राष्ट्र निर्माण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अनमोल योगदान

मां भारती के सपूत स्वतंत्रता सेनानी डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने जंगें आज़ादी के दौर में विजयदशमी के पावन पर्व के दिन 27 सितंबर 1925 को महाराष्ट्र के नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना देश, संस्कृति व समाज हित के कार्यों को करने के उद्देश्य से की थी। इस संकल्प के चलते राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्थापना काल से लेकर के आज तक देश की सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय ढांचे को मजबूत करने में निरंतर लगा हुआ है। वैसे निष्पक्ष रूप से देखा जाए तो आरएसएस के द्वारा किए गए कार्यों ने करोड़ों लोगों के जीवन को बेहतर बनाते हुए गुलामी की जंजीरों को तोड़ कर के आज़ाद हुए भारत देश के निर्माण में पूरी निष्ठा व ईमानदारी से सकारात्मक योगदान देने का कार्य किया है। अपने शीर्ष नेतृत्व के सशक्त राष्ट्र, सभ्य समृद्धशाली समाज निर्माण के ओजस्वी विचारों के चलते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का राष्ट्र निर्माण व सनातन धर्म की रक्षा करने में अनमोल योगदान रहा है। जिस योगदान को हम लोग आज भी देश के विभिन्न क्षेत्रों में आसानी से देख सकते हैं। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए आरएसएस ने देश में सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न स्तरों पर दिन-रात एकजुट होकर के काम किया है।हालांकि देश की आज़ादी के संघर्ष के दौर से लेकर आज़ाद भारत तक में भी चंद राजनेताओं के क्षणिक राजनैतिक स्वार्थों को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व उसके निस्वार्थ भाव से समाज की सेवा में लगे हुए स्वयंसेवक हमेशा से ऐसे लोगों के निशाने पर रहे हैं। ऐसी स्थिति के चलते ही राष्ट्र की आज़ादी व सशक्त राष्ट्र निर्माण की यात्रा में संघ के स्वयंसेवकों के अनमोल योगदान को दशकों तक सत्ता व सिस्टम में बैठे कुछ लोगों द्वारा अनदेखा किया गया। देश के चंद राजनेताओं ने धर्म विशेष के लोगों को खुश करने के लिए और केंद्र व राज्यों की सत्ता की कुर्सी हथियाने के लिए ओछी राजनीति करते हुए देश व दुनिया में संघ को बदनाम करने के लिए दुष्प्रचार करने का कार्य तक भी किया है और यह सब आज भी उनके अनुयायियों के द्वारा जारी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में कुछ राजनेताओं के द्वारा पैदा की गयी नकारात्मक स्थिति के बाद भी संघ के द्वारा निस्वार्थ भाव से कार्य करना हमेशा जारी रखा गया है। संघ के राष्ट्र निर्माण व समाज के लिए पूरी तरह से निस्वार्थ भाव से समर्पित स्वयंसेवकों की टोली ने कभी भी इस तरह की हालात की परवाह ना करते हुए, राष्ट्र व समाज हित के लिए अपना कार्य हमेशा निस्वार्थ भाव से करना जारी रखा और कभी भी संघ के इन स्वयंसेवकों ने इन कार्यों का श्रेय लेने तक का भी प्रयास नहीं किया है।इसे भी पढ़ें: जब बाबा साहब ने किया था संघ के शिविरों का दौरा, एक घंटे तक दलितों और उनके उत्थान पर की चर्चाहालांकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सामने राजनीतिक पूर्वाग्रह से ग्रस्त सरकारों के दौर में शासन व प्रशासन के द्वारा बार-बार विकट स्थिति उत्पन्न करने के बावजूद  संघ के स्वयंसेवकों ने कभी भी हिम्मत नहीं हारी, उन्होंने कभी भी राष्ट्र व समाज की सेवा करने के कार्यों को करने से मूंह नहीं मोड़ा, विपरीत से विपरीत स्थिति के बावजूद भी स्वयंसेवक निरंतर देश व समाज के हित के कार्य करने में लगे रहे। निष्पक्ष रूप से देखा जाए तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ हुए इस भेदभाव के चलते, लोगों को जंगें आज़ादी व उसके बाद के दौर में भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निस्वार्थ भाव से देशहित में दिए गए अनमोल योगदान के बारे में कोई ज्यादा जानकारी नहीं है। उसके उल्ट राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में लोगों को ग़लत तथ्यों के आधार पर आधी-अधूरी जानकारी देकर के कुछ नेताओं व संगठनों के द्वारा संघ की छवि को बट्टा लगाते हुए अपने हितों को साधने का कार्य निरंतर किया गया है। हालांकि सोशल मीडिया के इस दौर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में लोगों के बीच में जिज्ञासा पैदा करने का काम किया और आम लोगों के बीच संघ के बारे में पैदा की गयी ग़लत धारणाओं को सच्चाई के दम पर काफी हद तक समाप्त करने का कार्य किया है। सोशल मीडिया के माध्यम से अब देश व दुनिया के आम लोगों को भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वारा किए गए समय-समय पर राष्ट्र व समाज हित के कार्यों की जानकारी आसानी से मिलने लगी है।लोगों को पता चलने लगा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने स्थापना काल के दौर से ही राष्ट्र निर्माण, एकता और सांस्कृतिक जागरण के दीप को प्रज्ज्वलित करते हुए समाज को संगठित करने और सांस्कृतिक गौरव बढ़ाने पर जोर दिया है। जंगें आज़ादी के दौर में संघ ने जहां लोगों को राष्ट्रभक्ति के भाव से ओतप्रोत करने का कार्य बखूबी किया था, वहीं आजाद भारत में संघ ने समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करने के प्रयास करते हुए एकता और आत्मविश्वास को बढ़ाने का कार्य निरंतर किया है। देश के दूरदराज इलाकों तक में भी अपनी 55000 शाखाओं व करोड़ों स्वयंसेवकों के माध्यम से पहुंच कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने देश के युवाओं के एक बहुत बड़े वर्ग को अनुशासन में रहना सिखाते हुए, उनमें नेतृत्व और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना विकसित करने का कार्य बखूबी किया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कुछ कार्यों की बानगी देखें तो जंगें आज़ादी के दौर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में योगदान देते हुए, समाज में राष्ट्रीय चेतना के भाव को जागृत करने का काम बखूबी किया था। जिसके चलते ही संघ के स्वयंसेवकों ने निस्वार्थ भाव से देश के स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलनों में हिस्सा लेने का कार्य किया। संघ ने वर्ष 1947 में देश के विभाजन के दौरान पाकिस्तान से आए हुए विस्थापितों की बढ़-चढ़कर के सहायता करते हुए, उन लोगों के जान-माल की सुरक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का कार्य किया। संघ के स्वयंसेवकों ने अपनी जान की परवाह ना करते हुए महामारी के दौर में लोगों की बढ़-चढ़कर क

Apr 21, 2025 - 12:37
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राष्ट्र निर्माण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अनमोल योगदान
राष्ट्र निर्माण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अनमोल योगदान

राष्ट्र निर्माण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अनमोल योगदान

Netaa Nagari

यह लेख भारतीय समाज के एक महत्वपूर्ण संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के अनमोल योगदान पर प्रकाश डालता है। RSS का इतिहास और इसके विचार, भारतीय समाज में राष्ट्र निर्माण के लिए किस तरह से सहायक बने हैं, इसे समझना आवश्यक है। भारत की स्वतंत्रता से लेकर आज तक, RSS ने कितने ही सामाजिक, सांस्कृतिक, और राष्ट्रीय कार्यों में भाग लिया है। इस लेख को लिखा है टीम NetaaNagari की भावना और भारतीय महिला लेखकों के योगदान से।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का परिचय

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 1925 में हुई थी। यह एक स्वयंसेवी संगठन है जिसका मुख्य उद्देश्य भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीयता का प्रचार करना है। RSS ने अपने स्थापना के समय से ही समाज में विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों के जरिए राष्ट्र की भलाई के लिए काम किया है। इसका मुख्य लक्ष्य 'एकता में अखंडता' का सिद्धांत है, जो समाज में एकता और सहयोग को बढ़ावा देता है।

सामाजिक कार्यों में योगदान

RSS ने सैकड़ों सामाजिक कार्यों में भाग लिया है, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, आपदा राहत और गरीबी उन्मूलन। इसके माध्यम से समाज के सभी तबकों के लिए सहायता दी जाती है। RSS का सेवा भाव न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर भी सराहा गया है। संगठन ने प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत कार्य में प्रमुख भूमिका निभाई है, जिससे लाखों लोगों की ज़िंदगी में सुधार आया है।

संस्कृति और परंपरा का संरक्षण

RSS का एक और महत्वपूर्ण योगदान भारतीय संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण करना है। यह संगठन सांस्कृतिक कार्यक्रमों और उत्सवों का आयोजन करके भारतीय समाज में एकता विकसित करता है। इसके माध्यम से युवाओं को अपनी सांस्कृतिक धरोहर की जानकारी मिलती है, जो हमें अपनी पहचान को मजबूत करने में सहायता करती है।

शिक्षा के क्षेत्र में भूमिका

RSS ने शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। इसके अंतर्गत कई स्कूल और महाविद्यालय खोले गए हैं, जो सस्ते और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करते हैं। इस प्रयास का उद्देश्य शिक्षार्थियों को न केवल ज्ञान, बल्कि नैतिक और सामाजिक मूल्य भी सिखाना है, जिससे वे भविष्य में देश के लिए बेहतर नागरिक बन सके।

निष्कर्ष

संक्षेप में, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भारत के राष्ट्र निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके सामाजिक, सांस्कृतिक, और शैक्षणिक कार्यों ने इस संगठन को भारतीय समाज में एक प्रमुख स्थान दिलाया है। देश के प्रति इसके योगदान को नकारा नहीं जा सकता है। RSS का यह योगदान हमें एकजुट करता है और हमें अपने देश की सेवा करने के लिए प्रेरित करता है। अपने सेवाभाव के चलते, RSS ने हमेशा समाज के कमजोर तबकों को समर्थन प्रदान किया है और इस परंपरा को आगे बढ़ा रहा है।

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Rashtriya Swayamsevak Sangh, RSS, Indian Culture, National Integration, Social Service, Education, India, Volunteer Organization, History of RSS, Nation Building

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