'हालात पक्ष में हों तो नाचने की जरूरत नहीं', दिल्ली में BJP की जीत पर मदनी की मुसलमानों को सलाह

दिल्ली में भाजपा को मिली जीत के बाद जमीयत उलेमा ए हिन्द के अध्यक्ष महमूद मदनी ने मुसलमानों को कहा है हालात पक्ष में हो तो नाचने की जरूरत नहीं, औऱ खिलाफ़ हो तो गमगीन होने की जरूरत नहीं है।

Feb 11, 2025 - 14:37
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'हालात पक्ष में हों तो नाचने की जरूरत नहीं', दिल्ली में BJP की जीत पर मदनी की मुसलमानों को सलाह
'हालात पक्ष में हों तो नाचने की जरूरत नहीं', दिल्ली में BJP की जीत पर मदनी की मुसलमानों को सलाह

हालात पक्ष में हों तो नाचने की जरूरत नहीं', दिल्ली में BJP की जीत पर मदनी की मुसलमानों को सलाह

लेखिका: साक्षी शर्मा, टीम नेतानगरी

दिल्ली में भाजपा की एक बार फिर सरकार बनने के बाद, मौलाना सआदतullah मदनी ने अपने विचार साझा किए हैं। उनका कहना है कि जब हालात आपके पक्ष में हों, तो किसी प्रकार का दिखावा करने की आवश्यकता नहीं होती। उन्होंने मुसलमानों को यह सलाह दी है कि वे अपने हक को समझें और उसी के अनुसार चलें।

भाजपा की जीत का क्या मतलब?

दिल्ली में भाजपा ने विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से बड़ी जीत हासिल की है। इस जीत से कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। क्या यह जीत भारत की राजनीति की दिशा को बदल देगी? क्या मुसलमानों को इस बदलाव का ध्यान रखना चाहिए?

मदनी का नजरिया

मदरसा दारुल उलूम के मौलाना मदनी ने कहा, “जब स्थितियाँ आपके अनुकूल हैं, तो आवश्यकता नहीं है कि आप जश्न मनाएं या किसी प्रकार का प्रदर्शन करें।” उनका मानना है कि मुसलमानों को अपनी ताकत को पहचानना चाहिए और उस पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

आंदोलन की आवश्यकता

मदनी ने यह भी कहा कि अगर मुसलमान अपने हक के लिए संघर्ष करते हैं, तो उनकी आवाज़ को सुना जाएगा। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे चुनावी राजनीति में सक्रिय भागीदारी निभाएं।

संकीर्णता से बचना जरूरी

उनका एक महत्वपूर्ण संदेश यह है कि संकीर्णता से दूर रहना आवश्यक है। उन्हें इस बात का स्वागत करना चाहिए कि जो लोग चुनावी प्रक्रिया में भाग लेते हैं, वे जिम्मेदारी और सामर्थ्य से सक्रिय रहेंगे।

निष्कर्ष

दिल्ली में भाजपा की जीत पर मदनी की टिप्पणियाँ इस बात की दर्शाती हैं कि मुसलमानों को सोच समझकर अपने कदम उठाने की आवश्यकता है। हालात का सही मूल्यांकन करके, वे अपने और समुदाय के भीतर एक मजबूत पहचान बना सकते हैं। चुनावी राजनीति में भागीदारी और अपनी आवाज़ को मजबूती से रखने की आवश्यकता है।

इस प्रकार, यह कहा जा सकता है कि मुसलमानों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना चाहिए और किसी भी प्रकार के दिखावे से बचना चाहिए।

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