Gairsain:-उत्तराखण्ड में जल संरक्षण की ऐतिहासिक पहल-गैरसैंण से शुरू हुआ भूजल पुनर्भरण का नया अध्याय

उत्तराखण्ड में जल संकट की चुनौती से निपटने के लिए आज एक ऐतिहासिक पहल का आगाज हुआ। विधानसभा भवन,भराड़ीसैंण में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी भूषण ने स्वामी राम विश्वविद्यालय,जौलीग्रांट के सहयोग से “डायरेक्ट इंजेक्शन जल स्रोत पुनर्भरण योजना” का शुभारंभ किया। इस अवसर पर वाइब्रेंट बर्ड ऑफ […] The post Gairsain:-उत्तराखण्ड में जल संरक्षण की ऐतिहासिक पहल-गैरसैंण से शुरू हुआ भूजल पुनर्भरण का नया अध्याय appeared first on संवाद जान्हवी.

Aug 20, 2025 - 00:37
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Gairsain:-उत्तराखण्ड में जल संरक्षण की ऐतिहासिक पहल-गैरसैंण से शुरू हुआ भूजल पुनर्भरण का नया अध्याय
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उत्तराखण्ड में जल संकट की चुनौती से निपटने के लिए आज एक ऐतिहासिक पहल का आगाज हुआ। विधानसभा भवन, भराड़ीसैंण में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी भूषण ने स्वामी राम विश्वविद्यालय, जौलीग्रांट के सहयोग से “डायरेक्ट इंजेक्शन जल स्रोत पुनर्भरण योजना” का शुभारंभ किया।

जल संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम

यह आयोजन न केवल राज्य के जल संकट को दूर करने की दिशा में एक जोरदार कदम है, बल्कि यह उत्तराखण्ड के समग्र पर्यावरण के संरक्षण के लिए भी एक महत्वपूर्ण पहल साबित हो सकता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस योजना को नवाचार का प्रतीक बताया और कहा कि आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर राज्य सरकार जल संकट को नियंत्रित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

जल संरक्षण हमारे भविष्य की जरूरत

विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी भूषण ने इस मौके पर कहा कि जल संरक्षण केवल पर्यावरणीय आवश्यकता नहीं, बल्कि उत्तराखण्ड की भविष्य की जीवनरेखा है। उन्होंने कहा कि यह योजना भविष्य की जल सुरक्षा का आधार बनेगी और उत्तराखण्ड में सतत जल प्रबंधन तथा जल संरक्षण में मील का पत्थर साबित होगी।

डायरेक्ट इंजेक्शन जल स्रोत पुनर्भरण योजना का विवरण

इस योजना के अंतर्गत उपचारित वर्षा जल को निष्क्रिय हैंडपंपों में इंजेक्ट कर भूजल स्तर को बढ़ाया जाएगा। इसे स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय, जौलीग्रांट के विशेषज्ञों द्वारा विकसित किया गया है। योजना के पहले चरण में ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण और चौखुटिया विकासखंडों के 20 चयनित हैंडपंपों को पुनर्भरण कर फिर से क्रियाशील बनाया जाएगा।

इस पहल से जल प्रबंधन के लिए एक स्थायी समाधान की दिशा में उन्नति होगी, जो सभी के लिए लाभदायक साबित होगी। कार्यक्रम के दौरान इस तकनीक के क्रियान्वयन में योगदान देने वाले विश्वविद्यालय की तकनीकी टीम, जिसमें प्रोफेसर एच.पी. उनियाल और अन्य सदस्य शामिल हैं, ने विस्तार से जानकारी प्रस्तुत की।

संस्थानिक सहयोग और जानकारी

8 जुलाई 2025 को अंतर्राष्ट्रीय संसदीय अध्ययन, शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान और स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के बीच एक MOU हस्ताक्षरित किया गया था, जिसके तहत यह प्रक्रिया शुरू की गई है। इस आयोजन के दौरान विश्वविद्यालय द्वारा बनाई गई एक डॉक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की गई, जिसमें गैरसैंण क्षेत्र के गांवों में लागू की गई तकनीक और उसके परिणामों का समावेश था।

कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख वक्ता

कार्यक्रम में वन मंत्री सुबोध उनियाल, कृषि मंत्री गणेश जोशी, विधायकगण, विभिन्न विभागों के सचिव एवं विधानसभा सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारी सहित स्वामी राम विश्वविद्यालय के अधिकारी भी मौजूद रहे।

निष्कर्ष

यह आयोजन न केवल जल संकट के समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने का प्रयास भी है।उत्तराखंड में जल संरक्षण के इस प्रयास से पूरे देश में एक संदेश देने की आवश्यकता है कि हमें जल का सही उपयोग करना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियों के पास भी जल की भरपूर उपलब्धता बनी रहे।

इस पहल से जुड़ी और अधिक जानकारी के लिए, कृपया हमारे वेबसाइट पर जाएँ: netaanagari.com.

लेखक की टीम: टीम नेटआनागरी

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