सपा विधायक अबू आजमी का बड़ा बयान, 'हम पाकिस्तान से अच्छे रिश्ते रखें या नहीं रखें, ये हमको...'
12 मई की रात 8 बजे देश के नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन पर महाराष्ट्र सपा के विधायक अबू आजमी ने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि हमारे 40 सिपाही मारे गए थे तो फिर आज तक बातचीत क्यों नहीं हुई? दरअसल, पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा था कि टेरर और टॉक एक साथ नहीं होंगे. इसी पर प्रतिक्रिया देते हुए अबू आजमी ने ये बात कही. उन्होंने कहा कि कहीं न कहीं हमारे प्रधानमंत्री अमेरिका के सामने घुटने टेक रहे हैं. 'जब सारा देश तैयार था...फिर आप रुक गए' सपा विधायक ने कहा, "हमारा पाकिस्तान आना-जाना और हमारे रिश्ते पाकिस्तान से अच्छे रहे. एक बार तो प्रधानमंत्री खुद ही बिना बुलाए चले गए. देश की जनता पूछ रही कि आप वहां कैसे पहुंच गए? इसके बाद फिर इतनी बड़ी घटना हुई है. किसी की चौधीराहट देश में चलेगी, अमेरिका के बोलने पर हम लड़ेंगे, नहीं तो नहीं लड़ेंगे तो फिर इसके पहले उनकी मध्यस्थता करके बात क्यों नहीं शुरू कर दी गई? जब सारा देश तैयार था...फिर आप रुक गए?" 'आर पार कर देना था, ये हमारा मानना है' अबू आजमी ने ये भी कहा, "देश ये जानना चाहता है कि ये है क्या? अगर टॉक नहीं करना तो जिस तरह से हमला हुआ था तो फौजियों को आगे बढ़ाना था और आर पार कर देना था. ये हमारा मानना है." 'जब हम सुबह टीवी खोलें तो...' पीएम मोदी के खून और पानी एक साथ नहीं बहेंगे वाले बयान पर उन्होंने कहा, "ये डायलॉग है...सब कह रहे हैं कि जब टेरर के खिलाफ कदम उठाया तो अपने को आर पार करना चाहिए था...मैं फिर कहता हूं कि अगर मध्यस्थता लेनी थी तो पहले करना था. पहले ये तय हो जाना चाहिए कि आज के बाद से जब हम सुबह टीवी खोलें और अखबार पढ़ें तो कहीं भी ऐसा नहीं लगना चाहिए कि पाकिस्तान की तरफ से जब देखो आतंकवादी हमला हो रहा है. हमारे फौजी कभी मारे जा रहे हैं...माहौल खराब है." 'वही हो रहा है जो पहले हो रहा था' इसके साथ ही उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री ने कहा था कि आर्टिकल 370 खत्म होने के बाद और नोटबंदी होने के बाद आतंकवाद खत्म हो जाएगा. 50 दिन मुझे दीजिए, अगर 50 दिन में इसका फायदा नहीं हुआ तो किसी चौराहे पर मुझे बुलाकर जो चाहिए वो सजा दीजिएगा. कौन सजा देगा आपको? वही हो रहा है जो पहले हो रहा था." अगर अमेरिका के बोलने पर पाकिस्तान से जंग रोकनी ही थी तो पहले ही उसकी मध्यस्थता से बात क्यों नहीं की गई? जब टॉक और टेरर एक साथ नहीं चलेगा तो आर-पार क्यों नहीं किया गया? अमेरिका का व्यापार को लेकर दबाद बनाना हमारे देश की जनता का अपमान है। सरकार को देश में नफरत के आतंक पर भी रोक… pic.twitter.com/Rk5bEdQTU6 — Abu Asim Azmi (@abuasimazmi) May 13, 2025 'क्या हमको अमेरिका गाइड करेगा' अमेरिका के राष्ट्रपति से जुड़े सवाल पर सपा विधायक ने कहा, "हम पाकिस्तान के साथ अच्छे रिश्ते रखें या नहीं रखें, लड़ाई करें या टॉक करें, ये सब क्या हमको अमेरिका गाइड करेगा? इसलिए हमारे डॉ राम मनोहर लोहिया साहब कहते थे कि भारतवर्ष, पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका ये सब का महासंघ बनाना चाहिए...हम समझते हैं कि अमेरिका या किसी और मु्ल्क की मध्यस्थता करने की जरूरत नहीं है. अभी अमेरिका दुनिया में जो चाहे कर ले. एक बार उनका फॉरेन मिनिस्टर आता है तो एक बार पाकिस्तान जाएगा और कहेगा कि पाकिस्तान से इतने जहाज खरीदे. फिर हमको उत्साहित करेंगे कि हम वो जहाज खरीदें."

सपा विधायक अबू आजमी का बड़ा बयान: 'हम पाकिस्तान से अच्छे रिश्ते रखें या नहीं रखें, ये हमको...'
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समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अबू आजमी ने हाल ही में एक विवादास्पद बयान दिया है, जो राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। उनका कहना है कि 'हम पाकिस्तान से अच्छे रिश्ते रखें या नहीं रखें, ये हमारा मुद्दा है।' यह बयान तब दिया गया जब वे एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस उनके बयान को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों और नेताओं की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
बयान का महत्व और संदर्भ
अबू आजमी ने अपने बयान में पाकिस्तानी रिश्तों पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह केवल हमारा मामला है और हमें इसे अपनी नीतियों के अनुसार ही संचालित करना चाहिए। उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में सुधार के महत्व पर भी जोर दिया, ताकि दोनों देशों के बीच शांति और सम्रृद्धि का माहौल बन सके।
इस बयान के बाद, विपक्षी दलों ने आजमी के विचारों का कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि ऐसा बयान राष्ट्रीय एकता को कमजोर कर सकता है। राजनीतिक समीक्षक भी इसे एक रणनीतिक गलती मानते हैं, जिसके परिणामस्वरूप आगे चलकर सपा को राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
समाज में प्रतिक्रिया
जहां एक तरफ सपा विधायक के इस बयान ने एक चर्चा को जन्म दिया है, वहीं सोशल मीडिया पर उनके समर्थन और विरोध में टिप्पणियाँ आनी शुरू हो गई हैं। कई लोग इस बयान को सकारात्मक मानते हैं और इसे सद्भाव की ओर एक कदम बताते हैं। जबकि दूसरे इसे आक्रामकता और राष्ट्रीयता के खिलाफ मान रहे हैं।
विशेषज्ञों की राय में, ऐसे संवेदनशील विषय पर चर्चा करते समय सतर्कता बरतनी चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि हमारी बातों का सही अर्थ निकाला जाए और इसके राजनीतिक परिणामों से बचा जा सके।
क्या यह बयान सही है?
अबू आजमी का यह बयान कई प्रश्न उठाता है - क्या हमें पाकिस्तान से अच्छे संबंध बनाने चाहिए? क्या यह राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है? इसका उत्तर समय बतायेगा। राजनीतिक गलियारों में तेज़ी से बदलती परिस्थितियों के बीच, यह आवश्यक है कि हमें अपने राष्ट्रीय हितों के सम्मान में एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
समग्रता में, अबू आजमी का बयान राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। यह आगामी चुनावों के संदर्भ में सपा की रणनीति को भी प्रभावित कर सकता है। हालांकि, यह स्पष्ट है कि संभावित परिणामों पर विचार करते समय राजनीतिक संवेदनशीलता बहुत महत्वपूर्ण है।
समापन टिप्पणी
इस बयान ने न केवल राजनीतिक संवाद को नई दिशा दी है बल्कि समस्त भारतवासियों को एक बार फिर से विचार करने का अवसर भी प्रदान किया है। आगामी समय में राजनीतिक दल इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए बाध्य होंगे।
हमारे देश में एक सशक्त राजनीति की आवश्यकता है, जो केवल अपने मतभेदों पर ध्यान न दे, बल्कि एक मजबूत और सुरक्षित भारत के निर्माण के लिए मिलकर कार्य करे।
इस विषय पर और जानकारियों के लिए, कृपया हमारी वेबसाइट पर जाएं: netaanagari.com.
लेखिका: सुषमा तिवारी, मीरा खान, टीम नेटआनागरी
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