कानूनी पेशे में सच्चाई की कमी परेशान करती है:फेयरवेल में बोले CJI संजीव खन्ना- रिटायरमेंट के बाद कोई आधिकारिक पद नहीं लूंगा
भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा है कि वे रिटायरमेंट के बाद कोई आधिकारिक पद नहीं लेंगे, लेकिन वे कानून के क्षेत्र में अपना काम जारी रखेंगे। 18 जनवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत हुए जस्टिस खन्ना को 11 नवंबर 2024 को CJI नियुक्त किया गया था। मंगलवार को बतौर CJI सुप्रीम कोर्ट में उनका आखिरी वर्किंग डे था। अपनी फेयरवेल स्पीच में CJI खन्ना ने कहा कि कानूनी पेशे में सच की कमी उन्हें परेशान करती है। उन्होंने यह भी कहा कि एक जज का रोल कोर्ट पर हावी होना नहीं है, लेकिन आत्मसमर्पण करना भी नहीं है। CJI खन्ना बोले- तीसरी पारी खेलूंगा, लेकिन कानून के पेशे में रहकर सेरेमोनियल बेंच के बाद सीजेआई ने पत्रकारों से मुलाकात की। उन्होंने कहा, मैं रिटायरमेंट के बाद कोई पद नहीं लूंगा। शायद कानून के क्षेत्र में कुछ करूंगा। CJI ने कहा कि मैं तीसरी पारी खेलूंगा और कानून से जुड़ा कुछ करूंगा। एक वकील और जज के रूप में अपने 42 साल के करियर पर लग रहे विराम को लेकर CJI खन्ना ने कहा कि वे अपने अंदर के जज से छुटकारा पाने के लिए उत्सुक थे। और रिटायरमेंट को एक नए जीवन की शुरुआत की तरह महसूस कर रहे हैं। जस्टिस बीआर गवई होंगे अगले CJI CJI संजीव खन्ना ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस बीआर गवई के नाम की आधिकारिक सिफारिश की थी। उनके नाम को मंजूरी के लिए केंद्रीय कानून मंत्रालय को भेज दिया गया था। इसके साथ ही जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश होंगे। मौजूदा CJI संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई को खत्म हो गया। 14 मई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जस्टिस गवई को शपथ दिलाएंगी। फेयरवेल के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना ने जस्टिस गवई की शैली ऐसी जिसकी मैं हमेशा प्रशंसा करता रहा हूं। वे मिलनसार हैं। कोई झंझट नहीं, कोई जटिलता नहीं, वे सरल रहते हैं। उनकी प्रतिभा बिना दिखावे के आती है, वे वही हैं जो वे हैं। न्यायालय बेहतर हाथों में होगा। कोर्ट से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... महिलाओं का रेप, 9 दोषियों को आजीवन कारावास: वीडियो बनाया, 2 साल तक ब्लैकमेल कर रेप किया; तमिलनाडु के पोल्लाची यौन उत्पीड़न केस में फैसला तमिलनाडु के पोल्लाची यौन उत्पीड़न मामले में कोयंबटूर महिला अदालत ने मंगलवार को 9 लोगों को मौत तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने आज सुबह ही सभी को दोषी ठहराया था। जज आर नंदिनी देवी ने इन्हें गैंगरेप और बार-बार रेप का दोषी पाया। कोर्ट ने पीड़ित महिलाओं को कुल 85 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है। 9 दोषियों ने 2016 से 2018 के दौरान कई महिलाओं का यौन शोषण किया था। पढ़ें पूरी खबर...

कानूनी पेशे में सच्चाई की कमी परेशान करती है: फेयरवेल में बोले CJI संजीव खन्ना- रिटायरमेंट के बाद कोई आधिकारिक पद नहीं लूंगा
Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - netaanagari
नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कल हुए एक विदाई समारोह में कानूनी पेशे में सच्चाई की कमी के बारे में चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और ईमानदारी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन हाल के घटनाक्रमों ने इसे एक चुनौती बना दिया है। उन्होंने अपने रिटायरमेंट के बाद कोई भी आधिकारिक पद नहीं स्वीकार करने का भी निर्णय लिया है, जिससे उनकी व्यक्तिगत और पेशेवर इमानदारी की मिसाल स्थापित होती है।
कानूनी पेशे में सच्चाई की कमी
मुख्य न्यायाधीश ने प्रस्तुत भाषण में कहा कि कई मामलों में कानूनी पेशे में मूल्य और नैतिकता की कमी देखने को मिल रही है। उन्होंने इसे न्याय प्रणाली के स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी समस्या के रूप में वर्णित किया। उन्होंने यह भी बताया कि सत्य की अनुपस्थिति से ना केवल कानून के मामले प्रभावित होते हैं, बल्कि आम जनता के विश्वास पर भी असर पड़ा है। इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने सभी कानूनी पेशेवरों से नैतिकता और पारदर्शिता की अधिवक्ता करने की अपील की।
CJI संजीव खन्ना का रिटायरमेंट
संजीव खन्ना की विदाई समारोह में उन्होंने अपने करियर के अनुभव साझा किए, जिसके दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों में निर्णय लिए। रिटायर होते वक्त उनका यह कहना कि वे आगे किसी राजनीतिक या आधिकारिक पद को नहीं स्वीकारेंगे, यह दर्शाता है कि उनका प्राथमिक फोकस अब न्याय प्रणाली में सुधार लाने पर रहेगा। यह निर्णय बहुत से कानूनी और राजनीतिक विशेषज्ञों के लिए सकारात्मक संदेश है।
भविष्य की दिशा
मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि वर्तमान समय में कनूनी प्रणाली में सुधार की अवश्यकता है। उन्होंने न्यायपालिका के लिए एक नया दृष्टिकोण अपनाने का समय बतलाया, जिसमें कानूनी पेशेवरों को सच्चाई और ईमानदारी के उच्च मानकों पर चलने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इससे न्याय प्रक्रिया में गुणात्मक सुधार हो सकेगा, जो कि समाज में विश्वास को बढ़ावा देने में सहायक होगा।
निष्कर्ष
CJI संजीव खन्ना की विदाई और उनके विचार निश्चित रूप से कानूनी क्षेत्र में एक नई चर्चा की शुरुआत करेंगे। उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे, विशेषकर कानूनी पेशे में सच्चाई की कमी, हमारी न्यायिक प्रणाली के लिए एक परिक्षण है। अगर हम इसे सही तरीके से संभालेंगे, तो इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे, जिससे आम जनता का न्याय प्रणाली पर विश्वास बढ़ेगा। सभी कानूनी पेशेवरों को CJI के दृष्टिकोण से सीखने की आवश्यकता है और कानूनी नैतिकता को सर्वोपरि रखने की दिशा में काम करना चाहिए।
लेखिका: साक्षी शर्मा, सुलोचना गुप्ता, दीप्ति नायर, टीम नेटानागरी
Keywords
legal profession, CJI Sanjeev Khanna, retirement, truth in law, judiciary independence, India news, legal ethics, news updates, judiciary reformWhat's Your Reaction?






