उच्चतम न्यायालय के CJI का बयान: "हमले की घटना अब एक भुला दिया गया अध्याय है"
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई ने एक अधिवक्ता द्वारा उन पर जूता फेंकने की कोशिश मामले में गुरुवार को चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि वह और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन छह अक्टूबर को अदालती कार्यवाही के दौरान हुई उस घटना से स्तब्ध थे लेकिन अब यह एक भुला दिया गया अध्याय है। उन्होंने एक अन्य मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा, "सोमवार को जो हुआ उससे मैं और मेरे विद्वान भाई (न्यायमूर्ति चंद्रन) बहुत स्तब्ध हैं। हमारे लिए यह एक भुला दिया गया अध्याय है।" सॉलिसिटर जनरल तुषार...

हमले की कोशिश पर बोले CJI: घटना से स्तब्ध हूँ, लेकिन अब यह एक भुला दिया गया अध्याय है
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई ने एक अधिवक्ता द्वारा उन पर जूता फेंकने की घटना पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वे और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन उस घटना से स्तब्ध थे, लेकिन अब यह एक भुला हुआ अध्याय है। यह टिप्पणी उन्होंने एक अन्य मामले की सुनवाई के दौरान की।
मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा, "सोमवार का दिन मेरे लिए और मेरे विद्वान भाई (न्यायमूर्ति चंद्रन) के लिए बहुत स्तब्ध करने वाला था। लेकिन हम इसे अब पीछे छोड़ चुके हैं। यह हमारे लिए एक भुला दिया गया अध्याय है।" सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस घटना को अक्षम्य बताते हुए मुख्य न्यायाधीश की उदारता और धैर्य की सराहना की।
न्यायालय की गरिमा और उचित कार्रवाई की आवश्यकता
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में सुनवाई में शामिल न्यायमूर्ति उज्जल भुयान ने असहमति जताते हुए कहा, "मुझे अपने विचार हैं। यह घटना मज़ाक की बात नहीं है। यह शीर्ष अदालत का अपमान था और उचित कार्रवाई की जानी चाहिए थी।" उनकी बात यह संकेत करती है कि ऐसी घटनाएँ न्यायपालिका में गंभीर रूप से विचार की जानी चाहिए।
इस संबंध में, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, जो अदालत में उपस्थित थे, ने साथी अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन से अनुरोध किया कि मामले को आगे बढ़ाया जाए और इस पर चर्चा न की जाए। फिर भी, मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "हमारे लिए यह एक भुला दिया गया अध्याय है..."
वनशक्ति मामले में सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश ने अपनी टिप्पणी उस समय की, जब उन्होंने वनशक्ति मामले में दी गई फैसले की समीक्षा और संशोधन की मांग करने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई की। इस मामले में केंद्र को पर्यावरणीय मानदंडों का उल्लंघन करने वाले परियोजनाओं को पूर्वव्यापी पर्यावरणीय मंजूरी देने से रोकने का निर्देश दिया गया था।
SC बार एसोसिएशन की कार्रवाई
उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पर हुई हमले की कोशिश के मामले में, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने अधिवक्ता राकेश किशोर की सदस्यता को तत्काल प्रभाव से रद्द करने का निर्णय लिया। एसोशिएशन ने उन्हें "गंभीर कदाचार" का दोषी पाया और उनकी सदस्यता रद्द करने का यह निर्णय लिया।
एससीबीए ने एक प्रस्ताव में बताया कि अधिवक्ता किशोर का "निंदनीय, अव्यवस्थित और असंयमित व्यवहार" न्यायिक स्वतंत्रता पर सीधे तौर पर हमला है और यह पेशेवर नैतिकता और शीर्ष अदालत की गरिमा का गंभीर उल्लंघन है।
प्रस्ताव में कहा गया, "कार्यकारी समिति का मानना है कि यह आचरण न्यायिक स्वतंत्रता, अदालती कार्यवाही की पवित्रता और बार तथा बेंच के बीच आपसी सम्मान के संबंधों पर सीधा हमला है।" अधिवक्ता किशोर ने अदालत कक्ष के भीतर मुख्य न्यायाधीश पर किसी वस्तु फेंकने का प्रयास किया था।
भविष्य का नजरिया
अब जबकि इस घटना को एक भुला हुआ अध्याय मान लिया गया है, न्यायालय और विधिक समुदाय को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। न्यायपालिका का सम्मान बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है, जिससे न्याय की प्रक्रिया में विश्वास बने रहें।
Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - Netaa Nagari
कम शब्दों में कहें तो, CJI ने जिन मुख्य बिंदुओं की तरफ इशारा किया है, वे यह हैं कि न्यायपालिका की गरिमा को बनाए रखना हर परिस्थिति में आवश्यक है और ऐसी असामान्य घटनाओं को भुलाया नहीं जा सकता। इसके बावजूद, आगे बढ़ना और न्यायिक प्रणाली की रक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है।
अधिक जानकारी के लिए, हमारे पोर्टल पर जाएं: https://netaanagari.com
सादर,
सुषमा शर्मा
Team Netaa Nagari
What's Your Reaction?






