ऑपरेशन सिंदूर से आतंक का सफाया, नास्तिकता का प्रतीक है आतंकवाद
भारत ने ऑपरेशन सिन्दूर के तहत आतंक के गढ़ में आतंक को मार गिराया है। ऑपरेशन सिंदूर से कई आतकवादियों का सफाया हुआ है। पाक ने हिन्दुस्तानियों का सुहाग बिगाड़ा तो भारत ने आतंक का संसार ही उखाड़ दिया है। पाकिस्तान, हिन्दुस्तानियों से भविष्य में भय खाएगा और कोई भी घटना को अंजाम देने से पहले अपनी मौत को दावत देगा। पकिस्तान आतंकिस्तान है। पकिस्तान की सेना और आतंकवादी दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। ये दोनों इस युद्ध में बराबर की सहभागिता निभा रहे हैं। पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी वहां की सेना का ही एक हिस्सा है जिसे आई एस आई आदि संगठन के नाम से जाना जाता है। पाकिस्तान का नाम आतंकिस्तान होना चाहिए। अब समय आ गया है की पूरे पकिस्तान को ध्वस्त कर विश्व में अमन और चैन स्थापित किया जाए। ऑपरेशन सिंदूर में कई आतंकवादी संगठन जैसे जैश, लश्कर, के आतंकवादियों को मार गिराया गया है। इन सभी मारे गए आतंकवादियों को पकिस्तान की सेना ने गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया। इससे विश्व में सन्देश जाता है कि पाकिस्तान की पूरी सेना ही आतंकवादी की भूमिका में है। विश्व में स्थायी भविष्य की शान्ति के लिए पाकिस्तान को नेस्तानाबूत ही करना पड़ेगा। ऑपरेशन सिन्दूर कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा 22 अप्रैल 2025 को मारे गए 26 भारतीयों का बदला है । हिन्दुस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर से विश्व को आतंक के खिलाफ चेतावनी दे दी है। ऑपरेशन सिंदूर के द्वारा पाकिस्तान की लगभग सभी एयरबेस ध्वस्त हो चुकी हैं। हिन्दुस्तान आतंक की कमर तोड़ रहा है न की नागरिकों की । भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया। आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन सिन्दूर ने पाकिस्तान के होश उड़ा दिए हैं। अब कंगाली की दहलीज पर पंहुच चुके पाकिस्तान को अपने रक्षा बजट को 18 फीसदी तक बढ़ाना पड़ा है। पहले से महंगाई की मार झेल रहे पाकिस्तान को भविष्य में बर्बादी का मंजर देखना पड़ेगा। विशेषज्ञों के मुताबिक कोई बड़ी बात नहीं कि हम जल्द ही पाकिस्तान को टूटते हुए भी देखें। आतंक के आकाओं को समझ लेना चाहिए की अब उनका स्थान पृथ्वी पर न होकर जह्न्नुम है जहां उनको उनके अनुसार हूर की परियां मिलेंगी। इसे भी पढ़ें: भारत ने हमला नहीं, जवाबी कार्रवाई की हैहिन्दुस्तान की सशक्त महिलाएं विंग कमांडर व्योमिका सिंह और कर्नल सोफिया कुरैशी ने ऑपरेशन सिंदूर को सफल बनाकर नारीशक्ति की मिसाल को कायम किया है। इनके जज्बे को मेरा सलाम है। आज कुंठित देश आतंकवाद का सहारा लेता है या गलत नीतियों और सिद्धातों का सहारा लेता है। इसलिए जो देश कभी एक हुआ करते थे वो आज एक दूसरे के दुश्मन बने हुए हैं। आतंकवाद एक विशेष धर्म में ही क्यों पनपा? ये बड़ा प्रश्न है। लोग कहते हैं कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, पर मेरा मानना है की आतंकवाद है और आतंक के आकाओं का धर्म मुस्लिम है। इन्हे मुस्लिम आतंकी कहने में कोई हर्ज़ नहीं है। ये सारेआतंकी पाकिस्तान जैसे मुस्लिम देश में ही क्यों पल रहे हैं? ये आतंकी नमाज भी पढ़ते हैं, मस्जिद भी जाते हैं और मुस्लिम देश में शरण भी लेते हैं तो ये मुस्लिम ही तो हुए। इन आतंक के आकाओं की कमर तोड़ दी जाएगी और भविष्य में ये अपनी जड़ को कमजोर होते देखेंगे। विश्व के सभी मुस्लिम समुदाय के लोगों को आतंकियों को सबक सिखाना पड़ेगा वरना ये आतंकी मुस्लिम, पूरे मुस्लिम समुदाय को बर्बाद कर देंगे। ये आतंकी, मुस्लिम समुदाय के लिए दीमक का काम कर रहे हैं। यह कहने में अतिश्योक्ति नहीं होगी कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला मुस्लिम देश पाकिस्तान खुद एक दिन अपनी बर्बादी की कहानी लिखेगा। वहीँ दूसरी तरफ देखा जाए तो एक अपना हिन्दुस्तान का मुसलमान है जो राष्ट्र प्रथम और राष्ट्र सर्वोपरि की अभिधारणा पर चलता है। ये भारत के मुस्लिम क्या मुस्लिम नहीं हैं जिनमे प्रेम और सद्भाव कूट कूट के भरा है। कहने का तात्पर्य यह है की कोई देश चाहे तो वो अपने नागरिको को आतंकवादी बना दे या अपने नागरिकों को देवतुल्य बना दे। सारा खेल नागरिकता और वहां की संस्कृति का है। जिस देश की संस्कृति और सभ्यता जैसी होती है वैसे ही वहां का नागरिक भी बन जाता है। कहने का तात्पर्य धर्म से बढ़कर पहले राष्ट्र है। स्वतः के साथ प्रतिस्पर्धा स्व को निर्मित करती है, साथ ही साथ समाज और राष्ट्र को मजबूत करती है। व्यक्ति,समाज और राष्ट्र सभी की प्रतिस्पर्धा स्वयं से होनी चाहिए। प्रकृति, दूसरों से प्रतिस्पर्धा की अनुमति नहीं देती है। प्रकृति हमेशा स्व से जुड़ने की ओर प्रेरित करती है। स्व से जुड़ना ही असली प्रतिस्पर्धा है। एक सफल राष्ट्र की प्रतिस्पर्धा स्वतः से होती है। जैसे बेरोजगारी, महंगाई, खाद्यान, मेडिकल, शिक्षा आदि को लेकर प्रतिस्पर्धा। कहने का तात्पर्य एक सफल राष्ट्र की प्रतिस्पर्धा स्वयं के दृष्टिकोण से होती है जो भारत में है। युद्ध आतंक के सफाए के लिए जरुरी है। आतंक का सफाया विश्व में शांति ले कर आएगा। शांति, विकास का कारण बनती है। आतंक के खिलाफ युद्ध वैश्विक शांति का कारक है। कहने का तात्पर्य यह है कि पड़ोसी देश पाकिस्तान से जब आतंक का सफया होगा तभी शांति कायम होगी। और वही शांति पड़ोसी मुल्क से मित्रता का कारण बनेगी। आतंक के खिलाफ युद्ध आस्तिकता को प्रकट करती है। आतंकवाद नास्तिकता को प्रकट करती है। आस्तिकता स्वर्ग को प्रकट करती है। नास्तिकता नरक को प्रकट करती है। आस्तिकता स्वर्ग के द्वार को खोलती है। नास्तिकता नरक के द्वार को खोलता है। अतएव आतंकवाद किसी नरक से कम नहीं है। अतएव हम कह सकते हैं कि आतंकवाद, नास्तिकता का प्रतीक है। पाकिस्तान आतंकवाद की आड़ में अपनी विजय पताका लहराना चाहता है। जिस किसी देश ने आतंकवाद को अपने देश में दखलंदाजी करने की सह दी वह देश बर्बाद हो गया। भारत जैसा देश जो आतंकवाद के खिलाफ है वो महान है। आतंकवाद विश्व के भविष्य के लिए चेतावनी है। विश्व के सभी देशों को आतंकवाद के खिलाफ एक होकर लड़ने की जरुरत है। सभी देशों को मिलकर विश्व के स्थाई भविष्य के लिए काम करना

ऑपरेशन सिंदूर से आतंक का सफाया, नास्तिकता का प्रतीक है आतंकवाद
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भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के माध्यम से terrorismo से निबटने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह ऑपरेशन न केवल सुरक्षा बलों की क्षमता को दर्शाता है बल्कि देश की अखंडता और सुरक्षा के प्रति हमारी दृढ़ता को भी उजागर करता है।
ऑपरेशन का उद्देश्य
ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य भारत में आतंकवाद के फैलाव को खत्म करना और धार्मिक असहिष्णुता को चुनौती देना है। हाल के वर्षों में, देश में आतंकवाद ने कई निर्दोष जीवन छिने हैं, और इस ऑपरेशन के जरिए भारत सरकार ने एक सख्त संदेश भेजा है कि अब और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह नास्तिकता का प्रतीक है, जो आतंकवाद के माध्यम से धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा देता है।
ऑपरेशन सिंदूर का महत्व
ऑपरेशन सिंदूर ने ये साफ कर दिया है कि भारतीय सेना किसी भी प्रकार के विद्रोही गतिविधियों को सहन नहीं करेगी। इस ऑपरेशन की योजना उच्चतम स्तर पर बनाई गई थी, और इसके क्रियान्वयन में समर्पित सुरक्षा बलों का योगदान भी अद्वितीय रहा। उन्होंने पूरे देश में आतंकियों की घेराबंदी की और कई संदिग्ध स्थानों पर छापे मारे। इसका परिणाम यह हुआ कि आतंकवादी संगठनों की गतिविधियों को काफी हद तक कम कर दिया गया है।
समाज पर सकारात्मक प्रभाव
ऑपरेशन सिंदूर ने यह भी दिखाया है कि जब राष्ट्र एकजुट होता है, तो वह किसी भी खतरे का सामना करने में सक्षम होता है। इस तरह के ऑपरेशन ना केवल सुरक्षा को मजबूत करते हैं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव भी लाते हैं। भारत की जनता ने एकजुटता दिखाई है और आतंकवाद के खिलाफ संबोधन किया है। यह अभियान दर्शाता है कि हम नास्तिकता और आतंकवाद के किसी भी रूप को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
निष्कर्ष
ऑपरेशन सिंदूर ने हमें यह सिखाया है कि आतंकवाद केवल एक बाहरी खतरा नहीं, बल्कि यह एक नास्तिकता का प्रतीक है, जो समाज के ताने-बाने को नष्ट करती है। हमें इसे खत्म करने के लिए अपने मूल्यों और विश्वासों को प्राथमिकता देनी होगी। आखिरकार, एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण भारत की दिशा में यह एक आवश्यक कदम है।
इस संदर्भ में, भारत की जनता और सरकार को एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ कटिबद्ध रहने की आवश्यकता है। एक मजबूत, सहिष्णु और एकजुट भारत ही इस चुनौती का सही समाधान है।
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