बस के इमरजेंसी-मेन गेट पर एक्स्ट्रा सीट:लखनऊ में खिड़की तोड़कर कूदे यात्री, मां-बाप के सामने जिंदा जले थे बच्चे; FIR दर्ज
लखनऊ आउटर रिंग रोड (किसान पथ) पर आग का गोला बनकर दौड़ती एसी स्लीपर बस रुकती है। यात्रियों को आग लगने की जानकारी दिए बगैर ड्राइवर और कंडक्टर बस छोड़कर भाग जाते हैं। धुएं से दम घुटने पर चैन की नींद सो रहे यात्रियों की नींद खुलती है। वे जब तक कुछ समझ पाते, तब तक आग की लपटें उन्हें घेर लेती हैं। जान बचाने के लिए इमरजेंसी गेट ढूंढ़ते हैं, लेकिन नहीं मिलता है। क्योंकि उसे बंद करके उसके सामने सीट बना दी गई थी। फिर यात्री मेन गेट की ओर भागते हैं, वहां अवैध रूप से बनाई गई सीट से फंसकर गिरने लगते हैं। जो गिरता है, उसे पीछे वाले रौंदते बस से नीचे उतर जाते हैं। तब तक आग की लपटें पूरी बस को अपनी आगोश में ले लेती हैं। खिड़कियों पर लगे पर्दे आग में घी का काम करते हैं। बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं मिलने पर यात्री मोबाइल, जूता, रॉड, बैग के हैंडल आदि से खिड़कियों का शीशा तोड़कर नीचे कूदते हैं, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। मां-बाप के आंखों के सामने 2 साल का बेटा और 4 साल की बेटी जिंदा जल जाते हैं। बूढ़ा बाप विधवा बेटी और पत्नी को जिंदा जलते देखता है। 3 साल के नाती के साथ दहाड़ मारकर रोते-रोते बेसुध हो जाता है। हर किसी को झकझोर कर रख देने वाली यह घटना गुरुवार को मोहनलालगंज क्षेत्र में हुई। बचे हुए यात्रियों से दैनिक भास्कर टीम ने बातचीत की, तो उन्होंने यह बातें बताईं। बस मालिक, ड्राइवर और कंडक्टर को ही नहीं, बल्कि परमिट देने वाले अधिकारियों को भी दोषी ठहराया। सभी पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट... पहले देखिए हादसे की तीन तस्वीरें... अब यात्रियों ने जो आपबीती बताई, उसे पढ़िए... 1- क्षमता से दोगुनी सवारियों को बैठाया गया बस सवार बेगूसराय, बिहार निवासी इंजीनियर अनुराग राय ने बताया- बस में क्षमता से दोगुनी सवारियां बैठाई गई थीं। एक-एक सीट पर 3 से 4 सवारियों को बैठाया गया था। कई सवारियां गैलरी में बैठे और लेटे थे। बस लोड नहीं ले पा रही थी। चालक बार-बार एसी को ऑन-ऑफ कर रहा था। 2- मेन गेट पर बनाई गई एक्स्ट्रा सीट बस में सवार अनुज ने बताया- सुबह करीब साढ़े चार बजे के करीब गियर बॉक्स के पास लपटों को देखकर लोगों ने शोर मचाया। लोग बस से नीचे उतरने लगे। गेट पर एक्स्ट्रा सीट लगी होने से रास्ता संकरा था। लोग उसमें फंसकर गिरने लगे। कुछ लोग बाहर निकले, तब तक लपटें और तेज हो गई, तो गेट तक पहुंचे लोग अंदर की ओर दोबारा भागे। 3 - आग से बचाव के नहीं थे इंतजाम बस सवार बेगूसराय के रूणी गमवारा निवासी राम बालक महतो ने बताया- वह और परिवार सो रहा था। दम घुटन के कारण जब नींद खुली, तो देखा कि बस में धुआं भर चुका है। लोगों ने इमरजेंसी गेट को खोलना चाहा, तो वहां सीट बनी थी। गेट जाम था। आग से बचाव के भी कोई इंतजाम नहीं थे। ऐसे में उनके और लोगों के हाथ में जो आया उसी से ही खिड़कियों के शीशे को तोड़कर नीचे कूदे। गर्भवती पत्नी को तो बचा लिया, लेकिन बेटा और बेटी जिंदा जल गई। 4- गैस के छोटे सिलेंडर ढोए जा रहे थे बस में छोटे सिलेंडर से लेकर राशन और तेल भी रखा था। आग के कारण बस का डीजल टैंक फटा, तो पास में रखे गैस के छोटे सिलेंडर और एसी के कंप्रेशर भी धमाके के साथ फटने लगे। यात्रियों ने बताया कि करीब 10-13 धमाके हुए। यह मंजर जीवन भर नहीं भूलेंगे... 3 साल के बेटे के सामने जिंदा जली मां हादसे में बिहार के समस्तीपुर निवासी अशोक महतो की 60 साल की पत्नी लख्खी देवी और 26 साल की बेटी सोनी की बस में जलकर मौत हो गई। वह और उनका 3 साल का नाती आदित्य किसी तरह बच गया। अशोक नाती को निहारते हुए दहाड़ मार-मारकर रो रहे थे। दोस्त को बचाने में जल गया, लेकिन बचा नहीं पाया बेगूसराय निवासी 20 साल के मधुसूदन की भी जलकर मौत हो गई। उनके दोस्त रवि किशन और रंजीत कुमार को उन्हें न बचा पाने का मलाल है। रवि किशन का कहना है कि मधुसूदन को बचाने में खुद जल गया, लेकिन बचा नहीं पाया। ड्राइवर-कंडक्टर के खिलाफ मुकदमा दर्ज एसीपी मोहनलालगंज रजनीश वर्मा ने बताया- हादसे में राम बालक महतो के बेटे देवराज और बेटी साक्षी की जलकर मौत हुई है। उन्होंने बस ड्राइवर और कंडक्टर के खिलाफ तहरीर दी थी। उस पर ड्राइवर और कंडक्टर के खिलाफ गैरइरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोपियों की तलाश के लिए दो टीमें लगाई गई हैं। सड़क से हटाते समय दोबारा भड़की आग आग की सूचना पर एफएसओ हजरतगंज रामकुमार रावत चार गाड़ियों के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए। सीएफओ बाराबंकी आरपी राय, एफएसओ पीजीआई माम चंद बडगूजर ने 25 मिनट में आग पर काबू पाया। आग पूरी तरह बुझाने में 22 दमकल कर्मियों में 18 हजार लीटर पानी डाला। वहीं, एफएसओ पीजीआई ने बताया कि हादसे के बाद बस को सड़क से हटाया जाने लगा। बस को क्रेन से खींचते समय रिम की रगड़ से फिर आग लग गई। दमकल की एक गाड़ी ने उस पर काबू पाया। प्रशासन ने सवारियों को दिल्ली भेजा बस में यात्रियों के सामान, पैसे और मोबाइल तक जल गए। एसीपी रजनीश वर्मा ने निजी स्कूल की बस मंगाकर यात्रियों को हरकशगढ़ी पुलिस चौकी भेजा। उसके बाद जिला प्रशासन ने बस की व्यवस्था कराई। उससे यात्रियों को दिल्ली भेजा गया। एसडीएम अंकित शुक्ला ने यात्रियों के लिये खाना, पानी और फल का इंतजाम किया।

बस के इमरजेंसी-मेन गेट पर एक्स्ट्रा सीट: लखनऊ में खिड़की तोड़कर कूदे यात्री, मां-बाप के सामने जिंदा जले थे बच्चे; FIR दर्ज
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लखनऊ आउटर रिंग रोड (किसान पथ) पर बुधवार को एक दिल दहला देने वाली घटना घटित हुई। यात्रियों से भरी एसी स्लीपर बस एक भयानक आग के गोले में तब्दील हो गई, जिससे कई लोगों की जान चली गई। इस घटना ने न केवल प्रत्यक्षदर्शियों बल्कि पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। इस ज्वलंत हादसे में शामिल ड्राइवर और कंडक्टर ने बस को आग लगने की सूचना देने के बजाय भागकर अपनी जान बचाने में समझदारी दिखाई।
फरार चालक और कंडक्टर
सूत्रों के अनुसार, जब आग ने बस को घेरना शुरू किया तब यात्रियों की धुंए से दम घुटने लगा। ड्राइवर और कंडक्टर ने यात्रियों की सहायता करने के बजाय बस को छोड़कर भाग गए। ऐसे में यात्री जब तक समझ पाते कि क्या हो रहा है, तब तक आग की लपटें चारों ओर से उन पर आक्रमण करने लगीं।
अवैध सीटों की समस्या
यात्रियों के मुताबिक, इमरजेंसी गेट को अवैध रूप से सीट लगाकर बंद कर दिया गया था। जब यात्रियों ने जान बचाने के लिए इमरजेंसी गेट की ओर दौड़ लगाई, तो वहां कोई रास्ता नहीं था जिससे वे बाहर निकल सकें। मेन गेट पर बनी एक्स्ट्रा सीटों के कारण यात्रा की उपयुक्तता में कमी आई, जिससे लोगों की जान को भारी खतरा पड़ा।
भयानक स्थिति से बचने के प्रयास
धुंए और आग के बीच, कुछ यात्रियों ने खिड़कियों को तोड़कर जान बचाने का प्रयास किया। लेकिन जब तक वे बाहर निकलते, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। 4 साल की बच्ची और 2 साल के बच्चे के माता-पिता की आंखों के सामने ये क्षण बर्बाद हो गए। फंसे हुए यात्रियों ने जब देखा कि कोई मदद नहीं आ रही है, तो उन्होंने अपने हाथ में जो भी था उसी से खिड़कियों के शीशे तोड़ने का प्रयास किया।
आग लगने के कारण
इस दुखद घटना के पीछे कई कारण माने जा रहे हैं, जिनमें एक प्रमुख वजह यह थी कि बस में आग लगने से पहले ही गर्मी और धुंए की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। यात्रियों ने बताया कि बस के डीजल टैंक के फटने से धमाका हुआ और इसके साथ ही कई गैस के छोटे-सिलेंडर और एसी के कंप्रेशर भी फट गए, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई।
कार्यवाही और स्थानीय प्रशासन की जवाबदेही
इस घटना के बाद, स्थानीय अधिकारियों ने ड्राइवर और कंडक्टर के खिलाफ गैरइरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया है। एसीपी मोहनलालगंज ने कहा कि आरोपी की तलाश के लिए दो टीमें गठित की गई हैं। इसके साथ ही प्रशासन ने आग पर काबू पाने के लिए दमकलीकर्मियों के दल को तैनात किया था और घटनास्थल से यात्रियों को सुरक्षित स्थान पर भेजा गया।
यात्रियों की सुरक्षा का मुद्दा
समाज के विभिन्न वर्गों ने इस घटना को गंभीरता से लिया है और बस मालिक, ड्राइवर, कंडक्टर और यातायात अधिकारियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस घटना ने बस यात्रा के सुरक्षा मानकों पर प्रश्न चिन्ह लगाया है, और ऐसे में तत्काल सुधार की आवश्यकता है।
समापन विचार
यह हादसा न केवल उन परिवारों के लिए एक अकल्पनीय त्रासदी है, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया, बल्कि यह हमारे परिवहन प्रणाली की गंभीर कमजोरियों को भी उजागर करता है। इस दुखद घटना के बाद, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, जिसके लिए नियमों का पालन करना और यात्री सुरक्षा को प्राथमिकता देना आवश्यक है।
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