'लॉ कॉलेज नहीं… 2008 से लाइब्रेरियन की बहाली नहीं', कन्हैया कुमार ने मधुबनी में क्या-क्या बोला?
Bihar News: कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार की पदयात्रा मंगलवार (25 मार्च, 2025) को बिहार के मधुबनी पहुंची. शहर के निधि चौक से पदयात्रा की शुरुआत हुई और विभिन्न मार्गों और चौराहों से होते हुए मस्जिद चौक पर जाकर यह समाप्त हुई. पदयात्रा के बाद कन्हैया कुमार ने महंगाई, बेरोजगारी और पलायन को लेकर सरकार को जमकर घेरा. उन्होंने कहा कि यात्रा का उद्देश्य पलायन रोकने, रोजगार सहित अन्य समस्याओं को रखने का एक प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराना है. 'सरकार समस्याओं का समाधान करने में विफल' मधुबनी की मिथिला वाटिका में मीडिया से बातचीत के दौरान कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार पलायन रोकने, बेरोजगारी दूर करने और लोगों की समस्याओं का समाधान करने में विफल साबित हुई है. सरकार बनने से पहले बीजेपी ने कहा था सरकार बनने के बाद हर साल 2 करोड़ लोगों को नौकरी दी जाएगी, लेकिन लोगों को नौकरी नहीं मिली. किसानों की आमदनी भी बढ़ाने की बात कही गई थी लेकिन आमदनी तो दूर, उन्हें देशद्रोही तक कहा जाने लगा. 'महिलाओं पर अत्याचार नहीं होने की बातें झूठी' कन्हैया कुमार ने कहा कि महिलाओं पर अत्याचार नहीं होने की भी बातें झूठी साबित हुई हैं. महिलाओं पर अत्याचार करने वाले लोगों को टिकट देकर मंत्री बनाया जाता है. महंगाई बढ़ रही है. उल्टे सरकार के प्रवक्ता कह रहे हैं दरभंगा से लोग प्लेन का 10 हजार का टिकट कटा कर दिल्ली पहुंच रहे हैं. महंगाई को यह लोग उन्नति से जोड़कर देखते हैं. महंगाई के चलते कितने लोगों की पढ़ाई छूट गई, लोग दवा के लिए परेशान हैं, किसी न किसी समस्या से लोग जूझ रहे हैं. 'लॉ की पढ़ाई के लिए बाहर जाना पड़ता है' उन्होंने कहा कि लोगों को नौकरी नहीं मिल रही है, बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे हैं. पलायन रुकने का नाम नहीं ले रहा है. इतने बड़े जिले में लॉ कॉलेज भी नहीं है. छात्रों को लॉ की पढ़ाई के लिए पटना या बिहार से बाहर जाना पड़ता है. 2008 से अब तक यहां लाइब्रेरियन की बहाली भी नहीं हुई है सरकार की यह विफलता है. सरकार इसे छुपाने के लिए राजनीति कर रही है. 'जाति-धर्म के नाम पर लड़ा रही सरकार' कन्हैया कुमार ने कहा कि सरकार लोगों को जाति और धर्म के नाम पर लड़ा रही है. चीनी मिल बंद है. लोग पलायन कर रहे हैं. कोई पलायन रोकने या बेरोजगार को नौकरी देने की बात नहीं कर रहा हैं. पदयात्रा में थाली पीटने वाले लोग सेना बहाली में वंचित रहे हैं. ऐसे लोगों को सेना की परीक्षा पास करने के बावजूद बहाल नहीं किया गया. यात्रा के दौरान कन्हैया कुमार ने अंबेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण भी किया. यात्रा के दौरान भारी संख्या में लोगों की भीड़ कन्हैया कुमार को देखने उमड़ी. यह भी पढ़ें: औरंगाबाद पुलिस के हत्थे चढ़े आठ नक्सली, भारी मात्रा में अवैध आग्नेयास्त्र बरामद

‘लॉ कॉलेज नहीं… 2008 से लाइब्रेरियन की बहाली नहीं’, कन्हैया कुमार ने मधुबनी में क्या-क्या बोला?
नेटाअग्नारी प्रतिनिधि, विधि शिक्षा के क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से अटकी हुई भर्तियों को लेकर कन्हैया कुमार ने मधुबनी में एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उनके इस बयान ने न केवल स्टूडेंट्स को प्रभावित किया, बल्कि शिक्षकों और शैक्षिक संस्थानों की स्थिति को भी उजागर किया।
कन्हैया कुमार का भाषण
कन्हैया कुमार ने मधुबनी में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि "लॉ कॉलेज में पिछले 15 वर्षों से लाइब्रेरियन की कोई भर्ति नहीं हुई है।" उन्होंने प्रश्न उठाया कि ऐसी स्थिति में विद्यार्थियों को कैसे उचित शैक्षिक सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी? उनका यह बयान उन लाखों छात्रों की चिंता को दर्शाता है जो उच्च शिक्षा में गुणवत्तापूर्ण संसाधनों के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं।
शिक्षा के वर्तमान परिदृश्य पर चिंता
कन्हैया ने आगे कहा, "क्या सरकार या शैक्षणिक संस्थान यह सोच रहे हैं कि बिना लाइब्रेरियन के अध्ययन कैसे संभव है?" उन्होंने बताया कि इस स्थिति के कारण छात्रों को आवश्यक अध्ययन सामग्री के लिए दूसरे स्रोतों की ओर रुख करना पड़ रहा है।
इस संदर्भ में कन्हैया ने शिक्षा व्यवस्था सुधारने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि "हमें नए विचारों और योजनाओं की आवश्यकता है ताकि हम शिक्षा के आधुनिकीकरण के लिए काम कर सकें।" वह इस बात पर भी ध्यान आकर्षित करना चाहते थे कि कैसे राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में राज्य के युवा बेकार हो रहे हैं।
कन्हैया कुमार की अपील
कन्हैया कुमार ने उपस्थित छात्रों और शिक्षकों से अपील की कि वे एकजुट होकर इस मुद्दे को उठाएं। उन्होंने कहा, "यह एक गंभीर मामला है, और हमें मिलकर इसका समाधान खोजना होगा।" उनके इस चोटिल बयान ने छात्रों में एक नई ऊर्जा जागृत की।
समापन
कन्हैया कुमार का यह भाषण शिक्षा के मैदान में एक महत्वपूर्ण सीटी जैसा है। यह दिखाता है कि किस प्रकार की अक्षमता और लापरवाही से हमारे भविष्य के सिपाहियों की शैक्षणिक यात्रा बाधित हो रही है। उनके विचारों ने न केवल मधुबनी के छात्रों को जागरूक करने का काम किया, बल्कि समस्त देश में शिक्षा के प्रति एक नई चेतना भी जगाई है।
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