Delhi Assembly Election 2025: ‘वोट देना AAP को, जैसे दूध पिलाना…’; दलित-मुस्लिम वोट के लिए दिल्ली में कांग्रेस का पर्चे वाला दांव
Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव में शून्य की हैट्रिक से बचने के लिए कांग्रेस ने दलित और मुस्लिम वोटरों के ध्रुवीकरण के मकसद से बड़ी रणनीति बनाई है. अरविंद केजरीवाल को निशाने पर लेते हुए कांग्रेस ने दलित और मुस्लिम बहुल इलाकों में बांटने के लिए दो तरह के पर्चे बनवाए हैं. कांग्रेस की कोशिश यह संदेश देने की है कि दलित और मुस्लिम समाज के अहम मुद्दों को लेकर केजरीवाल का रुख बीजेपी जैसा ही रहता है. मुस्लिम वोटरों के बीच बांटने वाले पर्चे में लिखा है- वोट देना आप को, जैसा दूध पिलाना सांप को . इसमें दिल्ली दंगे के केजरीवाल की निष्क्रियता, इमामों के लंबित वेतन का मुद्दा उठाया गया है तो वहीं यह आरोप भी लगाया गया कि सीएए विरोधी प्रदर्शन और कोरोना के समय मरकज को लेकर बीजेपी और आम आदमी पार्टी का रुख एक जैसा था. केजरीवाल को आरक्षण और दलित विरोधी बताया वहीं, दलित वोटरों के लिए कांग्रेस ने जो पर्चा तैयार किया है, उसका शीर्षक है – एससी–एसटी की पीठ में किसने मारा खंजर? इसमें केजरीवाल को आरक्षण और दलित विरोधी बताया गया है. पर्चों से किनारा कर रही कांग्रेस चूंकि इस पर्चे के लिए चुनाव आयोग से इजाजत नहीं ली गई है इसलिए इस पर कांग्रेस का कोई जिक्र नहीं है. ना ही पार्टी ने इसे आधिकारिक रूप से साझा किया है, बल्कि आधिकारिक तौर पर कांग्रेस इन पर्चों से किनारा कर रही है, लेकिन एबीपी न्यूज को कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों से ही ये पर्चे मिले हैं. इसकी रणनीति कुछ दिनों पहले कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में बनी थी. दिल्ली में दलितों के लिए बारह सीटें आरक्षित हैं ये पर्चे दलित और मुस्लिम बहुल इलाकों में बड़े पैमाने पर बांटे जाएंगे. दिल्ली में दलितों के लिए बारह सीटें आरक्षित हैं. वहीं आधा दर्जन सीटें मुस्लिम बहुल हैं. आम आदमी पार्टी के आने से पहले ये कांग्रेस का स्थाई वोट बैंक हुआ करता था, जिसकी घर वापसी के लिए कांग्रेस बेताब है. कांग्रेस को लगता है कि यदि यह छवि बनी तो दलित और मुस्लिम वोट केजरीवाल से छिटक कर कांग्रेस को मिल सकता है. लित, मुस्लिम बहुल सीटों को प्राथमिकता दे रही कांग्रेस आम आदमी पार्टी ने अलावा दो सीटों पर ओवैसी की पार्टी ने भी कांग्रेस के सामने चुनौती बढ़ा दी है. कांग्रेस के बड़े नेताओं की सभाओं में भी दलित, मुस्लिम बहुल सीटों को प्राथमिकता दी जा रही है. पार्टी की कोशिशें रंग लाती है या नहीं ये नतीजों से ही पता चलेगा. यह भी पढ़ें- हमें नहीं लगता कोई जिंदा बचा है! वॉशिंगटन प्लेन क्रैश पर अधिकारी बोले- नदी से निकाले गए 28 शव

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025: ‘वोट देना AAP को, जैसे दूध पिलाना…’; दलित-मुस्लिम वोट के लिए दिल्ली में कांग्रेस का पर्चे वाला दांव
Netaa Nagari
लेखिका: सुमन गुप्ता, टीम Netaa Nagari
परिचय
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के आस-पास कांग्रेस पार्टी ने एक नया पर्चा अभियान शुरू किया है जो दलित और मुस्लिम वोटरों को लक्षित करता है। इस अभियान का नारा है, "वोट देना AAP को, जैसे दूध पिलाना…" जिससे यह समझाते हुए प्रेरित किया गया है कि कांग्रेस के विकास की नीतियों को अपनाने से बेहतर परिणाम मिलेंगे।
क्यों है कांग्रेस का यह दांव?
कांग्रेस पार्टी ने यह दांव इसलिए लगाया है क्योंकि पिछले चुनावों में उन्हें दलित और मुस्लिम समुदायों के वोटों में कमी देखने को मिली थी। इस बार, पार्टी ने अपने पुराने वादों का ध्यान दिलाते हुए एक नई रणनीति बनाई है। इससे पहले कांग्रेस मुस्लिम वोट बैंक को लेकर और भी अधिक गंभीरता से सोचने के लिए मजबूर हुई थी।
पर्चे का सामग्री और संदेश
कांग्रेस के पर्चों में दिल्ली की वर्तमान स्थिति, विकास कार्यों, और पार्टी की योजनाओं का उल्लेख किया गया है। इसमें खासतौर पर केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना की गई है और बताया गया है कि कैसे AAP सरकार का प्रदर्शन वास्तव में जनता के लिए हानिकारक रहा है।
दलित-मुस्लिम वोट का महत्व
दिल्ली में दलित और मुस्लिम समुदायों की संख्या काफी महत्वपूर्ण है। इन दोनों समुदायों के वोटों के बिना कोई भी पार्टी सत्ता में नहीं आ सकती। इसलिए, कांग्रेस ने इस बार विशेष रूप से इन समुदायों के बीच अपनी पैठ बनाने की योजना बनाई है।
सफलता की संभावनाएँ
कांग्रेस को उम्मीद है कि इस पर्चे अभियान के माध्यम से वह अपनी खोई हुई स्थिति को पुनः प्रस्थापित कर सकेगी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम कांग्रेस के लिए लाभकारी साबित हो सकता है, यदि उन्हें अपनी रणनीति को सही तरीके से लागू करने में सफलता मिलती है।
निष्कर्ष
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस का यह पर्चा दांव न केवल पार्टी की रणनीति को दर्शाता है, बल्कि यह दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव लाने का भी संकेत देता है। आगे क्या होगा, यह तो चुनाव के नतीजों पर निर्भर करेगा, लेकिन कांग्रेस ने अपने भाग्य को जोड़ने के लिए एक मजबूत कदम उठाया है। इस बार की चुनावी रणनीतियाँ लोकतंत्र के विवेक को और भी मजबूती प्रदान करेंगी।
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