उत्तराखंड में संस्थागत प्रसव से नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी आई: स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की पहल
देहरादून: विषम भौगौलिक परिस्थितियों और अन्य चुनौतियों के बावजूद भी प्रदेश में नवजात मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर और 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में… Source Link: प्रदेश में संस्थागत प्रसव से घटी नवजात शिशु मृत्यु दर, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की एक और पहल लाई रंग

उत्तराखंड में संस्थागत प्रसव से नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी आई: स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की पहल
कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखंड में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की पहल के तहत संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने से नवजात और शिशु मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी आई है।
देहरादून: विषम भौगौलिक परिस्थितियों और अन्य चुनौतियों के बावजूद, उत्तराखंड में नवजात मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर और 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में उल्लेखनीय गिरावट देखने को मिली है। इस उपलब्धि का श्रेय राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के निरंतर प्रयासों को जाता है।
भारत सरकार के महापंजीयक द्वारा जारी 2022 के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में नवजात मृत्यु दर 15 प्रति हजार जीवित जन्म, शिशु मृत्यु दर 21 प्रति हजार जीवित जन्म, और 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 25 प्रति हजार जीवित जन्म है। यह आंकड़े पिछले वर्ष की तुलना में एक महत्वपूर्ण कमी को दर्शाते हैं। यह सफलताएँ राज्य की सुदृढ़ स्वास्थ्य प्रणाली और स्वास्थ्य विभाग की आधार स्तर पर की गई पहलों का प्रतिफल हैं।
स्वास्थ्य मंत्री की भूमिका
डॉ. धन सिंह रावत के नेतृत्व में प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने गर्भवती महिलाओं के लिए संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित किया। इसके माध्यम से, आशा कार्यकर्ताओं ने गर्भवती महिलाओं को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की हैं, जो नवजात मृत्यु दर में कमी की मुख्य कारणों में से एक मानी जा रही है। इसके अतिरिक्त, महिला स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए विशेष अभियान चलाए गए हैं।
नवजात शिशु देखभाल में सुधार
प्रदेशभर में नवजात की देखभाल के लिए चिकित्सा इकाइयों में सुविधाओं का विस्तार किया गया है। इसमें राज्यों के अस्पतालों में 4 नवजात आईसीयू, 9 स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट, 34 न्यू बोर्न स्टेबलाइजेशन यूनिट, 289 नवजात शिशु देखभाल कार्नर, और 47 कंगारू मदर केयर यूनिट शामिल हैं। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, वित्तीय वर्ष 2024-2025 में कुल 4,643 नवजातों का सफल उपचार किया गया।
अन्य स्वास्थ्य अभियानों का योगदान
इसी क्रम में, एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत 6 से 59 माह के बच्चों को आयरन फोलिक एसिड सिरप की खुराक दी गई। इसके साथ ही, 5 से 9 वर्ष आयु के बच्चों को आयरन फोलिक एसिड पिंक टैबलेट प्रदान की गई। स्टॉप डायरिया अभियान के तहत, 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों को ओआरएस और जिंक कवरेज 90% रहा, जिससे गंभीर बीमारियों की रोकथाम में सहायता मिली।
एनिमिया मुक्त भारत अभियान एवं प्रशिक्षण
प्रदेश के चार जनपदों देहरादून, पिथौरागढ़, नैनीताल और अल्मोड़ा में स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट कर्मियों के लिए डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल, नई दिल्ली के विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा 15 दिवसीय ऑन-साइट हैंड होल्डिंग का आयोजन किया गया। इस पहल से न केवल चिकित्सिकों की नैदानिक दक्षता में सुधार हुआ है, बल्कि सेवा मानक में भी वृद्धि हुई है।
स्वास्थ्य मंत्री का बयान
डॉ. धन सिंह रावत ने कहा, "भारत सरकार के महापंजीयक सर्वे-2022 की रिपोर्ट बेहद उत्साहजनक है। नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में आई कमी इस बात का प्रमाण है कि प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं सुदृढ़ हुई हैं। इसमें आशाओं के प्रयासों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जिनके काम ने गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की स्वास्थ्य देखभाल में भारी सुधार किया है। राज्य सरकार इस प्रयास को निरंतर जारी रखेगी।"
इस प्रकार, स्वास्थ्य मंत्री के नेतृत्व में उठाए गए कदमों के कारण उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुआ है, जो आने वाली पीढ़ी के लिए स्वस्थ जीवन सुनिश्चित कर सकता है।
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Team Netaa Nagari - साक्षी शर्मा
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