'नाबालिग लड़की के स्तनों को पकड़ना रेप या उसके प्रयास में नहीं आता', इलाहाबाद HC के इस फैसले पर SC ने लगाई रोक

नाबालिग लड़की को लेकर किए गए इलाहाबाद HC के एक फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार और केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया।

Mar 26, 2025 - 11:37
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'नाबालिग लड़की के स्तनों को पकड़ना रेप या उसके प्रयास में नहीं आता', इलाहाबाद HC के इस फैसले पर SC ने लगाई रोक
'नाबालिग लड़की के स्तनों को पकड़ना रेप या उसके प्रयास में नहीं आता', इलाहाबाद HC के इस फैसले पर SC ने लगाई रोक

नाबालिग लड़की के स्तनों को पकड़ना रेप या उसके प्रयास में नहीं आता, इलाहाबाद HC के इस फैसले पर SC ने लगाई रोक

Tagline: Netaa Nagari

Written by: आर्या शर्मा, नेहा वर्मा, टीम नेतानगरि

परिचय

हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए एक फैसले ने पूरे देश में विवाद उत्पन्न कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि नाबालिग लड़की के स्तनों को पकड़ना रेप या उसके प्रयास में नहीं आता। इस फैसले पर सर्वोच्च न्यायालय ने तत्काल रोक लगाई है। इस फैसले ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के मामले में संवेदनशीलता के मुद्दे को फिर से उजागर किया है।

इलाहाबाद HC का विवादास्पद फैसला

इलाहाबाद HC ने कहा कि नाबालिग लड़की के स्तनों को पकड़ना रेप के दायरे में नहीं आता। इस फैसले में न्यायाधीश ने तर्क दिया कि नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न के मामलों में अभियोजन पक्ष को उचित साक्ष्य प्रस्तुत करने होंगे। हालांकि, इस तर्क ने महिलाओं और बच्चों के अधिकारों के संदर्भ में काफी आपत्ति उत्पन्न की।

सर्वोच्च न्यायालय की प्रतिक्रिया

सर्वोच्च न्यायालय ने इस फैसले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि यह फैसला न केवल नाबालिगों के सम्मान को चोट पहुंचाता है, बल्कि इसे महिला अधिकारों के खिलाफ भी देखा जा सकता है। सर्वोच्च न्यायालय के इस कदम से उम्मीद है कि कानून में स्पष्टता आएगी और नाबालिगों को न्याय मिलेगा।

समाज में प्रतिक्रिया

इस फैसले के बाद से समाज में विभिन्न तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं। कई महिला अधिकार समूह, शिक्षाविद्, और नागरिक समाज के सदस्य इस फैसले की कड़ी आलोचना कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि ऐसे फैसले नाबालिगों को सुरक्षित रखने के प्रयासों को पीछे धकेलते हैं।

निष्कर्ष

यह फैसला न केवल न्यायिक प्रणाली के लिए एक परीक्षा है, बल्कि समाज के लिए भी यह चेताने वाला है कि हमें बच्चों के अधिकारों और सुरक्षा के प्रति कितना संवेदनशील होना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय का गंभीर रुख इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। हमें उम्मीद है कि आगे आने वाले समय में इस तरह के निर्णय नपा-तुला और विवेकपूर्ण होंगे।

कम शब्दों में कहें तो: इलाहाबाद HC के विवादास्पद फैसले पर SC ने रोक लगाई, जो बच्चों और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

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