्तान में और पांच पीओके में हैं।इसे भी पढ़ें: उरी पर नवाज की निकाली शराफत, पुलवामा पर इमरान के होश फाख्ता, पहलगाम पर मुनीर का मन किया शांत, सॉफ्ट नेशन वाली छवि से दूर नए भारत का एक्शन भरपूरपहलगाम में आतंकी हमला कोई पहली घटना नहीं था जिसको पाक का समर्थन प्राप्त था। दशकों से पाकिस्तान में पले—बढ़े और प्रशिक्षित आतंकी भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम देते आए हैं। लेकिन हर बार घटना के बाद भारत सरकार का रवैया जबानी जमा खर्च तक रहा। दो चार दिन की बयानबाजी और कागजी कार्रवाई के बाद गाड़ी पुरानी पटरी पर दौड़ती रही। और पाकिस्तान अपनी कारस्तानियों से बाज नहीं आया।26 नवंबर 2008 की रात, भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई उस समय दहल उठी जब पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने समुद्र के रास्ते शहर में प्रवेश किया। हमले के दौरान, भारतीय सुरक्षा बलों, जिसमें मुंबई पुलिस, एनएसजी और अन्य कमांडो शामिल थे, ने तीन दिनों तक ऑपरेशन चलाया। इस ऑपरेशन में 9 आतंकी मारे गए, लेकिन अजमल कसाब को 27 नवंबर 2008 को जुहू चौपाटी पर जिंदा पकड़ लिया गया। इस हमले में 166 लोग मारे गए, जिनमें 26 विदेशी नागरिक भी शामिल थे और 300 से अधिक लोग घायल हुए।तत्कालीन कांग्रेस नीत यूपीए सरकार केंद्र की सत्ता में थी। प्रधानमंत्री थे डॉ. मनमोहन सिंह। इस घटना के बाद तत्कालीन भारत सरकार का रवैया जगजाहिर है। असल में तत्कालीन सत्तासीन दल का पूरा जोर इस बात पर था कि इस हमले में शामिल लोगों को हिंदू साबित किया जाए, जिससे वो हिंदू आतंकवाद की थ्योरी को स्थापित कर सके। गनीमत यह रही कि आतंकी अजमल कसाब जिंदा पकड़ लिया गया। वरना सुरक्षाबलों द्वारा मारे गए आतंकियों के हाथों मे षड्यंत्र पूर्वक बंधे कलावे से ही सरकार हिंदू आतंकवाद की थ्योरी स्थापित करने में सफल हो जाती।12 मार्च 1993 को मुंबई के विभिन्न इलाकों खासकर हिंदू आबादी बहुल में 13 सिलसिलेवार बम धमाके हुए, जिसमें 257 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई और 700 से ज्यादा निर्दोष नागरिक घायल हो गए। उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। पीवी नरसिंह राव देश के प्रधानमंत्री थे। 13 दिसंबर 2001 को, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैय्यबा नामक आतंकवादी संगठनों के पांच आतंकवादियों ने भारत की संसद पर एक घातक हमला किया। इस आतंकी हमले का मुख्य आरोपी मोहम्मद अफजल गुरु था। इस हमले में दिल्ली पुलिस के पांच जवान, एक महिला कांस्टेबल और दो सुरक्षा गार्ड शहीद हो गए।24 सितंबर 2002... शाम के करीब पौने पांच बजे का समय, ये वो दिन था जब गुजरात के अक्षरधाम मंदिर को आतंकियों ने अपना निशाना बनाया। इस आतंकी हमले में मंदिर परिसर में मौजूद 32 श्रद्धालुओं और 3 सुरक्षाकर्मियों की जान गई थी। आतंकियों ने हथियारों से लैस होकर श्रद्धालुओं को निशाना बनाया था। इस घातक हमले में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकवादियों का संबंध था। आतंकवादियों को एनएसजी कमांडो ने मार गिराया था। संसद और अक्षरधाम हमले के समय देश में भाजपा नीत एनडीए के नेता प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी गठबंधन की सरकार चला रहे थे।देश में आतंकी घटनाओं की लंबी फेहरिस्त है। चूंकि देश में सबसे ज्यादा लंबे समय तक कांग्रेस का राज रहा है। ऐसे में पाक समर्थित आतंकवाद से निपटने के लिए बयानबाजी और डोजियर भेजने का जो तरीका कांग्रेस की सरकार ने शुरू किया, वो रिवायत 2014 तक जारी रही। हर आतंकी हमले के बाद भारत ने जिस तरह रिएक्ट किया, उससे पूरी दुनिया में यह मैसेज गया कि भारत एक 'सॉफ्ट स्टेट' है। भारत के इस टालू और ठंडे रवैये से पाकिस्तान के हौसले बुलंद हुए। 2004 से 2014 में कांग्रेस नीत यूपीए सरकार के शासन में आतंकियों के हौसले इतने बुलंद थे कि वो जहां चाहते थे आसानी से हमले को अंजाम दे देते थे। उन्हें पता था कि भारत सरकार का रवैया बयानबाजी और कागजी लिखा पढ़ी से ज्यादा कुछ नहीं होगा।वर्ष 2014 में केंद्र की सत्ता में भाजपा नीत एनडीए सरकार का आगमन हुआ। जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं। मोदी सरकार ने सत्ता संभालने के साथ आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करना शुरू किया। जिसका नतीजा यह रहा है कि कश्मीर को छोड़कर देश के किसी हिस्से में आतंकी घटनाओं की खबर सामने नहीं आई। कश्मीर में स्थानीय लोगों की मदद से आतंकियों और उनके सरगनाओं के हौसले बुलंद है। 2019 में धारा 370 को हटाने के बाद घाटी के हालात तेजी से बदले

May 8, 2025 - 00:37
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...बदला हुआ भारत, बदला लेना जानता है
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बदला हुआ भारत, बदला लेना जानता है

लेखिका: सविता शर्मा, टीम नेता नगरी

भारत हमेशा से एक ऐसा देश रहा है जिसका इतिहास संघर्ष, साहस और शक्तिशाली बदले से भरा हुआ है। आज हम एक ऐसे भारत की कहानी पेश कर रहे हैं जो न केवल अपने इतिहास में विश्वास रखता है, बल्कि समय-समय पर अपने प्रतिकूलताओं का सामना करने के लिए भी तैयार है। 'बदला हुआ भारत' शीर्षक से आज हम जानेंगे कि कैसे भारत ने अपनी ताकत को पहचाना और बदला लेना सीख लिया है।

भारत की आत्मनिर्भरता

आज का भारत एक आत्मनिर्भर देश बनता जा रहा है। कोरोना महामारी ने भारत की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव डाला, लेकिन इसके बावजूद, भारत ने अपने स्टार्ट-अप्स और छोटे उद्योगों को बढ़ावा देकर आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़े कदम उठाए हैं। "मेक इन इंडिया", "आत्मनिर्भर भारत" जैसे कार्यक्रमों ने भारत के युवाओं को उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित किया है।

दुनिया में भारत की पहचान

इंटरनेशनल मंच पर भारत की स्थिति भी बदल रही है। जहां एक समय भारत को अक्सर कमजोर समझा जाता था, वहीं आज भारत एक बड़ी ताकत के रूप में उभरा है। इसकी रणनीतिक नीतियों और विभिन्न देशों के साथ मजबूत संबंधों ने इसे वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना दिया है।

सुरक्षा की दृष्टि से भारत का दृष्टिकोण

आज के परिवेश में, भारत ने अपने सुरक्षा दृष्टिकोण को और भी मजबूत किया है। विभिन्न आतंकवादी घटनाओं के प्रति उसकी प्रतिक्रिया ने यह सिद्ध कर दिया है कि जब भी देश की सुरक्षा की बात आती है, तो भारत द्वारा बदला लेने का निर्णय सही और आवश्यक होता है। हाल ही में हुए बालाकोट हवाई हमले जैसे कदमों ने इस बात को स्पष्ट किया है।

भारत की संस्कृति और परंपराएँ

बदला हुआ भारत अपनी पारंपरिक संस्कृति को भी सहेजें हुए है। यह विविधता में एकता का प्रतीक बना हुआ है। विभिन्न त्योहार, परंपराएँ और रीति-रिवाज आज भी हमारे समाज में जीवित हैं, जो हमारे इतिहास और संस्कृति की गहराई को दर्शाते हैं।

निष्कर्ष

बदला हुआ भारत एक नई सोच, दृढ़ संकल्प और राष्ट्रीय एकता की मिसाल प्रस्तुत कर रहा है। इसका आत्मविश्वास और साहस इसे न केवल एक शक्तिशाली देश के रूप में प्रस्तुत करता है, बल्कि पूरे विश्व में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर भी देता है। यह राष्ट्रीयता की भावना को जगाता है और हर भारतीय को गर्वित करता है। यदि आप और जानना चाहते हैं, तो अधिक अपडेट्स के लिए netaanagari.com पर जाएं।

Keywords

India, New India, National Pride, Self-Reliant India, Global Position, Security Policy, Cultural Heritage, Make in India

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