खुर्शीद बोले- क्या देशभक्त होना इतना मुश्किल है:लिखा- देश में लोग राजनीतिक वफादारी का आकलन कर रहे हैं

कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने सोमवार को X पोस्ट में लिखा- जब भारत आतंकवाद के खिलाफ दुनिया भर में अपना संदेश पहुंचाने के मिशन पर होता है, तो देश में लोग राजनीतिक वफादारी का आकलन कर रहे हैं। यह दुखद है। क्या देशभक्त होना इतना मुश्किल है? सलमान के बयान को उनकी पार्टी और विपक्ष के नेताओं के बयान के खिलाफ देखा जा रहा है। 1 मई को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर पर PM मोदी खुद की तारीफ करना बंद करें। उन्हें दुश्मन पर ध्यान देना चाहिए। सलमान खुर्शीद JDU सांसद झा के नेतृत्व वाले उस डेलिगेशन में शामिल हैं जो ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ भारत का रुख रखने के लिए विदेशी दौरे पर हैं। उनका डेलिगेशन अभी तक इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, जापान और सिंगापुर का दौरा कर चुका है। फिलहाल मलेशिया में है। डेलिगेशन का मलेशिया दौरा बाकी है। ये 21 मई को रवाना हुआ था। इसमें भाजपा सांसद बृज लाल, प्रदान बरुआ, हेमंग जोशी और अपराजिता सारंगी, TMC सांसद अभिषेक बनर्जी, CPIM सांसद जॉन ब्रिटास और राजदूत मोहन कुमार शामिल हैं। 1 मई: खड़गे ने कहा था- ऑपरेशन सिंदूर पर PM कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी को नसीहत दी थी। उन्होंने कहा- PM मोदी को ऑपरेशन सिंदूर को लेकर खुद की तारीफ करने की जगह दुश्मन पर फोकस करना चाहिए। उनके अलावा कोई भी ऐसा नहीं कर सकता है। वहीं, कांग्रेस ने सैन्य और विदेश नीति पर चर्चा के लिए केंद्र सरकार से संसद का तत्काल विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान के सिंगापुर में दिए इंटरव्यू के बाद यह मांग की गई। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने PTI से कहा था कि सरकार सभी दलों और राष्ट्र को विश्वास में ले। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की रक्षा तैयारियों और रणनीति पर चर्चा करे। PM या रक्षा मंत्री को सर्वदलीय बैठक में विपक्षी नेताओं को यह बताना चाहिए था कि जनरल चौहान ने सिंगापुर में क्या कहा है। पूरी खबर पढ़ें... 1 मई: खुर्शीद बोले- ऑल पार्टी डेलिगेशन विविधता के साथ-साथ एकता भी दिखाता है सलमान खुर्शीद ने 1 मई को मलेशिया के कुआलालंपुर में कहा था- भारत का ऑल पार्टी डेलिगेशन विविधता के साथ-साथ एकता भी दिखाता है, क्योंकि वे अलग-अलग दलों से होने के बावजूद आतंकवाद की निंदा करते हैं। हम जो संदेश लेकर आए हैं, वह एकता का संदेश है। हम कई पार्टियों से हैं। हम भारत के कई क्षेत्रों से हैं। हम भारत के कई धर्मों से हैं। उन्होंने कहा था कि अगर आप देखना चाहते हैं कि जब राष्ट्र और अपनी मातृभूमि की बात आती है तो आप कैसे एक साथ आते हैं और कैसे एक स्वर में बोलते हैं, यही दिखाने के लिए हम यहां आए हैं और यही वह चीज है, जिसे हम प्रतिबद्धता से और अपने दिल की गहराई से महसूस करते हैं। यही वजह है कि हम आपके सामने यह तस्वीर पेश करने के लिए यहां एक साथ आए हैं। रोजमर्रा की राजनीति से परे राष्ट्र की सेवा में एकजुट खुर्शीद ने कहा था कि भारत में होने वाली रोजमर्रा की राजनीति से परे सभी राजनेता मतभेदों से ऊपर उठकर राष्ट्र की सेवा करने के लिए एकजुट होते हैं। और कई मायनों में जब हम आप सभी को मातृभूमि से जुड़े हुए देखते हैं तो इस बारे में एक बात यह है कि हम यहां एक मुद्दे पर एकजुट हैं। उन्होंने कहा था कि भारत से जो भी समाचार आपको मिलते हैं, आप भारत में हर दिन होने वाली घटनाओं से प्राप्त करते हैं। वह भारत के रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा है, भारत के रोजमर्रा के जीवन की राजनीति है, लेकिन जब हम राष्ट्र की सेवा करने के लिए आते हैं तो हम उस राजनीति से ऊपर उठ जाते हैं। खुर्शीद ने कहा था कि जब सैनिक सीमाओं की रक्षा के लिए जाते हैं, तब भी उनकी एक ही भावना होती है- भारत माता की रक्षा करना। 30 मई: खुर्शीद ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने की तारीफ की थी इंडोनेशिया के जर्काता में खुर्शीद ने कहा था- आर्टिकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को दिए गए विशेष संवैधानिक दर्जे से क्षेत्र में अलगाव की भावना को बढ़ावा मिल रहा था, जो कि एक बड़ी समस्या थी। इसकी वजह से वहां ऐसी धारणा बन रही थी कि वह देश के बाकी हिस्सों से किसी तरह से अलग है। लेकिन आर्टिकल 370 को निरस्त कर दिया गया और बाद में इस समाप्त कर दिया गया। उन्होंने कहा था कि इसके बाद राज्य में चुनाव हुए, जिसमें 65 प्रतिशत लोगों ने हिस्सा लिया। आज कश्मीर में एक निर्वाचित सरकार है। इसलिए लोग खुश हैं और कश्मीर में जो समृद्धि आई है, उसे जारी रखना चाहते हैं। ........................... ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... शाह बोले- पहलगाम हमला हुआ तो ममता बनर्जी चुप रहीं: अब ऑपरेशन सिंदूर का विरोध कर रहीं, ताकि मुस्लिम वोट बैंक को खुश कर सकें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 1 मई को कोलकाता में कहा था कि ममता बनर्जी मुस्लिम वोट बैंक को खुश करने के लिए ऑपरेशन सिंदूर और वक्फ संशोधन कानून का विरोध कर रही हैं। ममता ऐसा करके देश की माताओं और बहनों का अपमान कर रही हैं। राज्य में 2026 के विधानसभा चुनाव में मांएं और बहनें ऑपरेशन सिंदूर की आलोचना करने के लिए CM ममता और TMC को सबक सिखाएंगी। पूरी खबर पढ़ें...

Jun 2, 2025 - 18:37
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खुर्शीद बोले- क्या देशभक्त होना इतना मुश्किल है:लिखा- देश में लोग राजनीतिक वफादारी का आकलन कर रहे हैं
खुर्शीद बोले- क्या देशभक्त होना इतना मुश्किल है:लिखा- देश में लोग राजनीतिक वफादारी का आकलन कर रहे हैं

खुर्शीद बोले- क्या देशभक्त होना इतना मुश्किल है:लिखा- देश में लोग राजनीतिक वफादारी का आकलन कर रहे हैं

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कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने हाल ही में एक पोस्ट में एक अहम सवाल उठाया है। उन्होंने कहा, "जब भारत आतंकवाद के खिलाफ दुनिया भर में अपना संदेश पहुंचाने के मिशन पर होता है, तो देश में लोग राजनीतिक वफादारी का आकलन कर रहे हैं। यह दुखद है। क्या देशभक्त होना इतना मुश्किल है?" इस बयान ने देश में राजनीतिक चर्चाओं को फिर से तेज कर दिया है।

ग्लोबल टेररिज्म के खिलाफ भारत का मिशन

खुर्शीद के इन शब्दों में देश की स्थिति की गंभीरता को बयां किया गया है। उनके मुताबिक, जब भारत आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक स्तर पर अपना रुख स्पष्ट कर रहा है, तब राजनीतिक वफादारी को लेकर हो रही बहस निराशाजनक है। यह स्थिति राजनीतिक नेताओं को एकजुट होने में अक्षम बना रही है।

खड़गे का बयान और खुर्शीद की टिप्पणियां

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पहले ही कहा था कि पीएम मोदी को ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में अपनी तारीफें बंद करनी चाहिए और दुश्मनों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यह बयान और खुर्शीद का सवाल दर्शाता है कि भाजपा और कांग्रेस के बीच की राजनीतिक लड़ाई में सबसे अधिक प्रभावित देश की सुरक्षा और राष्ट्रीय एकता है।

ऑल पार्टी डेलिगेशन का महत्व

खुर्शीद, जिन्होंने हाल ही में एक ऑल पार्टी डेलिगेशन में भाग लिया, का मानना है कि विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों का एक साथ आना एक मत की साझेदारी को दर्शाता है। वे कहते हैं, "जब मातृभूमि की रक्षा की बात आती है, तो सभी मतभेदों को भुलाकर एक होना आवश्यक है।" यह बयान उस पैमाने को दिखाता है, जो असहमति के बावजूद देश की रक्षा करने की दिशा में उठाया गया है।

मोटे तौर पर ध्यान देने योग्य बातें

भारत में राजनीतिक चर्चाएं तेजी से बढ़ रही हैं। जबकि कुछ नेता राजनीतिक वफादारी का आकलन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर दुनिया भर में भारत के आतंकवाद विरोधी मिशन को दिखाने का प्रयास जारी है। यह स्थिति सोचने वाला है, क्योंकि जब देश को एकजुटता की आवश्यकता है, तब राजनीतिक भागदौड़ इसे और जटिल बना रही है।

निष्कर्ष

खुर्शीद का सवाल "क्या देशभक्त होना इतना मुश्किल है?" निश्चित रूप से सोचने पर मजबूर करता है। जब देश की संप्रभुता और सुरक्षितता की बात आती है, तो राजनीतिक विभाजन केवल हमें कमजोर बनाते हैं। यह समय है कि सभी दल एकजुट होकर राष्ट्र की सेवा में आगे बढ़ें।

अंत में, हम सभी को यह जानकारी लेनी चाहिए कि भारत की सुरक्षा, एकता और अखंडता सबसे महत्वपूर्ण है। हमें ध्यान देना होगा कि हमें राजनीति से ऊपर उठकर एक सामूहिक भाव के साथ अपने देश की सेवा करनी चाहिए।

फिलहाल, इस मुद्दे पर और अधिक जानकारी के लिए, आप हमारी वेबसाइट पर जा सकते हैं: netaanagari.com

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