संघ विरोधियों को नरेन्द्र मोदी का उत्तर

अपने जन्मकाल से ही अविचलित रूप से राष्ट्र सेवा करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अब अपनी शताब्दी तक पहुंच गया है। माँ भारती और हिन्दू समाज की इस अहर्निश सेवा यात्रा में संघ पर नियमित रूप से राजनैतिक हमले भी होते रहे किन्तु संघ न डरा न डिगा वरन सतत संकल्पवान होकर भारत माँ की सेवा में तत्पर रहा। संभवतः संघ का यह निष्कंप समर्पण ही उसके विरोधियों को भयग्रस्त करता है और उन्हें तर्कहीन बातें कहने को बाध्य करता है।संघ पर हमले का एक उदहारण महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी के बयान के रूप में सामने आया है। 12 मार्च 2025 को केरल के तिरुअनंतपुरम में गांधीवादी नेता पी गोपीनाथन नायर की प्रतिमा का अनावरण करते हुए तुषार गांधी ने कहा, “राष्ट्र की आत्मा कैंसर से पीड़ित है और संघ परिवार इसे फैला रहा है”। यही नहीं उन्होंने भाजपा और संघ को केरल में प्रवेश करने वाला एक कपटी शत्रु बताया। तुषार ने संघ को जहर भी कहा। इस वक्तव्य के बाद से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के कार्यकर्ता  केरल में तुषार गांधी से मांफी मांगने व उनकी गिरफ्तारी की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके प्रति उत्तर में तुषार  गांधी ने कहा कि वह अपनी बातों से पीछे हटने या उनके लिए माफी मांगने में विश्वास नहीं करते। वह संघ के प्रति नफरत से इस सीमा तक भरे हुए हैं कि कहते हैं कि अब हमारा एक साझा दुश्मन है और वह है संघ। भाजपा ने तुषार गांधी पर पलटवार करते हुए कहा कि तुषार गांधी कई वर्षां से  महात्मा गांधी के नाम को आर्थिक लाभ के लिए भुनाने का प्रयास कर रहे हैं। इसे भी पढ़ें: बेहतरी की ओर बढ़ रहे भारत-चीन संबंधआज महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी संघ को कैंसर बता रहे जबकि स्वयं महात्मा गांधी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शिविर में गये थे और अपने अनुभव साझा करते हुए लिखा था कि,“ कुछ वर्ष पहले जब संघ के संस्थापक जीवित थे आपके शिविर में गया था। वहां पर आपके अनुशासन, अस्पृश्यता का पूर्णरूप से अभाव और कठोर सादगीपूर्ण जीवन देखकर काफी प्रभावित हुआ। सेवा और स्वार्थ त्याग के उच्च आदर्श से प्रेरित कोई भी संगठन दिन प्रतिदिन अधिक शक्तिवान हुए बिना नही रहेगा।“ किन्तु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर केवल तुषार गांधी ही हमला नहीं कर रहे हैं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में पूरे इंडी गठबंधन के नेता किसी न किसी बहाने संघ पर हमलवार रहे है क्योंकि संघ निरंतर हिंदू समाज को एकरस करने के लिए कार्य कर रहा है जिससे इनकी जातिवादी- क्षेत्रवादी- भाषावादी और परिवारवादी राजनीति का भविष्य दांव पर लग गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष के पूरे प्रपंच को एक बार में ही ध्वस्त कर दिया है और पूरे विश्व को संघ शक्ति का परिचय दे दिया है। अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन को दिये एक लंबे साक्षात्कार में संघ के समर्पित स्वयंसेवक नरेन्द्र मोदी ने संघ के विरोधियों का मुंह बंद करते हुए संघ के विरुद्ध जो नफरत भरा वातावरण तैयार किया जा रहा था उसे ध्वस्त करने का सार्थक प्रयास किया है। प्रधानमंत्री मोदी का यह पॉडकास्ट पूरी दुनिया में चर्चा का केंद्र बिंदु बन चुका है। इस पॉडकास्ट को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपने निजी सोशल मीडिया अकाउंट पर भी साझा किया है जिसे करोड़ों लोग देख रहे हैं। पॉडकास्ट हिंदी तथा अंग्रेजी सहित कई प्रमुख भाषाओं में सुना जा सकता है।पॉडकास्ट में संघ से उनके संबंधों को लेकर पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में प्रधानमंत्री जी ने अपने बचपन को स्मरण करते हुए संघ के विषय में बात की। वो कैसे शाखा में गए, उन्होंने क्या देखा, किस बात ने उनको प्रभावित किया इत्यादि। इसके बाद उन्होंने कहा कि संघ एक बहुत बड़ा संगठन है। अब संघ 100 वर्ष का है। दुनिया में इतना बड़ा कोई और ,संगठन होगा मैंने नहीं सुना है। करोड़ों लोग उसके साथ जुड़े हैं। संघ को समझना इतना सरल नहीं हैं। संघ के काम को समझने का प्रयास करना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संघ व्यक्ति को “पर्पस आफ लाइफ” देता है, जीवन में एक दिशा देता है। देश ही  सबकुछ है और जनसेवा ही प्रभु सेवा है, जो हमारे ग्रंथों में कहा गया है, जो स्वामी विवेकानंद ने कहा, वही संघ कहता है।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पॉडकास्ट के उस मंच से संघ के आलोचकों को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि संघ के स्वयंसेवक जीवन के हर क्षेत्र में सेवा करते है और कर रहे हैं। कुछ स्वयंसेवकों ने सेवाभारती नामक  संगठन खड़ा किया है। यह सेवा भारती नामक संगठनके लोग गरीब बस्तिययों में जाकर सेवा करते हैं। सेवा भारती के लगभग सवा लाख सेवा प्रकल्प चल रहे हैं वह भी बिना किसी सरकारी सहायता के। उन्होंने बताया कि संघ वनवासी कल्याण आश्रम चलाता है जिसमें स्वयंसेवक जंगलों में रहकर आदिवासियों की  सेवा करते हैं । 70 हजार से भी अधिक एकल विद्यालय चल रहे हैं। अमेरिका में भी कुछ लोग हैं जो 10 से 15 डॉलर तक का दान देते हैं। एक कोकाकोला नहीं पियो और उतना पैसा एकल विद्यालय को दो। कुछ स्वयंसेवकों ने शिक्षा में क्रांति लाने के लिए विद्या भारती संगठन बनाया। जिसमें लाखों की संख्या में बालक -बालिकाएं अध्ययनरत हैं वह भी बहुत ही कम कीमत पर पढ़ाई हो रही है।विद्या भारती के विद्यालयों  में विद्यार्थी जीवन के हर क्षेत्र से जुड़े हुनर भी सीख रहे हैं । संघ का एक सबसे बड़ा संगठन भारतीय मजदूर संघ भी एक बड़ा संगठन है जिसकी 55 हजार से अधिक यूनियन व करोड़ों सदस्य हैं। मजदूर संघ की बात करते हुए प्रधानमंत्री ने वामपंथ और संघ के विचारों का अंतर भी स्पष्ट किया, उन्होंने कहा जहाँ अन्य संगठन कहते हैं, दुनिया के मजदूरों एक हो जाओ वहीँ भारतीय मजदूर संघ कहता है मजदूर दुनिया को एक करते हैं, ये सोच का अंतर है। संघ 100 वर्षों से सभी प्रकार के चकाचौंध से दूर रहकर एकसाधक की तरह समर्पित भाव से कार्य कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मात्र कुछ उदाहरणों से ही संघ विरोधियों को बेनकाब कर दिया और अब यह पूरे विश्व में चर्चा में है। तुषार गांधी जैसे ल

Mar 21, 2025 - 16:37
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संघ विरोधियों को नरेन्द्र मोदी का उत्तर
संघ विरोधियों को नरेन्द्र मोदी का उत्तर

संघ विरोधियों को नरेन्द्र मोदी का उत्तर

लेखिका: सुमन शर्मा, टीम नेता नागरी

भारतीय राजनीति में हाल के दिनों में एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन गया है - संघ विरोधियों का नरेन्द्र मोदी के प्रति बढ़ता आक्रोश। जब-जब संघ और भाजपा की नीतियों पर सवाल उठते हैं, तब प्रधानमंत्री मोदी अपने स्पष्ट और कटु उत्तरों के लिए जाने जाते हैं। इस लेख में हम संक्षेप में जानेंगे कि मोदी ने संघ विरोधियों को कैसे जवाब दिया है और इसके पीछे उनके विचार क्या हैं।

मोदी का स्पष्ट संदेश

हाल ही में एक सार्वजनिक भाषण में, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "हमारे विचारधारा को समझना और अपनाना आसान नहीं है, लेकिन हम हमेशा अपने सिद्धांतों पर खड़े रहेंगे।" इस बयान में मोदी ने संघ के समर्थकों और उसके विचारों को लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की आलोचना का सीधा जवाब दिया। उनका कहना था कि संघ केवल एक विचारधारा नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और समाज का एक अभिन्न हिस्सा है।

संघ का महत्त्व

भारतीय समाज को संघ द्वारा दिए गए योगदान को नकारा नहीं जा सकता। संघ ने सदैव एकता और अखंडता के सिद्धांतों का प्रचार किया है। मोदी ने कहा, "जो लोग संघ के बारे में नकारात्मक टिप्पणी करते हैं, उन्हें यह समझने की आवश्यकता है कि संघ ने देश के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।" उनके इस जवाब ने संघ विरोधियों को स्पष्टता दी कि संघ और भाजपा की नीति एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।

राजनीतिक परिप्रेक्ष्य

राजनीति के इस बदलते परिदृश्य में मोदी का यह उत्तर केवल एक बयान नहीं है, बल्कि भविष्य की रणनीति का संकेतक भी है। उन्होंने विपक्षी दलों को चुनौती दी है कि वे अपनी नीतियों का खुलासा करें और उनके खिलाफ मुकाबला करें। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि मोदी का यह उत्तर केवल भाषण तक सीमित न रहे, बल्कि यह भारतीय राजनीति में एक नई दिशा देने का प्रयास हो।

निष्कर्ष

संघ विरोधियों को नरेन्द्र मोदी का उत्तर यह दर्शाता है कि वह विचारधारा के प्रति कितने प्रतिबद्ध हैं। इस तरह के बयानों से यह प्रतीत होता है कि मोदी भविष्य में भी संघ के समर्थक रहेंगे और इसके सिद्धांतों को आगे बढ़ाते रहेंगे। इससे साफ है कि भाजपा और संघ की राजनीति में अब कोई बदलाव होने वाला नहीं है, बल्कि यह अधिक मजबूत स्थिति में खुद को दर्शाने का प्रयास कर रहे हैं।

इस तरह, मोदी का संदेश केवल राजनीतिक रुख का ही नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, एकता और अखंडता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है।

कम शब्दों में कहें तो, नरेन्द्र मोदी का उत्तर संघ विरोधियों के लिए एक सीधा और स्पष्ट संकेत है कि वे संघ की विचारधारा को स्वीकारने के लिए तैयार रहें।

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Narendra Modi, RSS, political response, Indian politics, cultural unity, opposition criticism, BJP ideology, public speech, ideology acceptance, political strategy

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