दलित के मंदिर में पूजा करने से नाराज पुजारी के बेटों ने दलित युवक को पीटा, सपा और कांग्रेस ने उछाला मामला
डिजिटल डेस्क- श्रावण मास की शुरुआत होते ही यूपी के बाराबंकी स्थित पौराणिक लोधेश्वर महादेव मंदिर की चर्चा इस बात को लेकर हुई कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने को लेकर…

दलित के मंदिर में पूजा करने से नाराज पुजारी के बेटों ने दलित युवक को पीटा, सपा और कांग्रेस ने उछाला मामला
डिजिटल डेस्क- श्रावण मास की शुरुआत होते ही यूपी के बाराबंकी स्थित पौराणिक लोधेश्वर महादेव मंदिर की चर्चा इस बात को लेकर हुई कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने को लेकर एक दलित युवक की पिटाई की गई। इस घटना से समाज में काफी हंगामा खड़ा हो गया है। इस मामले में सपा और कांग्रेस ने भी अपना विरोध दर्ज कराया है।
घटना का background
यह घटना बाराबंकी जिले के एक छोटे से गांव में हुई, जहां एक दलित युवक ने मंदिर में शिवलिंग पर जल चढ़ाने का प्रयास किया। यह प्रयास उस समय विवाद का कारण बन गया, जब पुजारी के बेटों ने उसे रोक दिया। उनका कहना था कि मंदिर में सिर्फ जातिवादी व्यवस्था के अनुसार ही पूजा की जा सकती है। इससे नाराज होकर पुजारी के बेटों ने युवक पर हमला कर दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
जैसे ही यह मामला सुनने में आया, समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस ने इसे अपने राजनीतिक एजेंडे में शामिल कर लिया। सपा के नेताओं ने इस घटना को लेकर सरकार की आलोचना की है और दलितों के अधिकारों पर सवाल उठाए हैं। वहीं कांग्रेस ने इस तरह की घृणित घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाई है। उनके अनुसार, यह घटना समाज में बढ़ते असमानता और भेदभाव का स्पष्ट उदाहरण है।
समाज में प्रतिरोध की आवाजें
इस घटना की खबर फैलते ही स्थानीय लोगों में आक्रोश बढ़ गया। कई सामाजिक संगठनों ने न केवल घटना की निंदा की है, बल्कि वे दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। दलित समुदाय के लोग एकजुट होकर न्याय की गुहार लगा रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस प्रकार की घटनाएं अब सहन नहीं की जाएंगी।
अंत में क्या कहना है?
यह घटना एक बार फिर बताती है कि हमारे समाज में जातिवाद की जड़े कितनी गहरी हैं। हम सभी को इस पर विचार करने की आवश्यकता है कि कैसे हम एक समानता और समर्पित समाज की दिशा में बढ़ सकते हैं। सभी को अपने अधिकारों के लिए लड़ने और अपने समुदाय की आवाज उठाने की ज़रूरत है। सपा और कांग्रेस जैसे राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया से यह भी स्पष्ट होता है कि राजनीतिकरण किसी भी सामाजिक समस्या का समाधान नहीं हो सकता, बल्कि इससे समस्या बढ़ सकती है।
इस प्रकार की जटिलता और संवेदनशीलता के साथ हमें आगे बढ़ने की आवश्यकता है ताकि उदाहरण प्रस्तुत कर सकें कि हम एकजुट होकर बेहतरी की ओर कदम रख सकते हैं। हम सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति धर्म या जाति के आधार पर भेदभाव का शिकार न हो।
टीम netaanagari द्वारा लिखित
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