BJP छोड़कर JMM का दामन थामेंगी हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन? 'परिवार से कोई अलग...'
Jharkhand News: बीजेपी नेत्री और पूर्व विधायक सीता सोरेन (Sita Soren) ने 'घर वापसी' की अटकलों को पूरी तरह खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने उन्हें सम्मान दिया है और उसे छोड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता है. हालांकि उन्होंने पार्टी और परिवार के बीच परिवार को बड़ा बताते हुए कहा कि कर्म क्षेत्र में परिवार से हमेशा आशीर्वाद मिला है. अपने पुराने कार्यकर्त्ता को मायूसी से बचाने के लिए कहा कि जरूरत के समय आप मिल सकते हैं. मैं हमेशा कार्यकर्ताओं के सुख-दुख में खड़ी हूं. उन्होंने कहा कि पांच साल के अंदर संगठन को मजबूत धार देकर सशक्त बनाएंगे. दुमका सर्किट हाउस में कार्यकर्त्ताओं से मिलने पहुंचीं सीता सोरेन ने एबीपी न्यूज से खास बातचीत के दौरान ये बातें कही. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने उन्हें सम्मान दिया है. खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने खास रूप से सम्मान दिया है. ऐसे में बीजोपी को छोड़ नहीं सकती है.अब इसी पार्टी से अपने कोई जगह बनाकर काम करेंगी. उन्होंने घर वापसी पर सारी अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा कि आखिर यह अफवाह कैसे उड़ी यह नहीं जानती. सीता ने बताई क्यों उड़ी 'घर वापसी' की अफवाह सीता सोरेन ने कहा, ''दुमका में जेएमएम का 46 वां स्थापना दिवस था उसके एक दिन पहले रांची से दुमका पहुंची हुई थी. तो लोगों ने सोचा कि मैं जेएमएम के स्थापना दिवस पर सदस्यता लेकर घर वापसी कर सकती हूं जबकि इस बात में कोई सच्चाई नहीं है.'' उन्होंने कहा कि मेरा कुंभ मेला जाने का कार्यक्रम था, लेकिन कुंभ में दुर्घटना हो जाने के बाद सभी वीआईपी प्रोटोकॉल समाप्त हो गया और मैं रांची से बेटियों के साथ दुमका आ गई. इसे आप संजोग मानिए या फिर कुछ और. परिवार से कोई अलग नहीं हो सकता - सीता इधर, राजनीति में सीता ने पार्टी और परिवार के बीच कर्म के सवालों को लेकर कहा कि कर्म और परिवार दोनों अलग अलग विषय है. दोनों को अलग अलग रूप से देखती हूं. परिवार से कोई अलग नहीं हो सकता है. सभी कार्यक्रमों में परिवार के संग इकठ्ठे रहकर सेलिब्रेट करते हैं. परिवार के बीच कर्मक्षेत्र आड़े नहीं आने देती हूं. और ना ही परिवार के बीच कर्म क्षेत्र क़ी चर्चा होती है. लोकसभा चुनाव हारने पर भी बीजेपी ने दिया टिकट - सीता शिबू सोरेन की बहू ने कहा, ''मैं बीजेपी से हूं तो मुझे मेरे पिता समान ससुर दिशोम गुरूजी शिबू सोरेन और मां समान सास ने आशीर्वाद दिया है. दुमका लोकसभा सीट हारने के बाद भी बीजेपी ने जामताड़ा विधानसभा चुनाव लड़ने का फिर से टिकट दिया. एक नए सिरे से खुद को बीजेपी के लिये मैदान तैयार करूंगी.'' ये भी पढ़ें- Who Is Anurag Gupta: कौन हैं IPS अनुराग गुप्ता? जिन्हें हेमंत सोरेन सरकार ने बनाया झारखंड का DGP

BJP छोड़कर JMM का दामन थामेंगी हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन? 'परिवार से कोई अलग...'
Netaa Nagari
लेखक: आरती मिश्रा, टीम NetaaNagari
परिचय
झारखंड की राजनीति में एक नया मोड़ देखने को मिल सकता है, जब हेमंत सोरेन की भाभी, सीता सोरेन, भारतीय जनता पार्टी (BJP) छोड़कर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) का दामन थामने की चर्चा कर रही हैं। यह निर्णय राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि यह संकेत देता है कि परिवार राजनीति के दायरे से भी बाहर निकलकर अपने अधिकार और पहचान की ओर बढ़ सकता है।
क्या है मामला?
हाल ही में कुछ सूत्रों के अनुसार, सीता सोरेन ने भाजपा से दूरी बनाने का मन बना लिया है। परिवार में चल रही राजनीतिक खिचड़ी और आगामी चुनावों के मद्देनज़र यह कदम उठाया जा रहा है। वह अपने पति और भाभी के विचारों को ध्यान में रखते हुए एक नया राजनीतिक सफर शुरू कर सकती हैं। इस बदलाव से झारखंड की राजनीति में एक बड़ी हलचल मच सकती है।
सीता सोरेन की राजनीतिक यात्रा
सीता सोरेन की पहचान केवल हेमंत सोरेन की भाभी के रूप में नहीं है; बल्कि वे झारखंड की सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में भी सक्रिय हैं। पिछले कुछ वर्षों में, उन्होंने कई सामाजिक अभियानों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है। उनका मानना है कि परिवार से संबंध होना जरूरी नहीं, बल्कि अपने विचार और दृष्टिकोण भी महत्वपूर्ण हैं। इस सोच ने उन्हें भाजपा की राजनीति से हटकर JMM की ओर आकर्षित किया है।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि सीता सोरेन JMM से जुड़ती हैं, तो यह उनकी राजनीतिक क्षमताओं को और भी मजबूती देगी। यह केवल एक स्थानांतरण नहीं, बल्कि झारखंड में महिला नेतृत्व को एक नई दिशा देने का प्रयास हो सकता है। भाजपा में रहते हुए, वे परिवारिक प्रतिबंधों के कारण अपने विचारों को पूरी तरह से व्यक्त नहीं कर पाईं, लेकिन अब यह संभव हो सकता है।
भविष्य की योजनाएँ
सीता सोरेन ने इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन उनके करीबी सूत्रों के अनुसार, वह जल्द ही अपने राजनीतिक निर्णय की घोषणा कर सकती हैं। झारखंड के चुनावों को देखते हुए, उनका यह कदम महत्वपूर्ण हो सकता है। उनका लक्ष्य न केवल सांसद बनने का है, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाना भी है।
निष्कर्ष
सीता सोरेन का इस तरह की राजनीतिक चाल लेना झारखंड की राजनीति में नई चर्चाएँ पैदा कर सकता है। यह एक सशक्त संदेश है कि पारिवारिक राजनीति से परे जाकर भी व्यक्ति अपने विचारों को व्यक्त कर सकता है और अपनी पहचान बना सकता है। समय बताएगा कि क्या वे JMM में शामिल होंगी, लेकिन इस रहस्य ने निश्चित रूप से राजनीति के खेल में रुचि को बढ़ा दिया है।
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