IIT कानपुर में PhD के छात्र ने लगाई फांसी, हॉस्टल के कमरे में फंदे से लटका मिला शव
आईआईटी कानपुर में पीएचडी के एक छात्र ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। छात्र केमिस्ट्री विभाग में पीएचडी कर रहा था।

IIT कानपुर में PhD के छात्र ने लगाई फांसी, हॉस्टल के कमरे में फंदे से लटका मिला शव
Netaa Nagari - कानपुर: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर में एक च shocking घटना घटित हुई है, जहां एक PhD छात्र ने हॉस्टल के कमरे में फांसी लगा ली। यह घटना मंगलवार की सुबह की है, जब छात्रों ने उसके शव को फंदे से लटका हुआ देखा। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और आत्महत्या के कारणों का पता लगाने की कोशिश कर रही है।
घटनास्थल की जानकारी
हॉस्टल के अधिकारियों और छात्रों के अनुसार, मृतक छात्र की पहचान 26 वर्षीय रमेश कुमार के रूप में हुई है। वह वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में अध्ययन कर रहा था। सूत्रों के मुताबिक, रमेश पिछले कुछ समय से मानसिक तनाव में था, जो उसके साथी छात्रों ने भी महसूस किया था। हालांकी, उसके स्वभाव में कोई भी तनाव या चिंता की स्थिति पहले से नहीं थी।
पुलिस का बयान
इस संबंध में सिटी पुलिस स्टेशन के निरीक्षक ने कहा, "हमें सूचित किया गया था कि एक छात्र ने आत्महत्या की है। हम मामले की जांच शुरू कर चुके हैं और यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि वह किन कारणों से तनाव में था।" पुलिस ने मृतक के परिजनों को सूचित किया है और उनकी प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही है।
छात्रों की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद, IIT कानपुर के छात्रों में शोक की लहर दौड़ गई है। कई छात्रों ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता को दर्शाती हैं। एक छात्रा ने कहा, "हमें एक-दूसरे की सहायता करने का प्रयास करना चाहिए, खासकर जब कोई दोस्त तनाव में हो।" इस घटना के बाद कई छात्रों ने आत्मसहायता व मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता बढ़ाने की मांग की है।
समर्थन प्रणाली का महत्व
विशेषज्ञों का मानना है कि शैक्षणिक संस्थानों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं को बढ़ावा देना चाहिए ताकि छात्रों को अपनी समस्याओं के बारे में खुलकर बात करने का अवसर मिले। IIT कानपुर में ऐसी सेवाओं की कमी बताई जा रही है, जिससे छात्रों को आवश्यकता पड़ने पर मदद नहीं मिल पा रही है।
निष्कर्ष
यह घटना न केवल IIT कानपुर बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है कि हमें विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। सभी संस्थानों को अपने छात्रों के कल्याण के लिए बेहतर तरीके अपनाने चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। छात्रों को अपने दर्द और संघर्षों के बारे में खुलकर बात करने का मौका मिलना चाहिए, ताकि वे इनसे निपट सकें।
Netaa Nagari टीम: साक्षी वर्मा, प्रियंका शर्मा
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