Explainer: हमास और हिजबुल्लाह को अब कौन दे रहा ताकत, क्यों इजरायल के सामने हथियार नहीं डाल रहे आतंकी संगठन
एक बार तबाह हो जाने के बाद हमास और हिजबुल्लाह अचानक फिर से कैसे ताकतवर हो गए। इजरायल के हर हमले का अब हमास और हिजबुल्लाह जवाब दे रहे हैं। वह इजरायली सेना के सामने कतई झुकने को तैयार नहीं, यह ताकत उन्हें भला कौन दे रहा?

Explainer: हमास और हिजबुल्लाह को अब कौन दे रहा ताकत, क्यों इजरायल के सामने हथियार नहीं डाल रहे आतंकी संगठन
लेखिका: सिमा वर्मा, टीम नेता नागरी
इजरायल और अरब देशों के बीच की कड़वी राजनीतिक लड़ाई के बीच, हमास और हिजबुल्लाह जैसे आतंकवादी संगठनों का ज्वलंत मुद्दा एक बार फिर से सामने आया है। ये संगठन न केवल अपनी सैन्य ताकत के लिए जाने जाते हैं, बल्कि इनके पीछे की राजनीति और समर्थन के कारण भी चर्चा में हैं। आइए जानते हैं कि कौन इन संगठनों को समर्थन दे रहा है और वो इजरायल के सामने क्यों हथियार नहीं डाल रहे हैं।
हमास और हिजबुल्लाह: एक संक्षिप्त परिचय
हमास, एक आतंकवादी संगठन है जो गज़ा पट्टी में सक्रिय है, जिसकी स्थापना 1987 में हुई थी। वहीं, हिजबुल्लाह, लेबनान का एक आतंकवादी समूह है, जिसकी स्थापना 1982 में हुई थी और यह पूरी तरह से ईरान के समर्थन पर निर्भर है।
कौन दे रहा है ताकत?
हमास और हिजबुल्लाह को ईरान का समर्थन प्राप्त है, जो इन संगठनों को आवश्यक हथियार, वित्तीय सहायता, और ट्रेनिंग प्रदान करता है। हाल के वर्षों में, ईरान ने स्पष्ट किया है कि वह अपने सहयोगियों को मजबूत बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करेगा। अमेरिका और इजरायल के दबाव के बावजूद, ईरान ने इस समर्थन को जारी रखा है।
इसके अतिरिक्त, कुछ अरब देश भी इन संगठनों को छिपे तौर पर सहायता दे रहे हैं। उदाहरण के लिए, कतर और तुर्की ने हमास को वित्तीय मदद प्रदान की है। ये देश इजरायल के खिलाफ एक एकीकृत Islamic Front बनाने के लिए हमास और हिजबुल्लाह के साथ खड़े हो रहे हैं।
क्यों हथियार नहीं डाल रहे?
हमास और हिजबुल्लाह के नेतृत्व का मानना है कि उनका अस्तित्व इजरायल के हमलों के खिलाफ लड़ने में है। वे अपने कार्यों को अधिकार की लड़ाई और जिस्म की रक्षा के रूप में देखते हैं। इसलिए, वे आत्मसमर्पण करने का विचार नहीं करते। उनकी नीति का एक और महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि वे अपने समर्थकों को दिखाना चाहते हैं कि वे कमजोर नहीं पड़े हैं।
भविष्य की संभावनाएँ
हालांकि, हमास और हिजबुल्लाह के लिए आगे के रास्ते में कई चुनौतियाँ हैं। इजरायल की सुरक्षा और सैन्य शक्ति में बढ़ोतरी के चलते, इन आतंकवादी संगठनों को अपनी रणनीति में बदलाव लाना होगा। अगर ईरान और समर्थन देने वाले देशों का सहयोग जारी रहता है, तो ये संगठन अपने अस्तित्व के लिए बड़े खतरे का सामना कर सकते हैं।
निष्कर्ष
हमास और हिजबुल्लाह इजरायल के खिलाफ अपने संघर्ष में खड़े हैं, हालांकि उनकी ताकत का आधार बाहरी समर्थन में है। ये संगठन इजरायल के सामने हथियार डालने के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि वे इसे अपनी हार मानते हैं। भविष्य में इन संगठनों की स्थिति को समझना बहुत आवश्यक है, क्योंकि इससे ना केवल मध्य पूर्व की राजनीति बल्कि पूरी दुनिया पर प्रभाव पड़ेगा।
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