'सनातन धर्म में पवित्र किताब नहीं, पवित्र लाइब्रेरी है', इंडिया टीवी सत्य सनातन कॉनक्लेव में बोले पुंडरिक गोस्वामी

पुंडरिक गोस्वामी ने कहा कि पीएम मोदी ने जो किया वह धर्म को गहराई से जानने वाला व्यक्ति ही कर सकता है। वह मोरपंख लगाकर द्वारका पहुंचे थे। उस धरती ने शायद 5000 साल बाद मोरपंख देखा होगा।

Mar 21, 2025 - 17:37
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'सनातन धर्म में पवित्र किताब नहीं, पवित्र लाइब्रेरी है', इंडिया टीवी सत्य सनातन कॉनक्लेव में बोले पुंडरिक गोस्वामी
'सनातन धर्म में पवित्र किताब नहीं, पवित्र लाइब्रेरी है', इंडिया टीवी सत्य सनातन कॉनक्लेव में बोले पुंडरिक गोस्वामी

“सनातन धर्म में पवित्र किताब नहीं, पवित्र लाइब्रेरी है”, इंडिया टीवी सत्य सनातन कॉनक्लेव में बोले पुंडरिक गोस्वामी

लेखिका: सुषमा शर्मा, टीम नेता नागरी

परिचय

इंडिया टीवी के सत्य सनातन कॉनक्लेव में पुंडरिक गोस्वामी ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने सनातन धर्म की विविधता और गहराई पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि "सनातन धर्म में पवित्र किताब नहीं, बल्कि एक पवित्र लाइब्रेरी है", इस विचार ने सभी उपस्थित लोगों का ध्यान खींचा। आइए, जानते हैं इस विचार के पीछे की परिक्रमा और इसके धार्मिक महत्व।

सनातन धर्म की विविधता

पुंडरिक गोस्वामी ने अपने वक्तव्य में बताया कि सनातन धर्म में बहुत से ग्रंथ और शिक्षाएँ मौजूद हैं, जो उसके गहरे और जटिल विचारों को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि यह केवल एक ही किताब पर निर्भर नहीं है, बल्कि यह एक विशाल पुस्तकालय की तर्ज पर है, जहां विभिन्न विचारधाराओं और मान्यताओं को समाहित किया गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि हिंदू धर्म में नित नए विचारों को स्वीकार करने और अपनाने की प्रवृत्ति है।

पवित्र लाइब्रेरी का संकेत

गोस्वामी जी ने यह भी कहा कि पवित्र लाइब्रेरी का मतलब है कि अलग-अलग अनुभवों, विचारों और आत्मिक जिज्ञासाओं का समावेश। इसमें उपनिषद्, वेद, पुराण, और अन्य ग्रंथ शामिल हैं। यहां विचारों का आदान-प्रदान अनवरत चलता रहता है, जो सनातन धर्म की लचीलापन और सूक्ष्मता को दर्शाता है।

समाज और धर्म का संबंध

गोस्वामी जी ने जोर दिया कि धर्म और समाज के बीच एक गहरा संबंध है। उनका कहना था कि जब समाज में परिवर्तन होते हैं, तो धर्म भी अपने को बदलता है और इस परिवर्तन को स्वीकृति देता है। इस तरह, सनातन धर्म हमेशा सामाजिक परिवर्तन को अपनाने में अग्रणी रहा है।

निष्कर्ष

पुंडरिक गोस्वामी का यह वक्तव्य हमें यह सिखाता है कि हमें अपने धर्म को एक निश्चित दायरे में नहीं बंधना चाहिए। हमें इसे समझने और उसके विभिन्न पक्षों को स्वीकार करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि सनातन धर्म में ज्ञान का भंडार है और यह हमेशा अपने अनुयायियों को ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। इस विचार के जरिए वे हमें याद दिलाते हैं कि सच्चा धर्म हमेशा जिज्ञासा और खोज की प्रेरणा देता है।

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