क्या कद्दावर कांग्रेसी नेता पी. चिदंबरम और शशि थरूर की परिवर्तित सियासी निष्ठा से भाजपा बनेगी अजेय?

दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भाजपा भले ही अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने में असमंजस के दौर से गुजर रही हो, लेकिन भारत राष्ट्र के प्रति उसके समर्पण का ही यह तकाजा है कि अब वह अजेय पार्टी बनने जा रही है, खासकर आम चुनाव 2029 में! और यदि ऐसा हुआ तो फिर भाजपा को हराना भारतीय विपक्षी पार्टियों और उनके तथाकथित इण्डिया गठबंधन के लिए बेहद मुश्किल हो जायेगा। दरअसल, यह बात मैं नहीं कह रहा हूँ बल्कि दिग्गज कांग्रेस रणनीतिकार रहे पी चिदंबरम ने खुद कहा है। इसलिए सियासी हल्के में यह सवाल उठाया जा रहा कि क्या एक और कांग्रेस दिग्गज भी एक अन्य कांग्रेस दिग्गज शशि थरूर की राह पर चल रहे हैं, जो पहले से ही कांग्रेस लाइन से बे-लाइन चल रहे थे। क्योंकि उनके बयानों से तो यही जाहिर होता है कि वे कांग्रेस के वरिष्ठ राजनेता नहीं बल्कि बीजेपी के वरिष्ठ राजनेता हैं। ऐसा इसलिए कि अब चिदंबरम ने भी कुछ शशि थरूर जैसे ही बयान देने शुरू कर दिए हैं! ऐसे में सवाल है कि कांग्रेस नेताओं के लिए यह महज संयोग है या फिर वैचारिक भूलभुलैय्या वाला कोई अभिनव प्रयोग! समझा जाता है कि सत्ता जाने के बाद बड़े नेताओं द्वारा इधर उधर गुंजाइश तलाशना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन जब गाँधी परिवार के विश्वासपात्र नेता ही ऐसा करने लगें तो राहुल-प्रियंका गाँधी का चिंतित होना स्वाभाविक है, जबकि वे दोनों बेफिक्र लग रहे हैं और इन बडबोले नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं कर रहे हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कांग्रेस में हो रहे पीढ़ी परिवर्तन से ये नेता अनफिट घोषित किए जा चुके हैं, इसलिए वो अपने-अपने बयानों से भाजपा को पटाने में जुटे हैं। इसे भी पढ़ें: इन देशों का दौरा करेगा शशि थरूर के नेतृत्व वाला प्रतिनिधिमंडल, 24 मई को होगी रवानगीराजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि थरूर की सहानुभूति से केरल भाजपा और चिदंबरम की दरियादिली से तमिलनाडु भाजपा को आशातीत बढ़त मिल सकती है। क्योंकि कांग्रेस के जो वफादार पुराने प्रहरी हैं उनमें से चिदंबरम-थरूर का नाम राजनीतिक हलकों में बड़ी ही साफगोई पूर्वक लिया जाता है। इसके एक नहीं, बल्कि सैकड़ों वजहें हैं। आखिर तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद भी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के जमाने से ही चिदंबरम कांग्रेस का झंडा मजबूती से पकड़े हुए हैं। हालाँकि कई बार उनके बयानों में भी कांग्रेस को कड़वी सच्चाई का सामना करना पड़ जाता है। वो भी बिलकुल वैसे ही कुछ करते हुए दिखाई दे जाते हैं, जैसे शशि थरूर करते रहते हैं। हालाँकि कांग्रेस के कुछ अन्य नेताओं की फितरत भी यही रहती है, लेकिन वो उतने बड़े और प्रभावी नहीं हैं, जितने कि ये दोनों।अब ताजा मामला ही देखिए कि चिदम्बरम ने पाकिस्तान वाले ऑप्रेशन सिंदूर के मसले पर भारत सरकार की पहले ही तारीफ की थी और अब इंडिया गठबंधन को भी जो सही आइना दिखाते हुए खरी खोटी सुना दी है, उसके अपने सियासी मायने हैं जिन्हें भुनाने में भाजपा और उसका राजग गठबंधन कतई पीछे नहीं रहेगा। उल्लेखनीय है कि राज्यसभा सांसद चिदंबरम सलमान खुर्शीद और मृत्युंजय सिंह यादव की किताब 'कंटेस्टिंग डेमोक्रेटिक डेफिसिट' के विमोचन अवसर पर बोल रहे थे। इस किताब में, सलमान खुर्शीद और मृत्युंजय यादव ने पिछले साल के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस के पुनरुद्धार के प्रयासों पर प्रकाश डाला है। उन्होंने बताया है कि कैसे कांग्रेस ने भारत जोड़ो यात्रा और विपक्षी दलों के साथ मिलकर इंडिया ब्लॉक का गठन किया, जिससे भारत में लोकतंत्र को बचाने की कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि इंडिया ब्लॉक से जुड़े कुछ मुद्दे हैं, जिनका समाधान किया जाना चाहिए। वहीं, इसी ऐन मौके पर चिदंबरम ने भी इंडिया गठबंधन को आईना दिखा दिया और साफ-साफ कह दिया कि ऐसा नहीं लगता कि इंडिया गठबंधन अब भी पूरी तरह से एकजुट है। यह लगभग बिखरता हुआ दिखाई देता है और इसका भविष्य उज्ज्वल नहीं दिखता। उन्होंने यहां तक कह दिया  कि इंडिया ब्लॉक का भविष्य उतना उज्जवल नहीं है, जैसा कि मृत्युंजय यादव ने कहा। उन्हें लगता है कि गठबंधन अभी भी बरकरार है, लेकिन मुझे यकीन नहीं है। इसका उत्तर केवल सलमान खुर्शीद ही दे सकते हैं, क्योंकि वे इंडिया ब्लॉक के लिए वार्ता करने वाली टीम का हिस्सा थे। ऐसे में अगर गठबंधन पूरी तरह बरकरार रहता है, तो मुझे बहुत खुशी होगी। लेकिन आए दिन उजागर होने वाली कमजोरियों से पता चलता है कि गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं है। हालांकि, उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि गठबंधन अभी भी बच सकता है। अभी भी समय है। वहीं, चतुर सियासी खिलाड़ी रहे चिदंबरम ने आखिरी में यह उम्मीद भी जता दी कि इंडिया गठबंधन को अब भी जोड़ा जा सकता है। अगर समय रहते इस पार काम हुआ तो कुछ हो सकता है। समझा जा रहा है कि यह राहुल गाँधी की नेतृत्व क्षमता पर तो सवाल है ही, कांग्रेस के सहयोगी दलों के नेताओं की निष्ठा पर उससे भी बड़ा सवाल पैदा कर जाता है। इसलिए यह शब्द सुनकर शायद ही कांग्रेस आलाकमान और इस गठबंधन में मौजूद पार्टियों को अच्छा लगेगा। बता दें कि इससे पहले भी  चिदंबरम ने एक अंग्रेजी दैनिक में अपने एक लेख में पीएम मोदी के नेतृत्व को सराहा और कहा कि सरकार ने सीमित सैन्य कार्रवाई का रास्ता चुनकर एक बड़ा युद्ध टाल दिया। भारत ने जो कार्रवाई की वो बेहद सीमित और सुनियोजित थी, जिसका उद्देश्य आतंकी संगठनों की बुनियादी ढांचे को नष्ट करना था। वहीं उन्होंने इस कार्रवाई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का समझदारी भरा कदम बताया है।यही वजह है कि उनके इस परिवर्तित दृष्टिकोण ने कांग्रेस आलाकमान को सकते में डाल दिया है। कहने का तात्पर्य यह कि चिदंबरम ने महज एक सप्ताह के अंदर दूसरी बार कांग्रेस की कोर टीम को अपने बयानों से बेचैन कर दिया है। लिहाजा राजनीतिक जानकार उनके बयान को बड़ी ही करीबी से देख रहे हैं, क्योंकि इससे पहले कांग्रेस के बड़े नेताओं में शशि थरूर ऐसा करते हुए पाए गए हैं। जो लंबे समय से पीएम मोदी के अंदाज के मुरीद रहे हैं। इसलिए अब देखना यह होगा कि चिदंबरम के बयानों के मायने

May 20, 2025 - 18:37
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क्या कद्दावर कांग्रेसी नेता पी. चिदंबरम और शशि थरूर की परिवर्तित सियासी निष्ठा से भाजपा बनेगी अजेय?
क्या कद्दावर कांग्रेसी नेता पी. चिदंबरम और शशि थरूर की परिवर्तित सियासी निष्ठा से भाजपा बनेगी अजेय?

क्या कद्दावर कांग्रेसी नेता पी. चिदंबरम और शशि थरूर की परिवर्तित सियासी निष्ठा से भाजपा बनेगी अजेय?

दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भाजपा भले ही अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने में असमंजस के दौर से गुजर रही हो, लेकिन भारत राष्ट्र के प्रति उसके समर्पण का ही यह तकाजा है कि अब वह अजेय पार्टी बनने जा रही है, खासकर आम चुनाव 2029 में! और यदि ऐसा हुआ तो फिर भाजपा को हराना भारतीय विपक्षी पार्टियों और उनके तथाकथित इंडिया गठबंधन के लिए बेहद मुश्किल हो जायेगा। यह बात दिग्गज कांग्रेस रणनीतिकार पी. चिदंबरम ने खुद कही है। सियासी हल्के में यह सवाल उठाया जा रहा है कि क्या एक और कांग्रेस दिग्गज शशि थरूर की राह पर चल रहे हैं, जिनके बयानों से कांग्रेस की निष्ठा पर सवाल उठते हैं।

चिदंबरम और थरूर की परिवर्तनशील निष्ठा

चिदंबरम और थरूर के हालिया बयान इस बात का संकेत देते हैं कि क्या वे कांग्रेस की धारा से भटक रहे हैं। उन दोनों का व्यवहार यह दर्शाता है कि वे भाजपा की ओर आकर्षित हो रहे हैं। यह देखा जा रहा है कि जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ऐसे बयानों का सहारा लेते हैं, तो यह एक बड़े विचार परिवर्तन का हिस्सा होता है।

कांग्रेस में हो रहे परिवर्तन

कांग्रेस में हो रहे इस बदलाव पर प्रतिक्रिया देना स्वाभाविक है। व्यक्तिगत रूप से, यह महज संयोग नहीं लगता। कांग्रेस में चल रहे पीढ़ी परिवर्तन के चलते, चिदंबरम और थरूर जैसे बड़े नेता अब अपने बयानों के जरिए भाजपा की ओर झुकाव दिखा रहे हैं। हालांकि, राहुल और प्रियंका गांधी की चुप्पी से अफवाहें और भी बढ़ गई हैं।

राजनीतिक विशेषज्ञों की राय

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि चिदंबरम की सराहना से भाजपा को तमिलनाडु में लाभ मिल सकता है, वहीं थरूर की सहानुभूति से केरल में भी स्थिति मजबूत हो सकती है। चिदंबरम के कारनामों ने कांग्रेस के हृदय में भूकंप मचा दिया है, और अब अगले आम चुनाव 2029 पर उनकी टिप्पणियों का बारीकी से अध्ययन किया जा रहा है।

भाजपा का भविष्य और विपक्ष की चुनौतियाँ

चिदंबरम ने भाजपा को एक दुर्जेय मशीनरी बताया है, जिससे लड़ना राजनीति के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण साबित होता है। यदि वे सही साबित होते हैं, तो यह भारतीय विपक्ष के लिए एक बड़ा झटका साबित होगा। भाजपा का यह दावा कि वह अजेय है, यदि सच साबित होता है, तो यह निश्चित रूप से कांग्रेस और उसके सहयोगियों के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।

निष्कर्ष

भाजपा की दावेदारी और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की परिवर्तित निष्ठा के बीच एक स्पष्ट तुलना बनती है। यदि चिदंबरम और थरूर जैसे नेता अपनी भूमिकाओं में परिवर्तन लाते हैं, तो यह भाजपा को और मजबूत कर सकता है। आम चुनाव 2029 में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा वास्तव में अजेय बन जाएगी, या विपक्षी गठबंधन सफल हो पाएगा।

— टीम नेटआनागरी

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