प. बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग...सबसे पहले किस राज्य में लगा था अनुच्छेद-356? जानिए पूरी डिटेल्स
पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग हो रही है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई भी होगी। ऐसे में क्या आप जानते हैं कि सबसे पहले भारत में कहां लगा था राष्ट्रपति शासन?

प. बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग...सबसे पहले किस राज्य में लगा था अनुच्छेद-356? जानिए पूरी डिटेल्स
लेखक: सुमित्रा वर्मा, टीम नेतागरी
पूर्वी भारत के महत्वपूर्ण राज्य, पश्चिम बंगाल में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच राष्ट्रपति शासन की मांग तेज हो गई है। हाल ही में कई राजनीतिक घटनाक्रमों ने इस मांग को और मजबूती दी है। इस लेख में हम जानेंगे कि अनुच्छेद-356 के तहत राष्ट्रपति शासन की प्रक्रिया कैसे काम करती है और यह अनुच्छेद भारत के किस राज्य में सबसे पहले लागू हुआ था।
राष्ट्रपति शासन और अनुच्छेद-356 का महत्व
अनुच्छेद-356 भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की अनुमति देता है। जब राज्य की संवैधानिक व्यवस्था बिगड़ जाती है या वहाँ कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ जाती है, तब केंद्र सरकार इस अनुच्छेद का उपयोग कर सकती है। इससे राज्य सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है। हालाँकि, इसके उपयोग के अपने निहितार्थ और परिणाम होते हैं।
प. बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग क्यों?
P. बंगाल में हाल के विधानसभा चुनावों और उसके बाद की घटनाओं ने राजनीतिक वातावरण को काफी गर्म कर दिया है। राज्य में तृणमूल कांग्रेस की सत्ताधारी पार्टी ने कई बार विपक्ष के द्वारा लगाए गए आरोपों का सामना किया है। इसके परिणामस्वरूप, अब कुछ भाजपा और अन्य विपक्षी दल राष्ट्रपति शासन की मांग कर रहे हैं। उनकी दलील है कि राज्य में कानून-व्यवस्था और जनहित के साथ-साथ लोकतांत्रिक संस्थाओं की हालत बहुत खराब हो गई है।
सबसे पहले अनुच्छेद-356 कब और कहाँ लागू हुआ?
जब हम अनुच्छेद-356 के इतिहास की बात करते हैं, तो यह जानना महत्वपूर्ण है कि यह सबसे पहले 1951 में पंजाब में लागू हुआ था। तब से लेकर अब तक इसे विभिन्न राज्यों में कई बार लागू किया गया है, जिसमें जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, और अन्य राज्यों के नाम शामिल हैं। अनुच्छेद-356 के लागु होने से संबंधित विस्तृत जानकारी जानने के लिए, लोग अक्सर संविधान के विषय में गहराई से अध्ययन करते हैं।
राष्ट्रपति शासन की प्रक्रिया
राष्ट्रपति शासन लगाने की प्रक्रिया में कई चरण होते हैं। केंद्र सरकार यदि किसी राज्य की स्थिति को गंभीर मानती है, तो उसे राज्य विधानसभा के सदस्यों की सलाह को नजरअंदाज करते हुए राष्ट्रपति को पत्र लिखना पड़ता है। राष्ट्रपति इस पर विचार करते हुए, राज्य के गवर्नर से विस्तृत रिपोर्ट मांग सकते हैं। इसी रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार कार्रवाई करती है।
निष्कर्ष
प. बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है और इसके कई पहलू हैं। अनुच्छेद-356 के इतिहास को देखकर यह साबित होता है कि यह प्रावधान लोकतंत्र के संवैधानिक संरक्षण का एक हिस्सा है। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि प. बंगाल की राजनीतिक स्थिति किस दिशा में जाती है।
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