AAP से क्यों हो रहा मोहभंग? 7 विधायकों ने पार्टी से दिया इस्तीफा, बता दी दूरी बनाने की वजह
Delhi Assembly Elections 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पांच दिन पहले आम आदमी पार्टी (आप) को बड़ा झटका लगा है. सात विधायकों ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. आम आदमी पार्टी के लिए सबसे बड़ा झटका पालम विधायक भावना गौड़ के रूप में लगा है. भावना गौड़ ने आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को भेजे गए पत्र में कहा है कि वो विश्वास की कमी के कारण इस्तीफा दे रही हैं. भावना गौड़ ने पत्र में कही ये बात भावना गौड़ ने आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को भेजे गए पत्र में लिखा, "मैं आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रही हूं क्योंकि मेरा आप और पार्टी पर से भरोसा उठ गया है. कृपया इसे स्वीकार करें." उनके अलावा AAP से इस्तीफा देने वाले अन्य छह मौजूदा विधायक महरौली से नरेश यादव, जनकपुरी से राजेश ऋषि, कस्तूरबा नगर से मदन लाल, त्रिलोकपुरी से रोहित महरौलिया, बिजवासन से बीएस जून और आदर्श नगर से पवन शर्मा हैं. गौरतलब है कि यह कदम आगामी 5 फरवरी को होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए सात मौजूदा विधायकों को आप का टिकट देने से इनकार किए जाने के बाद उठाया गया है. नरेश यादव का कटा टिकट नरेश यादव को पहले महरौली सीट से आप का उम्मीदवार चुना गया था. लेकिन बाद में दिसंबर में पंजाब की एक अदालत ने बेअदबी के मामले में दोषी ठहराया था और दो साल की जेल की सजा सुनाई थी. जब आप ने दिल्ली चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की पांचवीं सूची जारी की तो नरेश यादव की जगह महेंद्र चौधरी को महरौली का नया उम्मीदवार बनाया गया. वहीं, आदर्श नगर से मुकेश गोयल, जनकपुरी से प्रवीण कुमार, बिजवासन से सुरेंद्र भारद्वाज और पालम से जोगिंदर सोलंकी को उम्मीदवार बनाया है. दिल्ली में चुनाव 5 फरवरी को होंगे और नतीजे 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे.

AAP से क्यों हो रहा मोहभंग? 7 विधायकों ने पार्टी से दिया इस्तीफा, बता दी दूरी बनाने की वजह
Netaa Nagari की इस खास रिपोर्ट में हम जानेंगे कि आम आदमी पार्टी (AAP) के 7 विधायकों ने क्यों पार्टी से इस्तीफा दिया है। यह घटनाक्रम पार्टी की छवि और भविष्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।
पार्टी में बढ़ता असंतोष
आम आदमी पार्टी में केवल कार्यकर्ता ही नहीं, बल्कि कुछ प्रमुख नेता भी असंतोष का सामना कर रहे हैं। हाल ही में, 7 विधायकों ने पार्टी से अपना नाता तोड़ने का निर्णय लिया है। इन विधायकों का दावा है कि पार्टी के भीतर फैसले लेने की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है। उन्हें अपनी बात कहने का मंच नहीं मिल रहा था, जिससे वे निराश हो गए।
इस्तीफे का कारण
विधायकों ने अपने इस्तीफे में कहा है कि पार्टी की कल की रणनीति में बदलाव और नेताओं के प्रति बढ़ता उपेक्षा का भाव ही उनकी दूरी बनाने की वजह है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें अब अपने चुनावी कार्यकर्ताओं की चिंता है, जो पार्टी की मौजूदा नीति से असहमत हैं। उनका मानना है कि बिना किसी बातचीत के निर्णय लेना गलत है।
आम आदमी पार्टी की भविष्य की दिशा
अगर हम देखें तो आम आदमी पार्टी का यह मूवमेंट मुश्किलों में घिरता नजर आता है। विशेषकर दिल्ली की राजनीति में, जहाँ AAP ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी छवि बनाई है। इन विधायकों का इस्तीफा, पार्टी के लिए एक चेतावनी हो सकती है कि यदि जल्दी ही सुधार नहीं किए गए तो और भी नेता पार्टी छोड़ सकते हैं।
निष्कर्ष
आम आदमी पार्टी के 7 विधायकों का इस्तीफा केवल एक घटना नहीं है, बल्कि यह पार्टी के अंदर मौजूद असंतोष और निर्भरता को दर्शाता है। अगर AAP को फिर से अपने विधायक और कार्यकर्ताओं का समर्थन प्राप्त करना है, तो उसे अपनी नीतियों का पुनर्मूल्यांकन करना होगा।
संक्षेप में, "kam sabdo me kahein to" आम आदमी पार्टी को अपनी कार्यशैली में बदलाव की आवश्यकता है, नहीं तो आने वाले चुनावों में उसे कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।
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