बिजली की लागत में बड़ी राहत! सरकार ने FGD नियमों में दी ढील, प्रति यूनिट 25-30 पैसे तक घटेगा खर्च
बिजली की कीमतों से जूझ रहे आम लोगों के लिए राहत की खबर है। केंद्र सरकार ने कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट्स के लिए FGD (Flue Gas Desulphurisation) से जुड़े नियमों में ढील दी है, जिससे आने वाले समय में बिजली की लागत प्रति यूनिट 25 से 30 पैसे तक कम हो सकती है। क्या … The post बिजली होगी सस्ती! सरकार ने FGD नियमों में दी ढील, प्रति यूनिट 25-30 पैसे तक घटेगा खर्च appeared first on Bharat Samachar | Hindi News Channel.

बिजली की लागत में बड़ी राहत! सरकार ने FGD नियमों में दी ढील, प्रति यूनिट 25-30 पैसे तक घटेगा खर्च
बिजली की कीमतों से जूझ रहे आम लोगों के लिए राहत की खबर है। केंद्र सरकार ने कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट्स के लिए FGD (Flue Gas Desulphurisation) से जुड़े नियमों में ढील दी है, जिससे आने वाले समय में बिजली की लागत प्रति यूनिट 25 से 30 पैसे तक कम हो सकती है। क्या आपको पता है कि यह निर्णय किस प्रकार से आपके जीवन को प्रभावित करेगा? आइए इसके विभिन्न पहलुओं पर गहराई से नज़र डालते हैं।
क्या है FGD और ये नियम क्यों बदले गए?
FGD तकनीक का उपयोग बिजली संयंत्रों से निकलने वाली सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) गैस को हटाने के लिए किया जाता है। इसे साल 2015 में सभी थर्मल पावर प्लांट्स के लिए अनिवार्य किया गया था। अब सरकार का नया आदेश है कि FGD सिस्टम केवल उन्हीं प्लांट्स में लगाया जाएगा, जो 10 किमी के दायरे में और 1 मिलियन जनसंख्या वाले शहरों के पास स्थित होंगे। इससे 79% थर्मल पावर प्लांट्स इस नियम से छूट जाएंगे।
सरकार का तर्क क्या है?
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, भारत में उपयोग होने वाला कोयला कम सल्फर युक्त है, जिससे हवा में सल्फर डाइऑक्साइड का स्तर राष्ट्रीय मानकों से काफी नीचे है। FGD सिस्टम लगाने के कारण देश में 69 मिलियन टन CO₂ का अधिक उत्सर्जन हो रहा है। इसके अलावा, लाइमस्टोन के खनन और ट्रांसपोर्ट से पर्यावरण पर भी बोझ बढ़ता है।
सीधा फायदा: सस्ती बिजली
FGD की अनिवार्यता के कारण बिजली उत्पादन में प्रति यूनिट 25 से 30 पैसे की वृद्धि हो रही थी। नए नियमों के तहत उत्पादन लागत में कमी आएगी, जिसके परिणामस्वरूप डिस्कॉम पर दबाव कम होगा और आम उपभोक्ताओं को विद्युत बिल में राहत मिलेगी। यदि पुराने नियमों के अधीन FGD का लागू किया जाता, तो इसका खर्च ₹2.5 लाख करोड़ होता और हर यूनिट को 45 दिन तक बंद रखना पड़ता, जिसका ग्रिड पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता।
क्या बोले इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स?
एक वरिष्ठ पावर कंपनी अधिकारी ने कहा, “यह निर्णय विज्ञान पर आधारित और व्यावहारिक है। इससे लागत में कमी आएगी और ज़रूरत के अनुसार नियम लागू होंगे।” सरकारी अधिकारियों ने इसे ‘rollback’ नहीं, बल्कि ‘recalibration’ बताया, जो कि एक विज्ञान-आधारित नीति परिवर्तन है।
सुप्रीम कोर्ट में पेश होगी रिपोर्ट
इस निर्णय को जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में MC मेहता बनाम भारत सरकार केस में दाखिल किया जाएगा, जहाँ FGD लागू करने की समयसीमा पर सुनवाई चल रही है।
आर्थिक दृष्टिकोण से प्रभाव
सरकार ने पर्यावरण सुरक्षा और आर्थिक व्यावहारिकता के बीच संतुलन स्थापित करने के लिए यह नई नीति लाई है। इसका असर आपके बिजली बिल में नकारात्मक ढंग से नहीं, बल्कि सकारात्मक रूप से दिखाई देगा।
बिजली की कीमतों में कमी न केवल आम जनजीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालेगी, बल्कि यह औद्योगिक विकास को भी गति प्रदान करेगी। इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
समाज पर प्रभाव
क्या आप जानते हैं कि इस बदलाव का कितना बड़ा असर हो सकता है? ऐसे समय में जब देश ऊर्जा की कमी से जूझ रहा है, यह निर्णय एक सकारात्मक बदलाव लाने के दिशा में एक बड़ा कदम है।
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कुल मिलाकर, यह निर्णय बिजली उपभोक्ताओं के लिए राहत का संदेश है।
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Team Netaa Nagari
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