दशरथ मांझी के बेटे भागीरथ के खिलाफ बेटी-दामाद भी चुनाव लड़ने को तैयार, जानें क्या कहा
Bihar News: माउंटेन मैन दशरथ मांझी के पौत्र दामाद मिथुन मांझी का गुरुवार (30 जनवरी) को बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि उन्हें जानकारी नहीं थी कि भागीरथ मांझी ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की है. वे (भागीरथ मांझी) कांग्रेस के संविधान सुरक्षा सम्मेलन में पटना गए थे. इसके बाद राहुल गांधी के बुलावे पर दिल्ली भी गए. उनकी सोच थी कि जिस तरह दशरथ मांझी विख्यात हुए उसी तरह वे भी समाजसेवा की भावना रखते हैं. मिथुन मांझी ने कहा कि वे खुद जेडीयू में ही हैं. क्या दशरथ मांझी वीर शहीद नहीं हुए? मिथुन मांझी ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार के द्वारा दशरथ मांझी को उनकी पहचान देकर विख्यात किया गया है. उनके नाम पर स्वास्थ्य केंद्र, स्कूल, सड़क, समाधि स्थल का भी निर्माण कराया गया है. यहां तक कि दशरथ मांझी को एक दिन के लिए अपनी सीएम की कुर्सी पर बिठाकर सम्मानित भी किया. उनके परिजनों के लिए जो होना चाहिए वह नहीं हुआ. आगे उन्होंने कहा कि वीर शहीद सैनिकों के परिजनों के जैसे उन्हें भी सुविधाएं मिलनी चाहिए. शहीद सैनिकों के परिजनों को बुलाकर नौकरी देने का काम किया गया लेकिन क्या दशरथ मांझी वीर शहीद नहीं हुए? उन्हें आम लोगों के लिए पहाड़ को एक छेनी हथौड़ी से काटकर रास्ता बना दिया. उनके परिजनों को भी नौकरी देना चाहिए थी. 2 सालों से नहीं मिला वेतन मिथुन मांझी ने कहा कि उन्हें भी आम लोगों की तरह प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला, नल-जल योजना के तहत घर में नल लगा, पेंशन (वृद्धा) मिल रही है. परिजनों को सुविधा के नाम पर बीटीएमसी बोधगया का सदस्य बनाया गया है. फिलहाल वह मजदूरी और खेती कर अपने परिवार का जीविकापार्जन कर रहे हैं. सरकार ने नल-जल योजना के पंप सेट पर ऑपरेटर के पद पर रखा था जहां दो वर्षों से वेतन ही नहीं मिला है. कई बार विभाग में इसकी जानकारी दी है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. दशरथ मांझी की पोती अंशु कुमारी को आंगनबाड़ी केंद्र में सेविका के पद पर नियुक्त किया गया है. छह हजार रुपये महीना मिलता है. ससुर के सामने चुनाव लड़ने को तैयार दामाद उन्होंने कहा कि सरकार भी कभी-कभी पलटी मार देती है. उसी तरह भागीरथ मांझी ने जब जेडीयू की सदस्यता ली तो वे भी सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे. जेडीयू से टिकट नहीं मिला. शायद अब कांग्रेस की तरफ से टिकट देने के लिए बोला गया होगा इसलिए भागीरथ मांझी कांग्रेस में शामिल हुए हैं. मिथुन मांझी ने भी चुनाव लड़ने की इच्छा जताई. उन्होंने कहा कि अगर नीतीश कुमार चाहते हैं कि उनके परिवार के किसी सदस्य को टिकट दिया जाए तो वे इसके लिए इच्छुक हैं. अगर जेडीयू से टिकट मिलता है तो वे अपने ससुर भागीरथ मांझी के सामने भी चुनाव लड़ने को तैयार हैं. राजनीति में कोई किसी का नहीं होता. अपनी-अपनी पार्टी का बाहुबल दिखाया जाएगा. समाज के विकास के लिए चुनाव लड़ेंगे. जीतन राम मांझी पर लगाया परिवारवाद का आरोप मिथुन मांझी ने केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी पर परिवारवाद का आरोप लगाया. कहा कि मांझी ने जब इमामगंज से विधायकी छोड़कर सांसद का चुनाव लड़े थे तब उन्हें मांझी समाज को इमामगंज से टिकट देना चाहिए था. उन्होंने अपनी बहु को टिकट दिया. समाज के लोगों को मौका नहीं दिया. बेटी भी पिता के खिलाफ चुनाव लड़ने को तैयार भागीरथ मांझी की बेटी अंशु कुमारी ने बताया कि जब उन्होंने न्यूज़ में देखा तब उन्हें पिता के कांग्रेस ज्वाइन करने की जानकारी मिली. उन्होंने राहुल गांधी के समक्ष चुनाव लड़ने का प्रस्ताव रखा है. अंशु ने कहा अगर जेडीयू से उन्हें टिकट मिलता है तो वह खुद भी चुनाव लड़ेंगी. क्या बेटी या पिता एक दूसरे के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ सकते? जीतन राम मांझी ने अपनी बहु को विधायक, बेटे को मंत्री बना दिया. समाज के किसी दूसरे लोगो के बारे में तो नहीं सोचा. यह भी पढ़ें: Bihar Crime News: बिहार के गया में शख्स की हत्या, खैनी मांगने पर 'पगला' ने कर दिया कांड, जानें पूरा मामला

दशरथ मांझी के बेटे भागीरथ के खिलाफ बेटी-दामाद भी चुनाव लड़ने को तैयार, जानें क्या कहा
Netaa Nagari - दशरथ मांझी, जिन्हें 'Mountain Man' भी कहा जाता है, की विरासत उनके परिवार में आगे बढ़ती नजर आ रही है। हाल ही में, उनके बेटे भागीरथ मांझी के खिलाफ उनकी अपनी बेटी और दामाद चुनावी मैदान में उतरने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। यह स्थिति स्थानीय राजनीति में एक नया मोड़ ला सकती है।
परिवार की राजनीति: भागीरथ मांझी की चुनौती
भागीरथ मांझी ने अपने पिता की तरह ही सामाजिक सेवा में कदम बढ़ाया है लेकिन उनके परिवार के अन्य सदस्य अब चाह रहे हैं कि वे खुद को राजनीतिक रूप से स्थापित करें। बेटी कीर्ति और दामाद अरविंद ने स्पष्ट किया है कि वे भागीरथ के खिलाफ खड़े होने के लिए तैयार हैं। यह संघर्ष केवल पारिवारिक नहीं होगा, बल्कि यह क्षेत्र में एक नई राजनीतिक धारा भी स्थापित कर सकता है।
बेटी-दामाद का प्रदर्शन
कीर्ति ने अपने बयान में कहा, “हम अपने पिता की प्रतिष्ठा का सम्मान करते हैं, लेकिन हमें लगता है कि हमें अपने विचारों को भी प्रदर्शित करने का मौका मिलना चाहिए। राजनीति में आने से हम अपने समाज के लिए कुछ नया करने की कोशिश करेंगे।” वहीं, अरविंद ने कहा, “हम भागीरथ की नीतियों का विरोध नहीं कर रहे हैं, बल्कि हम एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की उम्मीद करते हैं।”
स्थानीय जनता की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों ने इस विषय पर अपनी चिंताओं और उम्मीदों को साझा किया है। कुछ लोगों का मानना है कि यह एक सकारात्मक बदलाव हो सकता है, जबकि अन्य इसे पारिवारिक झगड़े के रूप में देख रहे हैं। स्थानीय निवासी अमरनाथ ने कहा, “हम चाहते हैं कि यह परिवार एकजुट रहे। लेकिन अगर ये लोग चुनाव लड़ते हैं तो यह लोकतंत्र का हिस्सा है।”
चुनावी रणनीतियों पर चर्चा
भागीरथ मांझी ने अपनी चुनावी रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित किया है, लेकिन अब परिवार के भीतर की प्रतिस्पर्धा ने मुख्य चुनावी मुद्दों को बदल दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि कैसे यह परिवार अपनी योजनाओं को क्रियान्वित करता है। ऐतिहासिक रूप से यह क्षेत्र कई राजनीतिक उलटफेरों का गवाह रहा है, इसलिए इस बार की चुनावी प्रक्रिया खास महत्वपूर्ण हो जाती है।
निष्कर्ष: एक नई राजनीतिक दिशा
दशरथ मांझी की पारिवारिक राजनीति ने एक नए अध्याय की शुरुआत कर दी है। इस बार, चुनाव केवल एक राजनीतिक प्रक्रिया नहीं होगी, बल्कि यह परिवार की पहचान और उनके मूल्यों की भी परीक्षा होगी। क्या कीर्ति और अरविंद भागीरथ की विरासत को चुनौती देंगे? यह देखने के लिए सभी की नजरें इस चुनाव पर टिकी रहेंगी।
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