अमेरिकी सेना का तीसरा विमान 112 अप्रवासी भारतीयों को लेकर पहुंचा अमृतसर एयरपोर्ट, लोगों ने सुनाई आपबीती
अमेरिकी सेना का विमान अप्रवासी भारतीयों को लेकर अमृतसर पहुंचा है। ये अमेरिका से अप्रवासी भारतीयों को लेकर आने वाला तीसरा विमान है। इस विमान में 112 अप्रवासी भारतीय थे।

अमेरिकी सेना का तीसरा विमान 112 अप्रवासी भारतीयों को लेकर पहुंचा अमृतसर एयरपोर्ट, लोगों ने सुनाई आपबीती
Netaa Nagari
लेखिका: प्रिया शर्मा, टीम netaanagari
परिचय
अमेरिकी सेना ने हाल ही में एक विशेष विमान के माध्यम से 112 अप्रवासी भारतीयों को अमृतसर एयरपोर्ट पर लाया है। इस घटना ने न केवल स्वदेश लौटने वाले नागरिकों के लिए राहत का एक कारण प्रदान किया है, बल्कि यह अपने साथ कई दार्शनिक अनुभव और कहानियाँ भी लेकर आई है। इन नागरिकों ने अपनी यात्रा के दौरान जो कठिनाइयाँ तथा अनुभव किए, उन्हें उन्होंने साझा किया है।
अप्रवासी भारतीयों का अनुभव
आपबीती सुनाते हुए, एक 32 वर्षीय युवक ने बताया कि कैसे वह काम के सिलसिले में अमेरिका गया था, लेकिन कोरोनावायरस महामारी के चलते उसे वहां काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा, "हम कई महीनों तक ओवरस्टे करने के बाद भी स्वदेश नहीं लौट सके। अब जब लौटे हैं, तो यह एक नई जिंदगी की शुरुआत जैसा महसूस हो रहा है।" उनके जैसे ही अन्य लोगों ने भी अपने अनुभव साझा किए, जिनमें से कुछ ने यह बताया कि उन्हें वापस लौटने में कई महीनों का समय लगा।
सरकार की सहायता
सरकार की ओर से इस विमान से लौटने वाले नागरिकों को स्वागत और सहायता प्रदान की गई। अमृतसर एयरपोर्ट पर स्वास्थ्य जांच, भोजन और आवास की व्यवस्था की गई। सरकारी अधिकारियों ने प्रवासियों को आश्वासन दिया कि सभी प्रकार की जरुरतें सुनिश्चित की जाएंगी।
स्थानीय प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों में भी इस घटना को लेकर उत्साह देखा गया। कई नागरिकों ने अपने घरों के बाहर खड़े होकर लौटने वालों का स्वागत किया। एक स्थानीय निवासी ने कहा, "ये लोग हमारे देश के लिए अपने सपनों की कीमत चुका रहे थे। अब लौटते वक्त ने उनके आत्मसम्मान को पुनर्जीवित किया है।" उनके प्रति सहानुभूति और शांति का संदेश लोगों के दिलों में बसा हुआ है।
निष्कर्ष
अमेरिकी सेना द्वारा सफलतापूर्वक 112 अप्रवासी भारतीयों का विमानों द्वारा स्वदेश लौटाना एक महत्वपूर्ण घटना है। यह न केवल उन लोगों के लिए एक नई शुरूआत है, बल्कि यह दर्शाता है कि वैश्विक महामारी के बीच मानवता अब भी जीवित है। उनके अनुभव और कहानियाँ आगे चलकर प्रेरणा का स्रोत बनेंगी। उनके लौटने के बाद, उम्मीद की किरणें फिर से जागृत हुई हैं और एक नई यात्रा की शुरुआत हुई है।
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