800 साल पुराना दिल्ली का यह मंदिर, जहां रुद्राभिषेक के लिए जुटते है हजारों भक्त
Mahashivratri 2025: हिंदू धर्म में देवों के देव महादेव का विशेष स्थान है. उनकी पूजा के लिए महाशिवरात्रि का दिन बहुत ही खास होता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की शादी हुई थी. इस दिन दिल्ली के विभिन्न शिव मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है. सुबह से ही मंदिर प्रांगण 'ओम नम: शिवाय' के मंत्रोच्चारण गूंज उठता है. दिल्ली के चांदनी चौक स्थित गौरी-शंकर मंदिर में भी महाशिवरात्रि की तैयारी चल रही है. महाशिवरात्रि के मौके पर इस पौराणिक और प्रसिद्ध मंदिर को फूलों से सजाया जाता है. मुख्य द्वार से लेकर मंदिर तक फूलों की शानदार सजावट के साथ विभिन्न प्रकार की लाइटों से पूरे मंदिर को रौशन कर दिया जाता है. आम दिनों में भी इस मंदिर में काफी भीड़ होती है, लेकिन महाशिवरात्रि का मौका कुछ खास ही होता है. इस दिन भक्त शिव और गौरी की पूजा-अर्चना के लिए सुबह 5 बजे से ही लाइन लगाना शुरू कर देते हैं और पूरे पारंपरिक तरीके से भगवान नीलकंठ और माता पार्वती की पूजा कर उनका जलाभिषेक करते हैं और भांग-धतूरे और बेल-पत्र आदि चढ़ाते हैं. जिससे उनकी प्रसन्नता उन्हें प्राप्त हो और उन्हें उनका मनचाहा आशीर्वाद प्राप्त हो. यहां पूरी होती हैं मन्नतें श्रद्धालुओं का मानना है कि, यहां मांगी गई इच्छाएं हमेशा से ही पूरी होती आई हैं इसलिए लोग अपनी कामनाओं की पूर्ति के आशीर्वाद के लिए श्रद्धा-भाव से भोले शंकर और माता गौरी की पूजा करने के लिए यहां आते हैं. देर शाम तक मंदिर में भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा और आरती यहां की जाएगी. साथ ही भजन-कीर्तन और रुद्राभिषेक का आयोजन किया जाएगा. महादेव की विशेष पूजा के बाद श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का भी वितरण किया जाएगा. मंदिर में विराजमान नंदी के कानों में भी लोग अपनी अर्जी देते हैं, जिससे कि महादेव जल्दी प्रसन्न हो कर उनकी फरियाद को पूरा कर दें. 800 साल पुराना है गौरी-शंकर मंदिर का इतिहास मंदिर के इतिहास की तो यह 800 साल पुराना है. ये मंदिर उस वक़्त से स्थित है, जब कभी यहां से यमुना नदी बहा करती थी. पौराणिक होने के कारण ये मंदिर भोले के भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बन गया है, इसलिए दिल्ली ही नहीं दूर-दूर से भी भक्तगण यहां उनके दर्शन-पूजन के लिए पहुंचते है. यह मंदिर सभी दिन खुला रहता है. इस मंदिर में गणेश जी और राधा-कृष्ण की भी मूर्तियां हैं. इस मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे नज़दीकी मेट्रो स्टेशन लाल किला है. इस प्राचीन मंदिर के अलावा दिल्ली में और भी ऐसे प्रसिद्ध मंदिर हैं जिनमें इस दिन काफी भीड़ रहती है और लोग भारी संख्या में महादेव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं. उनमें प्राचीन नील छत्री मंदिर, मंगल महादेव बिरला कानन, श्री शिव दुर्गा मंदिर औऱ गुफा वाला मंदिर शामिल हैं. प्राचीन नील छत्री मंदिर दिल्ली के यमुना बाजार में स्थित नीली छत्री मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है. ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर महाभारत काल से यहां मौजूद है, जिसकी स्थापना पांडवों के बड़े भाई युधिष्ठिर ने की थी. शिवरात्रि के दिन यहां भी भक्तों का तांता लगा रहता है. मंगल महादेव बिरला कानन रंगपुरी का खूबसूरत शिव मंदिर जिसे मंगल महादेव बिरला कानन मंदिर के नाम से जाना जाता है, जहां भगवान शिव की 100 फीट ऊंची मूर्ति मौजूद है. भगवान भोलेनाथ के अलावा आप यहां माता पार्वती, कार्तिकेय समेत अन्य देवी-देवताओं के दर्शन भी सकते हैं. श्री शिव दुर्गा मंदिर पंजाबी बाग स्थित श्री शिव दुर्गा मंदिर की स्थापना साल 1983 में हुई थी. यहां हर साल महाशिवरात्रि के मौके पर भक्तों का तांता लगा रहता है. अगर आप भी इस खास दिन भोलेबाबा की भक्ति में लीन होना चाहते हैं, तो इस मंदिर जरूर जाएं. गुफा वाला मंदिर दिल्ली के प्रीत विहार स्थित गुफा वाला मंदिर में भी शिवरात्रि के मौके पर पूजन-दर्शन करने के लिए आप जा सकते हैं. इस मंदिर की खासियत यह है कि आप यहां एक साथ 12 ज्योतिर्लिंग और माता वैष्णों देवी के भी दर्शन कर सकते हैं. ये भी पढ़ें - Sajjan Kumar Verdict: सिख दंगा केस में कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को उम्रकैद, कहा- 'मैं 80 साल का हो चला हूं और...'

800 साल पुराना दिल्ली का यह मंदिर, जहां रुद्राभिषेक के लिए जुटते है हजारों भक्त
Netaa Nagari
दिल्ली में स्थित एक प्राचीन मंदिर, जिसका इतिहास लगभग 800 साल पुराना है, आज भी श्रद्धालुओं के बीच अपनी अनोखी महत्ता रखता है। यह मंदिर विशेष रूप से रुद्राभिषेक के लिए मशहूर है, जिसमें हर साल हजारों भक्त अपनी आस्था के साथ इकट्ठा होते हैं। चलिए जानते हैं इस अद्भुत मंदिर के इतिहास और यहाँ के विशेष आयोजनों के बारे में।
मंदिर का इतिहास और महत्व
इस मंदिर का निर्माण 13वीं सदी में किया गया था, और यह दिल्ली के सबसे प्राचीन धार्मिक स्थलों में से एक है। यहाँ भगवान शिव के रुद्र स्वरूप की पूजा की जाती है, जो न केवल भक्तों को आस्था का अहसास कराता है, बल्कि मानसिक शांति और स्वास्थ्य की أيضًا प्रार्थना कराता है। मंदिर के पुरातात्विक महत्व के चलते यहाँ आस्थावान लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है।
रुद्राभिषेक का आयोजन
रुद्राभिषेक एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें शिवलिंग पर जल और अन्य सामग्री अर्पित की जाती है। हर सोमवार को यहाँ विशेष रुद्राभिषेक का आयोजन होता है, जिसमें भक्तजन अपनी परिवार की भलाई के लिए प्रार्थना करने आते हैं। इस समारोह में शामिल होने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। आस्था के साथ-साथ यह समय भक्तों के लिए एक सामाजिक मिलन भी होता है।
विशेष अवसरों पर उपासना
शिवरात्रि जैसे विशेष अवसरों पर यहाँ का माहौल और भी अद्भुत हो जाता है। भक्तजन रात भर जागकर भजन-संगीत करते हैं और शिवजी की आराधना करते हैं। इस दिन भक्तों की संख्या दोगुनी हो जाती है, जिससे मंदिर परिसर भक्ति के रंग में रंग जाता है। यहाँ भव्य आयोजन की तैयारी की जाती है, जिसमें विशेष पूजा और भंडारे का भी आयोजन होता है।
मंदिर का दर्शन और स्थानीय संस्कृति
मंदिर में हर दिन भक्तों का एक अलग ही ताँता लगा रहता है। दर्शनों के साथ-साथ यहाँ की स्थानीय संस्कृति भी देखने लायक है। मंदिर के आसपास विभिन्न प्रकार की दुकानें और खाद्य stalls हैं, जहाँ पर भक्त आस्था के साथ खरीदारी करते हैं। स्थानीय लोगों की मेहमाननवाज़ी इस मंदिर के आकर्षण को और बढ़ा देती है।
निष्कर्ष
इस 800 साल पुराने मंदिर की महत्ता न केवल धार्मिक आस्था में है, बल्कि यह अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहलुओं के लिए भी जाना जाता है। भक्तों का यहाँ जुटना इस बात का प्रमाण है कि आज भी प्राचीन देवताओं में विश्वास कायम है। अगर आप दिल्ली में हैं या यहाँ आने की योजना बना रहे हैं, तो इस मंदिर का दर्शन करना न भूलें।
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