टाइगर मेमन और याकूब की प्रॉपर्टी को लेकर टाडा कोर्ट का बड़ा फैसला, केंद्र को सौंपने का आदेश
1993 Mumbai Serial Blasts Case Update: 1993 के मुंबई सीरियल बम धमाकों के मामले में एक विशेष टाडा अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है. अदालत ने टाइगर मेमन, याकूब मेमन और उनके परिवार की 14 अचल संपत्तियों को केंद्र सरकार को सौंपने का आदेश दिया है. इनमें कई फ्लैट, खाली प्लॉट, ऑफिस और दुकानें शामिल हैं. इन संपत्तियों को 1994 में अटैच किया गया था. फिलहाल ये संपत्तियां बॉम्बे हाईकोर्ट के कोर्ट रिसीवर के पास हैं. टाइगर मेमन (Tiger Memon) बम धमाकों का मुख्य आरोपी है और वह अभी भी फरार है. उसके भाई याकूब मेमन (Yakub Memon) को इस मामले में दोषी पाया गया था और उसे 2015 में फांसी दी गई थी. केंद्र सरकार को कौन-कौन सी संपत्तियां सौंपी जाएंगी? जिन संपत्तियों को सरकार को सौंपा जाएगा, उनमें बांद्रा (पश्चिम) के अलमेडा पार्क में याकूब का फ्लैट, सांताक्रूज में एक खाली प्लॉट और फ्लैट, कुर्ला में दो फ्लैट, मोहम्मद अली रोड पर एक ऑफिस, डोंगरी में एक दुकान, फ्लैट और जमीन, माहिम में एक खुला प्लॉट, मनीष मार्केट में तीन दुकानें, जावेरी बाजार में एक इमारत और प्लॉट, और माहिम में एक गैरेज शामिल है. इन संपत्तियों के मालिक अब्दुल रज्जाक मेमन, इस्सा मेमन, याकूब मेमन और रुबीना मेमन हैं. 2007 में समाप्त हुए मुकदमे के पहले फेज में 100 लोगों को दोषी ठहराया गया था. याकूब मेमन समेत उनमें से बारह दोषियों को मौत की सजा दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने 11 की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था. याकूब मेमन को धमाके की साजिश और वित्तपोषण का दोषी ठहराया गया था. उसे 30 जुलाई 2015 को फांसी दी गई थी. 2017 में 6 अन्य को दोषी ठहराया गया था. उनमें से दो को मौत की सजा मिली. 12 मार्च, 1993 को मुंबई के अलग-अलग इलाकों में सीरियल बम ब्लास्ट किए गए थे, जिसमें 257 लोगों की जानें गई थीं और 700 से अधिक लोग जख्मी हुए थे. इस आतंकवादी घटना ने देश-दुनिया को हिला कर रख दिया था.

टाइगर मेमन और याकूब की प्रॉपर्टी को लेकर टाडा कोर्ट का बड़ा फैसला, केंद्र को सौंपने का आदेश
Netaa Nagari - हाल ही में टाडा कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जिसमें टाइगर मेमन और याकूब मेमन की प्रॉपर्टी को केंद्र सरकार को सौंपने का आदेश दिया गया है। यह निर्णय 1993 में हुए बम धमाकों से संबंधित मामलों में टाडा एक्ट के तहत लिया गया है। यह फैसला न केवल इस मामले से जुड़े लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पूरी न्याय व्यवस्था पर एक नई रोशनी भी डालता है।
कोर्ट का निर्णय
गुरुवार को सुनवाई के दौरान, टाडा कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि टाइगर मेमन और याकूब मेमन की सभी संपत्तियों को जब्त किया जाएगा। यह संपत्तियाँ उन सभी अभियोगों के तहत आती हैं जो 1993 के बम धमाकों से संबंधित हैं। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि इन संपत्तियों का सारा प्रबंधन केंद्र सरकार के सुपुर्द किया जाएगा। इस निर्णय के पीछे का मुख्य कारण इन संपत्तियों से आतंकवादी गतिविधियों को नियंत्रित करना है।
क्या है टाडा अधिनियम?
टाडा, यानी टेररिस्ट एंड डिजास्टर एक्ट, 1987 में भारत में आतंकवाद और देशद्रोह से निपटने के लिए लाया गया था। इस अधिनियम के तहत अपराधियों के साथ सख्त कार्रवाई के लिए अलग से प्रक्रियाएं बनाई गई हैं। यह अधिनियम आतंकवाद से संबंधित मामलों में कड़ी कार्रवाई करने की अनुमति देता है।
सरकार की भूमिका
केंद्र सरकार ने हमेशा इस तरह के मामलों में सख्त कार्रवाई की है और यह निर्णय भी इसी दिशा में एक कदम है। सरकार ने सुनिश्चित किया है कि टाडा कोर्ट के आदेश का पालन जल्द से जल्द किया जाए ताकि इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जा सकें। इसके अलावा, यह आदेश उन लोगों के लिए भी एक चेतावनी है जो आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े हैं।
संभावित प्रभाव
इस फैसले का प्रभाव न केवल उन परिवारों पर पड़ेगा जो इन संपत्तियों के मालिक थे बल्कि सामाजिक और कानूनी दृष्टिकोण से भी कई बदलाव ला सकता है। इस तरह के निर्णय देश में कानून के राज को मजबूत करने में मदद करते हैं और न्यायिक प्रक्रिया में विश्वास को बढ़ाते हैं।
निष्कर्ष
टाडा कोर्ट का यह फैसला भारत के कानूनी ढांचे में महत्वपूर्ण संकेत देता है। यह निर्णय न केवल तत्काल प्रभाव डालेगा बल्कि भविष्य में भी आतंकवादी गतिविधियों के संचालनों पर काबू पाने में सहायता करेगा। Netaa Nagari टीम, जिसमें स्नेहा, आर्या और राधिका शामिल हैं, इस फैसले पर नजर बनाए रखेगी और इस मुद्दे से जुड़ी अपडेट्स प्रदान करती रहेगी।
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