पाकिस्तान से तनाव के बीच केंद्र का बड़ा फैसला:7 मई को मॉक ड्रिल का आदेश, आखिरी बार 1971 में भारत-पाक जंग के दौरान हुआ था

पाकिस्‍तान से तनाव के बीच केंद्र सरकार ने देश के 244 जिलों में 7 मई को मॉक ड्रिल करने के लिए कहा है। इसमें नागरिकों को हमले के दौरान खुद को बचाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। यह इसलिए किया जा रहा है ताकि युद्ध की स्थिति में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। देश में पिछली बार ऐसी मॉक ड्रिल 1971 में हुई थी। तब भारत और पाकिस्‍तान के बीच युद्ध हुआ था। यह मॉक ड्रिल युद्ध के दौरान हुई थी। हालांकि रविवार-सोमवार रात पंजाब के फिरोजपुर छावनी में ब्लैकआउट प्रैक्टिस की गई। इस दौरान गांवों और मोहल्लों में रात 9 बजे से 9:30 बजे तक बिजली बंद रही। दरअसल, 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बड़ा आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। सरकार किसी भी संभावित खतरे से पहले तैयारी करना चाहती है। मॉक ड्रिल और ब्लैकआउट एक्सरसाइज क्या है... ब्रिटेन से लेकर अमेरिका तक कर चुके हैं ऐसी मॉक ड्रिल … 1952: अमेरिका में 'डक एंड कवर' मॉक ड्रिल अमेरिका ने 14 जून 1952 को परमाणु हमले की आशंका के बीच अपना पहला देशव्यापी सिविल डिफेंस ड्रिल आयोजित किया था। इसे 'डक एंड कवर' नाम दिया गया था। इसमें स्कूलों और सार्वजनिक संस्थानों में अलर्ट सायरन बजाकर बच्चों और नागरिकों को मेज के नीचे सिर छुपाकर 'डक' करने और हथेली से सिर को 'कवर' करने का अभ्यास कराया गया था। इसका मकसद परमाणु हमले की स्थिति में खुद को बचाना था। 1942: कनाडा में 'इफ डे' ड्रिल द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान 19 फरवरी 1942 को कनाडा के शहर वमैनिटोबा में 'इफ डे' का आयोजन हुआ। इसमें एक नकली नाजी हमले का नाटक किया गया। 1980: ब्रिटेन में ‘स्क्वेयर लेग’ ड्रिल ब्रिटेन में 11 से 25 सितंबर 1980 के बीच “स्क्वेयर लेग” नाम से फील्ड एक्सरसाइज का आयोजन हुआ। इस दौरान सरकार ने सोचा कि 150 परमाणु बम दागे गए हैं और उसी हिसाब से तैयारी की। पूरे देश में एयर रेड सायरन बजाय गए, ताकि लोग खतरे से तुरंत सावधान हो सकें। सभी गैर‑जरूरी लाइटें बंद करवाई गईं (ब्लैकआउट) ताकि दुश्मन को निशाना लगाना मुश्किल हो। इस ड्रिल से ब्रिटेन को पता चला कि युद्ध की स्थिति में नागरिकों की सुरक्षा और इमरजेंसी के दौरान वे कितने तैयार हैं। पंजाब के फिरोजपुर छावनी में ब्लैकआउट मॉक ड्रिल पंजाब के सीमावर्ती इलाके फिरोजपुर छावनी में रविवार-सोमवार रात ब्लैकआउट रहा। गांवों और मोहल्लों में रात 9 बजे से 9:30 बजे तक बिजली बंद रही। लगातार 30 मिनट तक हूटर बजते रहे। प्रशासन ने पहले ही लोगों से घरों से बाहर न निकलने का अनुरोध किया था, क्योंकि यह मॉक ड्रिल थी। पूरी खबर पढ़ें ... ---------------------- ये खबर भी पढ़ें ... कहां भाग गए पहलगाम हमले के सभी आतंकी; आखिर 13 दिन बाद भी सुरक्षा बलों की पकड़ में क्यों नहीं आए 22 अप्रैल को 4 आतंकवादी पहलगाम के बायसरन घाटी में आए, सैलानियों के धर्म पूछे, ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं और गायब हो गए। पिछले 13 दिनों से भारतीय सुरक्षा बलों ने उन्हें खोजने में एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया, कुछ सुराग हाथ जरूर लगे, लेकिन आतंकी अभी तक पकड़ से दूर हैं। पूरी खबर पढ़ें...

May 6, 2025 - 00:37
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पाकिस्तान से तनाव के बीच केंद्र का बड़ा फैसला:7 मई को मॉक ड्रिल का आदेश, आखिरी बार 1971 में भारत-पाक जंग के दौरान हुआ था
पाकिस्तान से तनाव के बीच केंद्र का बड़ा फैसला:7 मई को मॉक ड्रिल का आदेश, आखिरी बार 1971 में भारत-पाक जंग के दौरान हुआ था

पाकिस्तान से तनाव के बीच केंद्र का बड़ा फैसला: 7 मई को मॉक ड्रिल का आदेश, आखिरी बार 1971 में भारत-पाक जंग के दौरान हुआ था

लेखिका: साक्षी, टीम नेतागरी

परिचय

इन दिनों भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव ने पूरे देश में चिंता का माहौल बना दिया है। इस बीच, भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 7 मई को एक मॉक ड्रिल आयोजित करने का आदेश दिया है। यह ड्रिल 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद पहली बार हो रही है। आइये इस निर्णय के पीछे की वजहों और इसके संभावित प्रभावों को समझते हैं।

मॉक ड्रिल का महत्व

केंद्र सरकार का यह कदम सुरक्षा बलों की तैयारियों को और मजबूत करने के लिए किया गया है। मॉक ड्रिल में विभिन्न सुरक्षा बलों के बीच समन्वय और प्रभावशीलता की जांच की जाएगी। यह ड्रिल संभावित संकट के समय त्वरित प्रतिक्रिया के लिए महत्वपूर्ण होगी।

पाकिस्तान के साथ तनावपूर्ण संबंध

पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव ने भारत सरकार को आगे बढ़कर कदम उठाने के लिए प्रेरित किया है। पिछले कुछ महीनों में सीमापार से कई घुसपैठ के प्रयास हुए हैं, जिससे सुरक्षा बलों में सक्रियता बढ़ गई है। यह मॉक ड्रिल विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय को बढ़ावा देने में मदद करेगी।

1971 का संदर्भ

1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना है। उस समय भारत ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए पाकिस्तान के खिलाफ संघर्ष किया था। उस युद्ध के दौरान मॉक ड्रिल करने का निर्णय लिया गया था, जिससे सुरक्षा बलों को युद्ध की स्थितियों में अपने कार्यों का परीक्षण करने का मौका मिला था। सरकार का यह ताजातरीन निर्णय उसी पूर्वजों की परंपरा को दोहराता है।

सुरक्षा तैयारियों में उन्नति

इस ड्रिल के माध्यम से, भारत सरकार ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि सुरक्षा बल हर स्थिति के लिए पूरी तरह से तैयार रहें। यह न केवल सुरक्षा बलों के लिए, बल्कि आम जनता के लिए भी सुरक्षा की भावना का संचार करेगा।

निष्कर्ष

केंद्रीय सरकार द्वारा लिया गया यह निर्णय सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मॉक ड्रिल न केवल युद्ध की चुनौतियों को समझने में मदद करेगी, बल्कि यह एक संदेश भी देगी कि भारत किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार है।

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