आईआईटी बाबा का आरोप- न्यूज चैनल के डिबेट में लाठी-डंडे से पीटा गया, थाने के बाहर धरने पर बैठे
आईआईटी बाबा ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि भगवा वस्त्र पहने लोगों ने न्यूजरूम में घुसकर दुर्व्यवहार किया और उन पर लाठियों से हमला किया, लेकिन बाद में उन्होंने शिकायत वापस ले ली।

आईआईटी बाबा का आरोप- न्यूज चैनल के डिबेट में लाठी-डंडे से पीटा गया, थाने के बाहर धरने पर बैठे
नेता नागरी के पाठकों के लिए एक अत्यंत चौंकाने वाली खबर आई है। आईआईटी बाबा ने आरोप लगाया है कि एक न्यूज चैनल की डिबेट में उनके साथ हिंसा हुई है। उन्होंने कहा है कि उन्हें लाठी-डंडों से पीटा गया। इस घटना के बाद, आईआईटी बाबा थाने के बाहर धरने पर बैठ गए हैं, जिससे उनके समर्थकों में रोष की लहर फैल गई है।
क्या है पूरा मामला?
आईआईटी बाबा, जो अपनी विवादित टिप्पणी के लिए जाने जाते हैं, ने हाल ही में एक न्यूज चैनल की डिबेट में भाग लिया। राहिम खान की मेज़बानी में इस डिबेट का विषय वर्तमान में शिक्षा और छात्रों के अधिकारों पर आधारित था। बाबा का आरोप है कि डिबेट के दौरान उनका आतंकित करने के लिए कुछ व्यक्तियों ने उन पर लाठी-डंडे से हमला किया। इस घटना ने बाबा के समर्थकों में आक्रोश पैदा कर दिया है और उन्होंने थाने के बाहर धरने पर बैठने का निर्णय लिया।
बाबा के बयान और प्रतिक्रिया
आईआईटी बाबा ने मीडिया के सामने आकर अपने साथ हुई इस घटना की निंदा की है। उन्होंने कहा, "यह एक लोकतांत्रिक समाज में होने वाली सबसे घातक घटनाओं में से एक है। मैं अपने अधिकारों के लिए लड़ता रहूँगा।" उनके समर्थक भी इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहे हैं और बाबा को समर्थन देने के लिए जुट रहे हैं।
पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया
घटना के बाद, पुलिस ने बयान दिया है कि वे इस मामले की जांच कर रहे हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "अगर कोई भी व्यक्ति इस हिंसा में शामिल पाया गया, तो हम उसे दंडित करेंगे।" थाने के बाहर धरने का सिला बहुत तात्कालिक है, जिस पर पुलिस ने भी ध्यान दिया है।
समर्थकों की आवाजें
आईआईटी बाबा के समर्थक इस घटना को लेकर बेहद चिंतित हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि यह घटना न केवल बाबा के लिए, बल्कि समाज के लिए भी गंभीर है। वे इस स्थिति को और अधिक escalate करने की योजना बना रहे हैं। कुछ समर्थकों ने ट्वीट भी किए हैं, जिसमें बाबा के समर्थन में आवाज उठाई गई है।
निष्कर्ष
आईआईटी बाबा का यह मामला न केवल उनके लिए, बल्कि समग्र समाज के लिए खतरे की घंटी है। लोकतंत्र में इस तरह की हिंसा नहीं होनी चाहिए। धरने का प्रदर्शन यह दर्शाता है कि लोगों की आवाज़ को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे समय में, हमारे समाज को एकजुट होकर इस प्रकार की घटनाओं के खिलाफ खड़ा होना होगा।
बाबा के इस संघर्ष को लेकर अभी क्या आगे की रणनीति होगी, यह देखना दिलचस्प होगा। उचित कार्रवाई और न्याय की उम्मीद में, भारत की जनता आईआईटी बाबा के साथ है।
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