सुप्रीम कोर्ट बोला- केंद्र जल्द नए स्पेशल पॉक्सो कोर्ट बनाए:300 पेंडिंग केस वाले जिलों को प्राथमिकता दें; इनकी कमी से मामले निपटाने में देर हो रही
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सरकार को निर्देश दिया कि वह बच्चों के विरुद्ध यौन अपराधों के मामलों से निपटने के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर POCSO कोर्ट बनाए। कोर्ट ने कहा कि कई राज्यों ने स्पेशल POCSO कोर्ट बनाए हैं, लेकिन तमिलनाडु, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में केस पेंडेंसी के चलते और ज्यादा कोर्ट बनाए जाने की जरूरत है। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पीबी वराले की बेंच ने कहा कि यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के मामलों के लिए स्पेशल कोर्ट कम होने के कारण मामले की जांच करने के लिए डेडलाइन का पालन नहीं हो पा रहा है। कोर्ट ने पॉक्सो केस के लिए निर्धारित डेडलाइन के अंदर ट्रायल पूरा करने के अलावा निर्धारित अवधि के भीतर चार्जशीट दाखिल करने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने मांगी थी पेंडिंग केस की जानकारी सुप्रीम कोर्ट ने सीनियर एडवोकेट और एमिकस क्यूरी वी गिरी और सीनियर एडवोकेट उत्तरा बब्बर को POCSO कोर्ट की स्थिति पर राज्यवार डीटेल देने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें उसने "बाल बलात्कार की घटनाओं की संख्या में खतरनाक वृद्धि" को हाइलाइट करते हुए एक्शन लिया था। कोर्ट ने राज्य सरकारों से उन जिलों में दो कोर्ट बनाने को कहा जहां POCSO अधिनियम के तहत बाल शोषण के पेंडिंग मामलों की संख्या 300 से ज्यादा है। कोर्ट ने कहा POCSO एक्ट के तहत 100 से ज्यादा FIR वाले हर जिले में एक कोर्ट बनाने के जुलाई 2019 के निर्देश का मतलब था कि डेजिगनेटेड कोर्ट केवल कानून के तहत ऐसे मामलों से निपटेगा। POCSO के मामलों से जुड़े आंकड़े सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें.... 500 करोड़ के बांके बिहारी कॉरिडोर को SC की मंजूरी: पैसा मंदिर के खजाने से लिया जाएगा बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर बनाने को लेकर रास्ता साफ हो गया है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कॉरिडोर बनाने की मंजूरी दे दी। अब 5 एकड़ में भव्य कॉरिडोर बनाया जाएगा। कोर्ट ने यूपी सरकार को मंदिर के 500 करोड़ रुपए से कॉरिडोर के लिए मंदिर के पास 5 एकड़ जमीन अधिगृहीत करने की इजाजत दी है। साथ ही शर्त लगाई कि अधिगृहीत भूमि देवता के नाम पर पंजीकृत होगी। पढ़ें पूरी खबर...

सुप्रीम कोर्ट बोला- केंद्र जल्द नए स्पेशल पॉक्सो कोर्ट बनाए:300 पेंडिंग केस वाले जिलों को प्राथमिकता दें; इनकी कमी से मामले निपटाने में देर हो रही
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार को आदेश दिया कि वह बच्चों के विरुद्ध यौन अपराधों के मामलों को सुलझाने में तेजी लाने के लिए विशेष POCSO (Protection of Children from Sexual Offences) कोर्ट बनाने की पहल करे। अदालत का मानना है कि इस दिशा में कार्रवाई किए बिना, बच्चों के यौन शोषण से जुड़े मामलों में देरी होती रहेगी, जो एक गंभीर समस्या बन चुकी है।
विशेष न्यायालयों की आवश्यकता
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पीबी वराले की बेंच ने विशेष रूप से उन जिलों को चिन्हित किया है जहां POCSO अधिनियम के अंतर्गत 300 से अधिक पेंडिंग मामले हैं। अदालत ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में, जैसे कि तमिलनाडु, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और महाराष्ट्र, में विशेष कोर्ट बनाने की अत्यंत आवश्यकता है।
मामलों की लंबितता और उसके प्रभाव
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि POCSO मामलों की लंबितता के कारण न्यायालयों में मामलों का निपटारा समय पर नहीं हो पा रहा है। इस वजह से केस में देरी न केवल न्याय की गति को प्रभावित कर रही है बल्कि बच्चों के यौन शोषण के मामलों में उत्पन्न होने वाली समस्याओं को और बढ़ा रही है। अदालत ने निर्देश दिया कि मामलों की सुनवाई के लिए समय सीमा का पालन करना आवश्यक है।
सुप्रीम कोर्ट का सुझाव
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि POCSO एक्ट के तहत जिन जिलों में 100 से अधिक FIR दर्ज की गई हैं, वहां एक विशेष कोर्ट की व्यवस्था की जाए। इससे मामलों का त्वरित निपटारा संभव हो सकेगा। अदालत ने यह भी सीनियर एडवोकेट और एमिकस क्यूरी को पेंडिंग केस की जानकारी के लिए निर्देशित किया।
बच्चों की सुरक्षा के प्रति ज़िम्मेदारी
यह आदेश उस समय आया है जब सुप्रीम कोर्ट एक याचिका की सुनवाई कर रहा था, जिसमें "बाल बलात्कार की घटनाओं की संख्या में खतरनाक वृद्धि" का उल्लेख किया गया था। इस प्रकार के मामलों से निपटने के लिए सरकार की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में त्वरित न्याय आवश्यक है, ताकि संतान की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट का यह कदम न सिर्फ बच्चों की सुरक्षा के प्रति सरकार की जिम्मेदारियों को रेखांकित करता है, बल्कि न्यायपालिका द्वारा सक्रियता से निष्पादन की भी आवश्यकता बताता है। POCSO कोर्ट की संख्या में वृद्धि से न केवल केस की पेंडेंसी कम होगी, बल्कि बच्चों के अधिकारों की रक्षा भी होगी। सरकार को इस दिशा में त्वरित कदम उठाने होंगे, ताकि बच्चों के खिलाफ हो रहे यौन अपराधों की फौरी गति से सुनवाई हो सके।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस दिशा में किए गए प्रयासों का न केवल व्यापक सामाजिक असर होगा, बल्कि यह एक सकारात्मक संकेत भी देगा कि भारत अपने अनमोल भविष्य के लिए चिंतित है।
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