दिल्ली दंगे 2020: हत्या और आपराधिक साजिश के दो मामलों में 12 आरोपी बरी, कोर्ट ने क्या कहा?

2020 Delhi Riots Cases: दिल्ली की एक अदालत ने 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के दौरान दो व्यक्तियों की हत्या के आरोपी 12 लोगों को बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड में ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे पता चल सके कि उनमें से कोई भी आरोपी भीड़ का सदस्य था. गोकलपुरी पुलिस थाने में आरोपियों के खिलाफ दर्ज दो मामलों की सुनवाई कर रहे एडिशनल सेशन जज पुलस्त्य प्रमाचला ने कहा कि इनमें से एक लोकेश कुमार सोलंकी द्वारा दो हत्याओं की बात कबूल करने के संबंध में व्हाट्सऐप पर की गई बातचीत ठोस सबूत नहीं है. आरोपपत्र के अनुसार, पीड़ितों- आमीन और भूरे अली को दंगाइयों ने मार डाला था और उनके शव को क्रमशः 25 और 26 फरवरी 2020 को नालों में फेंक दिया गया था. अदालत ने 28 मार्च को दिये दो आदेशों में कहा कि ‘व्हाट्सऐप ग्रुप’ में हुई बातचीत में, हत्याओं को कबूल करने वाले आरोपियों द्वारा संदेशों के आदान-प्रदान के बारे में अभियोजन पक्ष के साक्ष्य को ठोस या प्राथमिक साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. यह बिना सच्चाई के शेखी बघारने जैसा- कोर्ट कोर्ट ने कहा, ‘‘इस तरह की पोस्ट सिर्फ ग्रुप के दूसरे सदस्यों के बीच रौब जमाने के लिए डाली जा सकती हैं. यह बिना सच्चाई के शेखी बघारने जैसा भी हो सकता है. इसलिए, जिस बातचीत पर भरोसा किया गया है, वह इस बात को साबित करने के लिए ठोस सबूत नहीं हो सकता कि आरोपी लोकेश सोलंकी ने वास्तव में दो मुस्लिम व्यक्तियों की हत्या की थी.’’ हत्या का अपराध साबित हो गया है लेकिन डिटेल्स नहीं- कोर्ट जज ने आगे कहा कि हालांकि हत्या का अपराध साबित हो गया है, लेकिन समय और स्थान सहित उनके विवरण साबित नहीं हुए हैं. उन्होंने कहा कि साथ ही, एक और सवाल जो अनुत्तरित रह गया यह है कि क्या अपराध पांच या उससे अधिक व्यक्तियों की भीड़ द्वारा किया गया था. जज ने यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष के एक प्रमुख गवाह ने आरोपियों की पहचान नहीं की और ‘‘सामान्यीकृत बयान दिया, जो शायद सुनी-सुनाई बातों पर आधारित था.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोप कहीं से भी साबित नहीं हुए हैं. इसलिए, सभी आरोपियों, अर्थात् लोकेश कुमार सोलंकी, पंकज शर्मा, अंकित चौधरी, प्रिंस, जतिन शर्मा, हिमांशु ठाकुर, विवेक पंचाल, ऋषभ चौधरी, सुमित चौधरी, टिंकू अरोड़ा, संदीप और साहिल को सभी आरोपों से बरी किया जाता है.’’

Apr 1, 2025 - 01:37
 147  63k
दिल्ली दंगे 2020: हत्या और आपराधिक साजिश के दो मामलों में 12 आरोपी बरी, कोर्ट ने क्या कहा?
दिल्ली दंगे 2020: हत्या और आपराधिक साजिश के दो मामलों में 12 आरोपी बरी, कोर्ट ने क्या कहा?

दिल्ली दंगे 2020: हत्या और आपराधिक साजिश के दो मामलों में 12 आरोपी बरी, कोर्ट ने क्या कहा?

Netaa Nagari

साल 2020 में दिल्ली में हुई दंगों की घटनाओं के चलते जब देशभर में हलचल मच गई थी, तब हाल ही में एक महत्वपूर्ण कानूनी निर्णय सामने आया है। दिल्ली की एक अदालत ने हत्या और आपराधिक साजिश के दो मामलों में 12 आरोपियों को बरी कर दिया है। इस निर्णय ने कई सवालों को जन्म दिया है और निश्चित रूप से, यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जो समाज के विभिन्न तबकों को प्रभावित करता है।

घटनाक्रम की पृष्ठभूमि

दिल्ली के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में फरवरी 2020 में हुई दंगों की घटनाएं पूरी दुनिया में चर्चित रहीं। इन दंगों में अनेक लोग मारे गए और संपत्ति का व्यापक नुकसान हुआ। इस दौरान कई लोगों पर हत्या और सांप्रदायिक हिंसा के आरोप लगाए गए। अब, अदालत का यह नया फैसला एक नयी चर्चा का विषय बन गया है।

कोर्ट का निर्णय

दिल्ली की सेशन कोर्ट ने 12 अभियुक्तों को सबूतों के अभाव में बरी करते हुए कहा कि मामले में कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं जो आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त हों। जज ने बताया कि अभियोजन पक्ष ने उन पर लगाये गये आरोपों को सिद्ध करने में असफल रहा। इस निर्णय के बाद अब यह देखना होगा कि क्या इस मामले में उच्च अदालत में अपील की जाएगी या नहीं।

सामाजिक और कानूनी प्रतिक्रियाएं

इस फैसले के बाद क्या सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया मिलेगी, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। कुछ संगठनों ने इस निर्णय को सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने वाला बताया है, वहीं कुछ ने इसे न्याय की हत्या करार दिया है। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला न केवल आरोपियों के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए महत्वपूर्ण संदेश है।

भविष्य का संविधान

दिल्ली दंगे और उनके बाद की कानूनी कार्रवाई पर लगातार चर्चा होती रहेगी। क्या इस निर्णय से अन्य मामलों में भी ऐसे फैसले नजर आएंगे? यह देखना महत्वपूर्ण होगा। अदालत के इस फैसले के बाद, जो सदस्यों के लिए एक चेतावनी है जो आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हो सकते हैं।

निष्कर्ष

दिल्ली दंगे 2020 की जटिलता पर यह फैसला एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह समाज में किसी भी तरह की हिंसा और आपराधिक साजिशों को लेकर गंभीर सवाल उठाता है। कोर्ट ने अपने निर्णय में अनुशासन और न्याय का पालन किया है, जो कि किसी भी नागरिक का मूल अधिकार होना चाहिए।

कुल मिलाकर, दिल्ली दंगा मामले में बरी होने वाले 12 आरोपियों का फैसला आने वाले समय में कानूनी और सामाजिक दृष्टिकोण से परीक्षा का विषय बनेगा।

इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर और जानकारी के लिए netaanagari.com पर अवश्य विजिट करें।

Keywords

Delhi riots 2020, Delhi court verdict, criminal conspiracy, murder acquittal, Delhi riots news, social reactions, legal perspectives, criminal justice system, evidence in court, communal harmony

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow