सोनिया गांधी ने द्रौपदी मुर्मू पर की विवादित टिप्पणी, जवाब देते हुए राष्ट्रपति भवन ने कहा- ''Poor Taste''

संसद में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संबोधन पर कांग्रेस सोनिया गांधी के बयान से राजनीतिक घमासान मच गया है। भाजपा ने कांग्रेस से माफी की मांग की है, तो वहीं अब इस मामले पर राष्ट्रपति भवन ने भी बयान जारी किया है।

Jan 31, 2025 - 17:37
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सोनिया गांधी ने द्रौपदी मुर्मू पर की विवादित टिप्पणी, जवाब देते हुए राष्ट्रपति भवन ने कहा- ''Poor Taste''
सोनिया गांधी ने द्रौपदी मुर्मू पर की विवादित टिप्पणी, जवाब देते हुए राष्ट्रपति भवन ने कहा- ''Poor Taste''

सोनिया गांधी ने द्रौपदी मुर्मू पर की विवादित टिप्पणी, जवाब देते हुए राष्ट्रपति भवन ने कहा- ''Poor Taste''

Netaa Nagari द्वारा प्रस्तुत: इस राजनीतिक घटनाक्रम ने पिछले कुछ दिनों से भारतीय राजनीति में हलचल मचाई है। कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी ने आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू पर की गई एक टिप्पणी के लिए आलोचना का सामना किया है। इस पर राष्ट्रपति भवन ने एक बयान जारी करते हुए इसे ''Poor Taste'' की संज्ञा दी।

आधिकारिक बयान

सोनिया गांधी द्वारा की गई टिप्पणी पर राष्ट्रपति भवन का स्पष्ट जवाब आया है। राष्ट्रपति भवन ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "जब कोई राष्ट्र का नेता इस प्रकार की भाषा का प्रयोग करता है, तो यह स्थिति को और अधिक जटिल बना देता है। यह न केवल द्रौपदी मुर्मू के प्रति disrespect है, बल्कि इससे आदिवासी समुदाय की भावनाएँ भी आहत होती हैं।"

राजनीतिक पृष्ठभूमि

सोनिया गांधी की टिप्पणी उस समय आई जब द्रौपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनीं। उनके इस कदम को भारतीय राजनीति में ऐतिहासिक माना गया था। ऐसे में गांधीजी द्वारा की गई टिप्पणी ने कई राजनीतिक दलों के बीच विवाद को जन्म दिया। कांग्रेस पार्टी ने दावा किया कि यह बयान उनके व्यक्तिगत विचार हैं, जबकि अन्य राजनीतिक दलों ने इसे गलत बताते हुए भारी विरोध किया।

बाहरी प्रतिक्रियाएँ

राजनीतिक विश्लेषकों द्वारा स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कई नेताओं ने भी अपनी प्रतिक्रियाएँ दी हैं। भाजपा के प्रवक्ता ने दावा किया, "सोनिया गांधी का यह बयान न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भी नुकसान पहुँचाता है। जबकि हमें सबको साथ मिलकर चलना चाहिए।"

वहीं, कुछ संगठनों ने इस विवाद को लेकर प्रदर्शन करना भी शुरू कर दिया है। उन्होंने मांग की है कि सोनिया गांधी सार्वजनिक रूप से अपने बयान के लिए माफी मांगे। समाज के अन्य वर्गों ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखी है, जो कि लोकतंत्र की स्वस्थ बहस के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

निष्कर्ष

जैसे-जैसे इस मुद्दे पर चर्चा बढ़ती जा रही है, यह स्पष्ट हो रहा है कि राजनीति में ऐसे विवादित बयान केवल व्यक्तिगत आक्षेप नहीं होते, बल्कि ये समाज के विभिन्न वर्गों को भी प्रभावित करते हैं। द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने से आदिवासी समुदाय को मिली पहचान को बरकरार रखना अब नेताओं की जिम्मेदारी है। आने वाले दिनों में इस विवाद का क्या परिणाम होगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

kam sabdo me kahein to, सोनिया गांधी की टिप्पणी और राष्ट्रपति भवन का जवाब एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

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