केजरीवाल दिल्ली में पंजाब के AAP विधायकों से मिलेंगे:कांग्रेस का दावा- 30 हमारे संपर्क में, दिल्ली हारे अरविंद यहां CM बनना चाहते हैं

दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) की हार के बाद पंजाब में राजनीतिक उथल-पुथल शुरू हो गई है। पंजाब कांग्रेस ने दावा किया कि केजरीवाल जल्द पंजाब के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। इसका संकेत पंजाब AAP के प्रधान अमन अरोड़ा के किसी हिंदू के भी पंजाब का मुख्यमंत्री बनने के बयान से मिलता है। इस वजह से उनके 30 विधायक हमारे संपर्क में हैं। इसी बीच AAP सुप्रीमो व दिल्ली के पूर्व CM अरविंद केजरीवाल ने आज पंजाब के सभी विधायक दिल्ली बुला लिए हैं। इसमें CM भगवंत मान भी सभी मंत्रियों के साथ शामिल होंगे। यह मीटिंग दिल्ली में पंजाब CM के निवास कपूरथला हाउस में होगी। इसके लिए CM मान ने 10 फरवरी को होने वाली कैबिनेट मीटिंग भी टाल दी। हालांकि पंजाब के आप नेताओं ने इसे संगठन की रूटीन मीटिंग करार दिया है। आप प्रवक्ता नील गर्ग ने कहा कि पार्टी की मर्जी है कि मीटिंग चंडीगढ़ में करें या फिर दिल्ली। सबसे पहले पंजाब AAP के प्रधान का वह बयान, जिससे विरोधियों को मौका मिला AAP के पंजाब प्रधान अमन अरोड़ा ने एक इंटरव्यू में कहा- पंजाब मोस्ट सेक्युलर स्टेट है। 1984 में आतंकवाद के इतने साल बाद भी हिंदू, सिख और मुस्लिम में नाखून जितना फर्क नहीं। हमारी पार्टी भी मोस्ट सेक्युलर पार्टी है। CM पोस्ट को हिंदू-सिख के क्राइटेरिया से देखना गलत है। इसके लिए सिर्फ मैरिट होनी चाहिए। जो आदमी डिजर्व करता है, उसे जिम्मेदारी मिलनी चाहिए। सिर्फ 2% सिख, फिर भी डॉ. मनमोहन सिंह CM बने, तो किसी ने एतराज नहीं किया। पंजाब में तो 38% हिंदू पॉपुलेशन है, फिर ऐसी बात क्यों?। केजरीवाल की मीटिंग को लेकर पंजाब कांग्रेस की 4 अहम बातें.. 1. केजरीवाल CM बनेंगे, लुधियाना से उपचुनाव लड़ेंगे कांग्रेस विधायक दल नेता प्रताप बाजवा ने कहा- अरविंद केजरीवाल पंजाब के CM बनेंगे। हाल ही में लुधियाना वेस्ट से AAP के MLA गुरप्रीत गोगी का निधन हुआ है। यह सीट खाली हो चुकी है। केजरीवाल वहां से उपचुनाव लड़ेंगे। 2. दिल्ली हार के बाद पंजाब AAP में इंटरनल फाइट होगी कांग्रेस ने कहा- दिल्ली में हार के बाद AAP का पूरा बोझ पंजाब पर पड़ेगा। ऐसे में CM भगवंत मान और दिल्ली के नेताओं के बीच इंटरनल फाइट होगी। ऐसे में कई विधायक AAP से बगावत कर सकते हैं। इनमें से 30 कांग्रेस के संपर्क में हैं। 3. AAP के 35 विधायक दूसरी पार्टी जॉइन करने को तैयार गुरदासपुर से कांग्रेस सांसद सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा- पंजाब में AAP के 35 MLA दूसरी पार्टी जॉइन करने के लिए तैयार बैठे हैं। दिल्ली के नतीजों के बाद पंजाब में भी शराब पॉलिसी का घोटाला निकलेगा। ये वही पॉलिसी है, जिसमें केजरीवाल और मनीष सिसोदिया फंसे थे। इसी साल इन्होंने धान खरीद में MSP घोटाला किया। पंजाब में मिडटर्म इलेक्शन यानी समय से पहले चुनाव हो सकते हैं। 4. विधायक दिल्ली के नेताओं से नाराज, राज्यसभा में बाहर के लोग भेजे पटियाला से कांग्रेस सांसद डॉ. धर्मवीर गांधी ने कहा- AAP की दिल्ली वाली केंद्रीय लीडरशिप से पंजाब के विधायकों के अंदर आक्रोश है। यह लोग पंजाब संसाधनों व स्रोतों पर कब्जा कर रहे हैं। राज्यसभा में इन्होंने पंजाब से बाहर के लोगों को भेजा। इनके विधायक बीजेपी और कांग्रेस में कहीं भी जा सकते हैं। पंजाब AAP के नेताओं ने मीटिंग पर क्या कहा 1. प्रवक्ता बोले- दिल्ली चुनाव का फीडबैक लेना है AAP के प्रवक्ता नील गर्ग ने कहा- ये रूटीन मीटिंग है। पंजाब के विधायकों व मंत्रियों ने दिल्ली चुनाव में प्रचार किया था। ऐसे में पार्टी नेताओं से फीडबैक लेगी। 2. सांसद केजरीवाल राष्ट्रीय संयोजक, यह नियमित बैठक AAP सांसद मालविंदर कंग ने कहा-कांग्रेस के तो अपने विधायक उनसे दूर हैं, तो हमारे 30 कैसे संपर्क में होंगे। दिल्ली में संगठनात्मक मीटिंग है। केजरीवाल हमारी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हैं। इस तरह की बैठकें किसी भी पार्टी की नियमित प्रक्रिया का हिस्सा होती हैं। पंजाब पर AAP का फोकस क्यों, इसकी 3 वजहें... 1. दिल्ली के बाद यहीं सत्ता मिली पंजाब ही ऐसा राज्य है, जहां दिल्ली के बाद AAP ने सरकार बनाई है। हरियाणा में उनका सूपड़ा साफ हो गया था। गुजरात में वह दूसरे नंबर पर रही थी। हालांकि अब दिल्ली हाथ से छिन गई और पंजाब में 2027 में विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में अगर पंजाब हाथ से निकला तो AAP के अस्तित्व को लेकर ही संकट खड़ा हो जाएगा। 2. पंजाब के जरिए पॉलिटिक्स साधेंगे केजरीवाल दिल्ली से AAP की सत्ता जाने के बाद अब अरविंद केजरीवाल पंजाब के जरिए अपनी पॉलिटिक्स चलाएंगे। यहां किए जाने वाले कामों की बदौलत वह दूसरे राज्यों में प्रचार करेंगे। पंजाब में 2 साल बाद चुनाव हैं, ऐसे में इस समय में बड़े काम कर पार्टी को दिल्ली में हुए नुकसान की भरपाई की कोशिश की जाएगी। पंजाब में अधूरे वादों ने बढ़ाई टेंशन 10 मार्च 2022 को पंजाब में AAP की सरकार बनी थी। जिसे करीब 3 साल हो चुके हैं। इसमें उनका सबसे बड़ा वादा 18 साल से बड़ी हर उम्र की महिला को प्रति महीने एक हजार रुपए देने का था। हालांकि अभी तक यह पूरा नहीं हुआ। इसके अलावा माइनिंग से 20 हजार करोड़ की कमाई, नशे को पूरे पंजाब से खत्म करने, श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी के आरोपियों को सजा देने जैसे बड़े वादे भी पूरे नहीं हो सके।

Feb 11, 2025 - 05:37
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केजरीवाल दिल्ली में पंजाब के AAP विधायकों से मिलेंगे:कांग्रेस का दावा- 30 हमारे संपर्क में, दिल्ली हारे अरविंद यहां CM बनना चाहते हैं
केजरीवाल दिल्ली में पंजाब के AAP विधायकों से मिलेंगे:कांग्रेस का दावा- 30 हमारे संपर्क में, दिल्ली हारे अरविंद यहां CM बनना चाहते हैं

केजरीवाल दिल्ली में पंजाब के AAP विधायकों से मिलेंगे: कांग्रेस का दावा- 30 हमारे संपर्क में, दिल्ली हारे अरविंद यहां CM बनना चाहते हैं

लेखिका: प्रिया अग्रवाल, टीम नेतानगरी

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर से अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए पंजाब के आम आदमी पार्टी (AAP) विधायकों से मिलने का प्लान बनाया है। इस मीटिंग का उद्देश्य न केवल पार्टी की एकता को बनाए रखना है, बल्कि कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों का भी जवाब देना है। कांग्रेस का दावा है कि पंजाब के 30 विधायक उनके संपर्क में हैं।

कांग्रेस का आरोप

कांग्रेस के नेताओं ने स्पष्ट किया है कि प्रदेश में पूरी तरह से विपरीत परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। उनका कहना है कि AAP के कुछ विधायक दूसरे विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। कांग्रेस के प्रवक्ताओं ने यह भी कहा है कि दिल्ली में हालिया चुनावी नाकामी के बावजूद, केजरीवाल अभी भी मुख्यमंत्री बनने की होड़ में हैं।

AAP की रणनीति

इस बीच, AAP नेतृत्व इस स्थिति को संभालने के लिए एक स्पष्ट रणनीति बना रहा है। केजरीवाल के इस मीटिंग में शामिल होने का उद्देश्य विधायकों को एकजुट रखना है, ताकि उनके वोटों का विभाजन न हो। AAP के सूत्रों का कहना है कि वे इस मीटिंग में धारा 356 का भी जिक्र कर सकते हैं, जिसके तहत केन्द्र सरकार राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकती है।

दिल्ली में भविष्य की योजना

दिल्ली में स्थितियों को देखते हुए केजरीवाल की योजना स्पष्ट है। वे अपने विधायकों के साथ मिलकर न केवल अपनी स्थिति को मजबूती प्रदान करना चाहते हैं बल्कि पंजाब में भी अपनी पकड़ को मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं। यह बैठक इस बात को स्पष्ट करेगी कि केजरीवाल किस दिशा में आगे बढ़ने की सोच रहे हैं।

निष्कर्ष

इस समय AAP को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हालाँकि, केजरीवाल की आलोचना का सामना करते हुए, उनका ठोस कदम पंजाबी विधायकों से मिलना है। कांग्रेस के दावों और AAP की मजबूती के इस टकराव में यह देखना दिलचस्प होगा कि कौनसी पार्टी आगे बढ़ती है।

समाप्त करते हुए, यह कहना उचित है कि राजनीतिक खेल में नई चुनौतियों का सामना करना सदैव मुश्किल होता है। चाहे वह दिल्ली हो या पंजाब, केजरीवाल की नजरें हमेशा सत्ता पर बनी रहती हैं।

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