कौन हैं जयपुर की बतूल बेगम जिन्हें मिला पद्मश्री अवार्ड? गाती हैं भगवान राम के भजन

Padma Shri Award 2025: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर केंद्र सरकार ने पद्मश्री अवार्ड पाने वालों के नाम का ऐलान कर दिया है. इस अवार्ड से सम्मानित होने वालों में कई नामी तो कई गुमनाम शख्सियतों का नाम शामिल है. इन्हीं में से एक हैं राजस्थान के जयपुर की बतूल बेगम. बतूल को केंद्र सरकार की तरफ से पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित होने वालों में शामिल हैं. मुस्लिम धर्म से ताल्लुक रखने वाली बतूल बेगम लंबे समय से भगवान राम और गणपति के भजन गाती आ रही हैं. लोकगायिका भजन के साथ-साथ मुस्लिम मांद भी गाती हैं. देश-विदेश में उनके कार्यक्रम होते रहते हैं. बड़े-बड़े विदेशी मंचों पर उन्होंने भारत की शान बढ़ाई है. बतूल बेगम के अलावा गोवा के 100 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी, पश्चिम बंगाल की एक ढाक वादक, जिन्होंने पुरुष प्रधान क्षेत्र में 150 महिलाओं को प्रशिक्षित किया और भारत की पहली महिला कठपुतली कलाकार उन 30 गुमनाम नायकों में शामिल हैं, जिन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया है.

Jan 25, 2025 - 20:37
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कौन हैं जयपुर की बतूल बेगम जिन्हें मिला पद्मश्री अवार्ड? गाती हैं भगवान राम के भजन
Padma Shri Award 2025: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर केंद्र सरकार ने पद्मश्री अवार्ड पाने वालों के नाम का ऐला

कौन हैं जयपुर की बतूल बेगम जिन्हें मिला पद्मश्री अवार्ड? गाती हैं भगवान राम के भजन

Netaa Nagari

लेखक: सुष्मिता शर्मा, टीम नीतानागरी

परिचय

जयपुर की बतूल बेगम, जिन्हें हाल ही में भारत के प्रतिष्ठित पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया है, भारतीय संगीत की दुनिया में अपनी पहचान बना चुकी हैं। उनकी आवाज में ऐसा जादू है कि वे भगवान राम के भजनों को बखूबी प्रस्तुत करती हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि बतूल बेगम कौन हैं और कैसे उन्होंने इस सम्मान पर अपनी यात्रा तय की।

बतूल बेगम का जीवन परिचय

बतूल बेगम का जन्म और बड़ा होना जयपुर में हुआ। उन्होंने अपने परिवार से संगीत की शिक्षा ली और बचपन से ही भजनों में रुचि दिखाना शुरू किया। उनकी माँ भी एक उत्कृष्ट गायक थीं, जिन्होंने बतूल को संगीत की बारीकियों में प्रशिक्षित किया। उनका जीवन एक साधारण परिवार में बीता, लेकिन संगीत के प्रति उनके प्रति प्रेम ने उन्हें महानता की ओर बढ़ाया।

भजन गायकी में योगदान

बतूल बेगम ने अपने गीतों के माध्यम से धार्मिक विचारों को फैलाने का कार्य किया है। उनका खासकर राम भजन गाने का तरीका इतना प्रभावी है कि उनके कार्यक्रमों में लोग भावुक होकर उनकी प्रस्तुति का आनंद लेते हैं। राम के भजनों के साथ-साथ वे अन्य धार्मिक गीत भी गाती हैं, जो सुनने वालों को एक अलग ही अनुभव देते हैं।

पद्मश्री अवार्ड की प्राप्ति

2023 में, भारत सरकार ने बतूल बेगम को उनके अद्वितीय संगीत कौशल और भक्ति संगीत में उनके योगदान के लिए पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया। यह सम्मान केवल उनके गायक कौशल को ही नहीं, बल्कि उनके द्वारा समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्य स्थापित करने के प्रयासों को भी मान्यता देता है।

समाज पर प्रभाव

बतूल बेगम का कार्य सिर्फ गाने तक सीमित नहीं है। वे सामाजिक गतिविधियों में भी भाग लेती हैं, और विभिन्न चैरिटी इवेंट्स में भी मौजूद रहती हैं। उनका उद्देश्य धार्मिक संगीत के माध्यम से लोगों को जोड़ना और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देना है। वे युवा पीढ़ी को भी प्रेरित करती हैं कि संगीत के माध्यम से वे अपनी आस्था और पहचान को उजागर कर सकते हैं।

निष्कर्ष

बतूल बेगम का जीवन एक प्रेरणा है। वे न केवल अपने अद्भुत गायन के लिए जानी जाती हैं, बल्कि उन्होंने अपनी कला के माध्यम से समाज को जागरूक किया है। पद्मश्री अवार्ड उनकी मेहनत और प्रतिबद्धता का परिणाम है। उनकी यात्रा इस बात का प्रमाण है कि सच्ची कला और भक्ति किसी भी क्षेत्र में सफलता का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।

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