बिजली होगी सस्ती! सरकार ने FGD नियमों में दी ढील, प्रति यूनिट 25-30 पैसे तक घटेगा खर्च

बिजली की कीमतों से जूझ रहे आम लोगों के लिए राहत की खबर है। केंद्र सरकार ने कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट्स के लिए FGD (Flue Gas Desulphurisation) से जुड़े नियमों में ढील दी है, जिससे आने वाले समय में बिजली की लागत प्रति यूनिट 25 से 30 पैसे तक कम हो सकती है। क्या … The post बिजली होगी सस्ती! सरकार ने FGD नियमों में दी ढील, प्रति यूनिट 25-30 पैसे तक घटेगा खर्च appeared first on Bharat Samachar | Hindi News Channel.

Jul 14, 2025 - 00:37
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बिजली होगी सस्ती! सरकार ने FGD नियमों में दी ढील, प्रति यूनिट 25-30 पैसे तक घटेगा खर्च
बिजली होगी सस्ती! सरकार ने FGD नियमों में दी ढील, प्रति यूनिट 25-30 पैसे तक घटेगा खर्च

बिजली होगी सस्ती! सरकार ने FGD नियमों में दी ढील, प्रति यूनिट 25-30 पैसे तक घटेगा खर्च

बिजली की कीमतों से जूझ रहे आम लोगों के लिए राहत की खबर है। केंद्र सरकार ने कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट्स के लिए FGD (Flue Gas Desulphurisation) से जुड़े नियमों में ढील दी है, जिससे आने वाले समय में बिजली की लागत प्रति यूनिट 25 से 30 पैसे तक कम हो सकती है। क्या आपको पता है कि यह निर्णय किस प्रकार से आपके जीवन को प्रभावित करेगा? आइए इसके विभिन्न पहलुओं पर गहराई से नज़र डालते हैं।

क्या है FGD और ये नियम क्यों बदले गए?

FGD एक तकनीक है, जिसका उपयोग बिजली संयंत्रों से निकलने वाली गैसों से सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) को हटाने के लिए किया जाता है। साल 2015 में इसे सभी थर्मल पावर प्लांट्स के लिए अनिवार्य किया गया था। लेकिन अब सरकार ने नया आदेश जारी किया है कि FGD सिस्टम केवल उन्हीं प्लांट्स में लगाया जाएगा, जो 10 किमी के दायरे में हों और 1 मिलियन जनसंख्या वाले शहरों के पास स्थित हों। इससे 79% थर्मल पावर प्लांट्स इस नियम से छूट पाएंगे।

सरकार का तर्क क्या है?

सरकारी अधिकारियों के अनुसार, भारत में उपयोग होने वाला कोयला कम सल्फर युक्त है, और इसके कारण हवा में सल्फर डाइऑक्साइड का स्तर राष्ट्रीय मानकों से काफी नीचे है। FGD सिस्टम लगाने के कारण देश में 69 मिलियन टन CO₂ अधिक उत्सर्जित होता है। इसके अलावा, लाइमस्टोन के खनन और ट्रांसपोर्ट से पर्यावरण पर भी बोझ बढ़ता है।

सीधा फायदा: सस्ती बिजली

FGD की अनिवार्यता से बिजली उत्पादन में प्रति यूनिट 25-30 पैसे की वृद्धि हो रही थी। नए नियमों के तहत उत्पादन लागत में कमी आएगी, जिससे डिस्कॉम पर दबाव कम होगा, और आम उपभोक्ताओं को विद्युत बिल में राहत मिलेगी। यदि पुराने नियमों के तहत देशभर में FGD लगाने की बात करें, तो यह ₹2.5 लाख करोड़ खर्च करता था और हर यूनिट को 45 दिन तक बंद रखना पड़ता था, जिससे ग्रिड पर भी नकारात्मक असर पड़ता।

क्या बोले इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स?

एक वरिष्ठ पावर कंपनी अधिकारी का कहना है, “यह निर्णय विज्ञान पर आधारित और व्यावहारिक है। इससे लागत में कमी आएगी और ज़रूरत के अनुसार नियम लागू होंगे।” सरकारी अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यह ‘rollback’ नहीं बल्कि ‘recalibration’ है – यानी यह एक विज्ञान-आधारित नीति परिवर्तन है।

सुप्रीम कोर्ट में पेश होगी रिपोर्ट

यह निर्णय जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में MC मेहता बनाम भारत सरकार केस में दाखिल किया जाएगा, जहां FGD लागू करने की समयसीमा पर सुनवाई चल रही है।

सरकार ने पर्यावरण सुरक्षा और आर्थिक व्यावहारिकता के बीच संतुलन बैठाते हुए यह नई नीति लाई है। आने वाले समय में, इसका असर आपके बिजली बिल पर भी देखने को मिल सकता है। यह कदम यह दर्शाता है कि सरकार आम जनता की आवश्यकताओं को समझते हुए कार्य कर रही है।

बिजली की कीमतों में कमी से न केवल आम जनजीवन पर सकारात्मक असर पड़ेगा, बल्कि यह औद्योगिक विकास में भी सहायक साबित होगा। इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।

क्या आप जानते हैं कि इस बदलाव का कितना बड़ा असर हो सकता है? ऐसे समय में जब देश ऊर्जा की कमी से जूझ रहा है, यह निर्णय एक सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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कुल मिलाकर, यह निर्णय बिजली उपभोक्ताओं के लिए राहत का संदेश है।

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