लखनऊ: पुलिसकर्मियों पर दर्ज डकैती मामले की केस डायरी गुम, पूर्व IPS हबीबुल हसन और एसओ समेत 9 पुलिसकर्मी आरोपी

लखनऊ, अमृत विचार। मड़ियांव थाने में पूर्व आईपीएस हबीबुल हसन, एसओ मड़ियांव समेत नौ पुलिसकर्मियों पर जून 2006 में दर्ज डकैती व एससी-एसटी मामले की केस डायरी गायब हो गई। केस डायरी को क्षेत्राधिकारी अलीगंज कार्यालय में 2018 में दाखिल कराया गया था। इसके बाद से कोई पता नहीं चला। कोर्ट की फटकार के बाद इंस्पेक्टर मड़ियांव ने इस मामले में हेड कांस्टेबल राजेंद्र कुमार और कांस्टेबल प्रदीप मिश्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। कोर्ट के आदेश पर 16 जून 2006 को मड़ियांव थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। कोर्ट ने...

Sep 14, 2025 - 00:37
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लखनऊ: पुलिसकर्मियों पर दर्ज डकैती मामले की केस डायरी गुम, पूर्व IPS हबीबुल हसन और एसओ समेत 9 पुलिसकर्मी आरोपी
लखनऊ: पुलिसकर्मियों पर दर्ज डकैती मामले की केस डायरी गुम, पूर्व IPS हबीबुल हसन और एसओ समेत 9 पुलिसकर्मी आरोपी

लखनऊ: डकैती मामले की केस डायरी गायब, पूर्व IPS समेत 9 पुलिसकर्मी आरोपी

लखनऊ, अमृत विचार। मड़ियांव थाने में पूर्व आईपीएस हबीबुल हसन, मड़ियांव के एसओ और अन्य नौ पुलिसकर्मियों पर जून 2006 में दर्ज डकैती और एससी-एसटी मामले की केस डायरी गायब हो गई है। यह केस डायरी 2018 में क्षेत्राधिकारी अलीगंज कार्यालय में दाखिल की गई थी, जिसके बाद से इसका कोई अता-पता नहीं चला। मामले में अदालत की फटकार के बाद, इंस्पेक्टर मड़ियांव ने हेड कांस्टेबल राजेंद्र कुमार और कांस्टेबल प्रदीप मिश्रा के खिलाफ FIR दर्ज की है। पुलिस अब मामले की गहराई से जांच कर रही है।

संक्षिप्त पृष्ठभूमि

कम शब्दों में कहें तो, यह घटना मड़ियांव थाना क्षेत्र से संबंधित है, जहां एक पीड़िता विट्टा देवी ने 2005 में अपने घर में हुई डकैती की शिकायत की थी। कोर्ट के आदेश पर 16 जून 2006 को FIR दर्ज की गई थी, जिसमें तत्कालीन क्षेत्राधिकारी हबीबुल हसन सहित अन्य पुलिसकर्मी शामिल थे।

घटना का विवरण

पीड़िता विट्टा देवी के अनुसार, 12/13 जून 2005 की रात, तत्कालीन क्षेत्राधिकारी हबीबुल हसन, एसओ मड़ियांव, और अन्य पुलिसकर्मी उसके घर पहुंचे। आरोप है कि सभी ने मिलकर उसके घर में तोड़फोड़ की और लाखों रुपये का सामान लूट लिया। पीड़िता ने पुलिस अधिकारियों से सहायता मांगने की कोशिश की, लेकिन उन्हें कोई सुनवाई नहीं मिली। अंततः, उन्होंने कोर्ट का सहारा लिया। अदालत के आदेश पर 2006 में FIR दर्ज की गई।

जांच की बुराईयाँ

मामले की विवेचना पहले एसपी ट्रांसगोमती को सौंपी गई थी। हालाँकि, जांच में अनेकों बाधाएँ आईं। 108 माह बाद भी मामले में अंतिम रिपोर्ट लगाई गई, जो थाने की जीडी में दर्ज थी। इसके बाद मामले में विधिक राय ली गई और पूरक पर्चे भी काटे गए। संयोगवश, केस डायरी जब न्यायालय में पेश करने का समय आया, तब उसकी गुमशुदगी का पता चला।

पुलिसकर्मियों पर FIR

इंस्पेक्टर मड़ियांव ने जब केस डायरी की गुमशुदगी की जानकारी ली, तो हेड कांस्टेबल राजेंद्र कुमार ने बताया कि उसे कांस्‍टेबल प्रदीप मिश्रा को दिया गया था, लेकिन कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई। इस पर इंस्पेक्टर ने कार्रवाई करते हुए राजेंद्र कुमार और प्रदीप मिश्रा के खिलाफ FIR दर्ज कराई। अब पुलिस जांच कर रही है कि आखिर केस डायरी कहाँ गई।

कोर्ट की सख्त प्रतिक्रिया

अदालत की सख्त प्रतिक्रिया के बाद मामले में गंभीरता आई है। जब केस डायरी की खोज तेज हुई तो पुलिसकर्मियों के बीच हड़कंप मचा। चूंकि मामले में पूर्व IPS का नाम शामिल है, ऐसे में यह पुलिस विभाग की साख के लिए गंभीर चुनौती पेश करता है।

निष्कर्ष

यह मामला न केवल लखनऊ पुलिस के कामकाज पर सवाल उठाता है, बल्कि न्याय के प्रति आम जनता के विश्वास को भी कमजोर करता है। आवश्यक है कि मामले की स्वतंत्र और पारदर्शी जांच की जाए ताकि दोषियों को दंडित किया जा सके। इस मामले में आगे की जानकारी के लिए हमारे साथ बने रहें।

इसके अलावा, कोर्ट का ये आदेश यह सुनिश्चित करता है कि मामले की निष्पक्षता बरकरार रहे और किसी भी आरोपी को बचने का मौका न मिले। Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - Netaa Nagari

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तनवीर देवी

Team Netaa Nagari

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