Vishwakhabram: Bangladesh के लिए Transshipment सुविधा बंद कर PM Modi ने Muhammad Yunus की सारी हेकड़ी निकाल दी

द्विपक्षीय संबंधों में बढ़ते तनाव के बीच भारत ने अपने बंदरगाहों और हवाई अड्डों के माध्यम से पश्चिम एशिया, यूरोप और अन्य देशों को निर्यात के लिए बांग्लादेश को दी गई पारगमन (ट्रांसशिपमेंट) सुविधा वापस ले ली है जिससे मुहम्मद यूनुस की सारी हेकड़ी निकल गयी है। भारत से भिड़ने की जुर्रत कर रहे मुहम्मद यूनुस ने हाल ही में दो बड़ी गलतियां कर खुद अपने पैरों पर कितनी बड़ी कुल्हाड़ी मारी है इसका अहसास उन्हें आने वाले दिनों में हो जायेगा। अभी तो भारत ने बांग्लादेश से सिर्फ एक सुविधा वापस ली है तो उसका गला सूख गया है। यदि और भी सख्त कदम उठा लिये गये तो बांग्लादेश को घुटनों के बल पर आने में देर नहीं लगेगी।  इसे भी पढ़ें: Russia को भारत से भिड़वाना चाहता है बांग्लादेश? हिंदुस्तान ने रोका रास्ता तो पुतिन के पास क्यों गए आर्मी चीफहम आपको बता दें कि ‘ट्रांसशिपमेंट’ का मतलब एक देश से माल दूसरे देश ले जाने के लिए किसी तीसरे देश के बंदरगाह, हवाई अड्डे या परिवहन मार्ग का अस्थायी उपयोग करना होता है। भारत की ओर से यह कदम बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस द्वारा चीन में दिए गए विवादास्पद बयान के कुछ दिनों बाद उठाया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत के पूर्वोत्तर राज्य, जिनकी बांग्लादेश के साथ लगभग 1,600 किलोमीटर की सीमा लगती है, चारों ओर से जमीन से घिरे हुए हैं तथा इनके पास उनके देश के अलावा महासागर तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है। हालांकि भारत ने नेपाल और भूटान को बांग्लादेशी निर्यात से छूट दी है, क्योंकि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के प्रावधानों के तहत चारों ओर से जमीन से घिरे देशों के लिए व्यापार सुविधा अनिवार्य है। हम आपको बता दें कि भारत और बांग्लादेश ने 2020 में पारगमन व्यवस्था को लेकर एक समझौता किया था और 2022 में बांग्लादेशी निर्यात के लिए इस सुविधा को औपचारिक रूप से बढ़ा दिया गया था।अब जब बांग्लादेश से ट्रांसशिपमेंट की सुविधा छिन गयी है तो उसके कारोबारियों के होश उड़ गये हैं और वह मुहम्मद यूनुस को कोस रहे हैं। यह सुविधा बांग्लादेश के लिए कितनी लाभकारी थी इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में स्थित पेट्रापोल भूमि बंदरगाह पर भारत के रास्ते दोबारा निर्यात के लिए बांग्लादेश से भेजा जाने वाला पारगमन माल वित्त वर्ष 2023-24 और 2024-25 के दौरान 46 प्रतिशत बढ़ गया था। हालांकि, भारत सरकार की ओर से पारगमन सुविधा रद्द करने वाले फैसले के बाद बांग्लादेश का पारगमन माल से लदा कोई भी ट्रक नौ अप्रैल से पेट्रापोल सीमा से नहीं आया है। हम आपको बता दें कि नौ अप्रैल से पहले बांग्लादेश से आए लगभग 50-60 ट्रकों में से लगभग 15-20 ट्रक यूरोप और अमेरिका जैसे पश्चिमी बाजारों के लिए तैयार कपड़ों से भरे कंटेनर ले जा रहे थे। पारगमन सुविधा बंद किए जाने पर बांग्लादेश के बेनापोल में क्लियरिंग एजेंट स्टाफ एसोसिएशन के एक अधिकारी ने कहा कि वैश्विक मांग के चलते भारी तनाव से गुजर रहे परिधान उद्योग के निर्यातकों के लिए अच्छी खबर नहीं है। इसका असर सीमा व्यापार पर पड़ेगा। माना जा रहा है कि इस सुविधा की समाप्ति से बांग्लादेशी निर्यातकों विशेष रूप से यूरोप और पश्चिम एशिया के बाजारों में सामान भेजने वालों की लागतों में वृद्धि होने की संभावना है। आंकड़ों के मुताबिक बांग्लादेश की ओर से ज्यादातर रेडीमेड कपड़े स्पेन जैसे यूरोपीय बाजारों में भेजे गए, खासकर क्रिसमस से पहले। अधिकारियों ने कहा कि बांग्लादेश से ट्रक खेप लाते हैं, जिसके बाद भारतीय वाहन उन्हें कोलकाता या दिल्ली हवाई अड्डों तक पहुँचाते हैं। मगर अब यह काम रुक गया है जिससे ट्रक ऑपरेटरों और मजदूरों सहित हितधारकों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। हम आपको याद दिला दें कि भारत ने 29 जून 2020 से भारतीय भूमि सीमा शुल्क स्टेशनों के माध्यम से और बाद में भारतीय बंदरगाहों और हवाई अड्डों के माध्यम से बांग्लादेश से तीसरे देशों को भेजे जाने वाले निर्यात माल के पारगमन की अनुमति दी थी। हालांकि, इस साल आठ अप्रैल को भारत सरकार ने पारगमन सुविधा को रद्द कर दिया।वैसे भारत के इस फैसले के पीछे एक और कारण माना जा रहा है। दरअसल यूनुस और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चार अप्रैल को बैंकॉक में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की मुलाकात के बारे में बांग्लादेश की ओर से जारी बयान को लेकर भारतीय पक्ष नाखुश था। बताया जा रहा है कि यूनुस और मोदी के बीच बैठक के बारे में ढाका की ओर से जारी बयान, विशेषकर अल्पसंख्यकों पर हमलों और हसीना के प्रत्यर्पण के लिए अनुरोध से भारत नाराज था। इस मामले से जुड़े लोगों ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस और प्रधानमंत्री मोदी के बीच बैंकॉक में हुई बैठक के संबंध में बांग्लादेश की ओर से जारी बयान को ‘‘शरारतपूर्ण और राजनीति से प्रेरित’’ बताया था। हम आपको बता दें कि मुहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने एक ‘फेसबुक’ पोस्ट में कहा था कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने बैंकॉक में हुई बैठक में मोदी के समक्ष हसीना के प्रत्यर्पण के लिए बांग्लादेश के अनुरोध को उठाया और ‘‘प्रतिक्रिया नकारात्मक नहीं थी।’’ सूत्रों ने बैठक पर बांग्लादेश के आधिकारिक बयान और आलम के ‘फेसबुक’ पोस्ट को लेकर कहा था कि यूनुस और पिछली बांग्लादेश सरकार के साथ संबंधों के बारे में भारतीय प्रधानमंत्री की टिप्पणियों का वर्णन ‘‘गलत’’ था। इसे भी पढ़ें: शेख हसीना को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे यूनुस, फिर ठोक दिया केस, अबकी तो बेटी को भी लपेटाबहरहाल, देखना होगा कि पाकिस्तान और चीन के साथ संबंधों को बेहतर बनाने में जुटे मुहम्मद यूनुस की मदद के लिए अब कौन आगे आता है? यह भी देखना होगा कि वह भारत विरोध में अगला कदम क्या उठाते हैं? वैसे यह तय है कि वह जो भी कदम उठाएंगे उसका तगड़ा जवाब देने के लिए भारत तैयार है।

Apr 11, 2025 - 18:37
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Vishwakhabram: Bangladesh के लिए Transshipment सुविधा बंद कर PM Modi ने Muhammad Yunus की सारी हेकड़ी निकाल दी
Vishwakhabram: Bangladesh के लिए Transshipment सुविधा बंद कर PM Modi ने Muhammad Yunus की सारी हेकड़ी निकाल दी

Vishwakhabram: Bangladesh के लिए Transshipment सुविधा बंद कर PM Modi ने Muhammad Yunus की सारी हेकड़ी निकाल दी

Netaa Nagari - हाल ही में, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश के लिए ट्रांसशिपमेंट सुविधा को बंद करने की घोषणा की है, जिससे बांग्लादेश के प्रतिष्ठित समाज सेवी मोहम्मद युनुस की कुछ दावों पर सवाल उठने लगे हैं। यह कदम न केवल द्विपक्षीय मामलों को प्रभावित करता है, बल्कि इसकी राजनीतिक और आर्थिक पृष्ठभूमि भी महत्वपूर्ण है।

PM मोदी का साहसिक कदम

भारत ने बांग्लादेश के लिए जो ट्रांसशिपमेंट सुविधाएं प्रदान की थीं, उन्हें बंद करने का फैसला कई कारणों से लिया गया है। इस फैसले का प्रमुख कारण बांग्लादेश में हाल की घटनाएँ और मोहम्मद युनुस की विवादास्पद टिप्पणियां हैं। पीएम मोदी का यह कदम स्पष्ट करता है कि भारत अपने हितों की सुरक्षा के लिए किसी भी प्रकार की शिथिलता बर्दाश्त नहीं करेगा।

मोहम्मद युनुस का बयान और उसकी प्रतिक्रिया

युनुस, जिन्हें नोबेल पुरस्कार प्राप्ति के लिए जाना जाता है, ने कई बार भारतीय नीतियों की आलोचना की है। उनके हालिया बयानों ने भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव उत्पन्न किया है। मोदी सरकार द्वारा ट्रांसशिपमेंट सुविधा को बंद करने से यह स्पष्ट होता है कि अब भारत अपने पड़ोसियों से अपेक्षित सम्मान और सहयोग की मांग कर रहा है।

बांग्लादेश की प्रतिक्रिया

इस फैसले पर बांग्लादेश सरकार की प्रतिक्रिया देखकर यह स्पष्ट है कि यह उनके लिए एक बड़ा झटका है। बांग्लादेश ने भारत की इस कार्रवाई को निराशाजनक बताया है और कहा है कि यह दोनों देशों के बीच के संबंधों को प्रभावित कर सकता है। अब देखना होगा कि बांग्लादेश इस स्थिति का किस तरह सामना करता है।

आर्थिक एंगल

ट्रांसशिपमेंट सुविधा का बंद होना न केवल राजनीति में हलचल पैदा करेगा, बल्कि आर्थिक दृष्टिकोन से भी इसके परिणाम होंगे। बांग्लादेश का व्यापार और आर्थिक विकास इस सुविधा पर निर्भर करता था। अब भारत को भी अपने व्यापारी हितों की सुरक्षा करनी होगी।

निष्कर्ष

इस सभी घटनाक्रम के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि पीएम मोदी ने बांग्लादेश के साथ संबंधों में एक ठोस अवरोध उत्पन्न किया है। मोहम्मद युनुस की हेकड़ी निकालने के साथ-साथ भारत ने यह संकेत दिया है कि वह अपने हितों की रक्षा के लिए मजबूत कदम उठाने में सक्षम है। दोनों देशों के बीच मित्रता की आवश्यकता है, लेकिन यह तब ही संभव है जब आपसी सम्मान बना रहे।

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