Kanpur News: कानपुर में राष्ट्रीय शर्करा संस्थान ने तैयार की खास तकनीक, 25 फीसदी कम हो जाएगी पानी की बर्बादी
Kanpur News: पानी का संकट पूरी दुनिया में अलग अलग तरीकों से अपना असर दिखा रहा है, पीने का पानी दुनिया में कितना है ये भी सबको पता बावजूद इसके पानी की बर्बादी रुकने का नाम नहीं ले रही है. पानी की बर्बादी रोकने के लिए कानपुर में राष्ट्रीय शर्करा संस्थान में जीरो फ्रेश वॉटर कंजप्शन तकनीक से पानी की बर्बादी को खत्म किया जा रहा है. राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के पूर्व निदेशक प्रोफेसर नरेंद्र मोहन की निगरानी में इस तकनीक को तैयार कर चीनी मिलों में प्रयोग कराया जा रहा है. प्रोफेसर नरेन्द्र मोहन के अनुसार, गन्ने में अपना खुद का 70 प्रतिशत पानी होता है जो चीनी बनते समय पूरी तरह से बर्बाद हो जाता है लेकिन अब चीनी बनाने के दौरान गन्ने से निकलने वाले पानी को अत्याधुनिक तकनीक के माध्यम से इसी गन्ने से निकलने वाले पानी को प्रयोग कर चीनी की सफाई में प्रयोग कर काम में लिया जा सकता है. इससे चीनी बनाते समय साफ पेयजल की बर्बादी नहीं होगी, वहीं इस तकनीक को 25 प्रतिशत शुगर मिल्स में लागू कराकर काम किया जा रहा है. इससे तकरीबन 500 करोड़ लीटर पानी की बर्बादी रुक गई है. इसके साथ ही इस तकनीक को लेकर भारत भर की 75 फीसदी शुगर मिल्स में संपर्क किया जा रहा है. ... तो दो हजार करोड़ लीटर पानी बर्बाद होने से बचेगाउन्होंने बताया कि, अगर सभी शुगर मिल्स में इस तकनीक का प्रयोग किया गया तो 2000 करोड़ लीटर पानी बर्बाद होने से बचेगा और पीने योग्य साफ पानी सेफ हो जाएगा. प्रोफेसर ने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश भर में 121 चीनी मिलें हैं,वहीं देश की बात करें तो 530 शुग मिल उपस्थित है जिसमें भारी मात्रा में साफ पानी गंदगी साफ करने के लिए प्रयोग किया जाता है. अगर सभी जगह इस जीरो फ्रेश वॉटर कंजप्शन तकनीक का प्रयोग किया जाए तो बर्बाद होने वाले बड़ी मात्रा के पानी को बचाया जा सकता है. ये भी पढ़ें: सौरभ की हत्या के समय आरोपी मुस्कान साहिल के दिमाग में क्या था? डॉक्टर बोलीं- कुछ बातें कही जा सकती हैं...

Kanpur News: कानपुर में राष्ट्रीय शर्करा संस्थान ने तैयार की खास तकनीक, 25 फीसदी कम हो जाएगी पानी की बर्बादी
Netaa Nagari
लेखक: प्रियंका यादव, टीम नेता नगर
परिचय
कानपुर में राष्ट्रीय शर्करा संस्थान ने जल संरक्षण के क्षेत्र में एक नई तकनीक विकसित की है, जो पानी की बर्बादी को 25 फीसदी कम करने में सहायक होगी। यह तकनीक न केवल कृषि बल्कि उद्योगों में भी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। इस सफलता की खबर ने स्थानीय किसानों और उद्यमियों के बीच उत्साह भर दिया है।
तकनीक का विवरण
राष्ट्रीय शर्करा संस्थान की इस नई तकनीक का उद्देश्य जल का सही उपयोग करना है। शोधकर्ताओं ने एक विशेष प्रणाली तैयार की है जो पृथक जलस्त्रोतों से जल उपयोग को निगरानी और नियंत्रित करती है। इस प्रणाली के माध्यम से, जरूरत के अनुसार ही पानी का उपयोग किया जाएगा, जिससे कि बर्बादी को कम किया जा सके।
पानी की बर्बादी की समस्या
भारत में पानी की बर्बादी एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। खासकर कृषि में, जहां पर्याप्त जल का प्रबंधन नहीं होने के कारण संसाधनों की बर्बादी होती है। कानपुर जैसे शहरों में, जहां औद्योगिक गतिविधियाँ भी बहुत हैं, जल की सही तरीके से बचत करना बेहद आवश्यक हो गया है।
स्थानीय प्रतिक्रिया
स्थानीय किसानों और उद्यमियों ने इस तकनीक के प्रति उत्साह व्यक्त किया है। कई किसान इसका लाभ उठाने की योजना बना रहे हैं। शेखर गुप्ता, एक स्थानीय किसान, ने कहा, "यह तकनीक हम सभी के लिए फायदेमंद होगी। इससे न केवल हमारी फसल बेहतर होगी बल्कि जल संकट के समय हमें भी राहत मिलेगी।"
भविष्य की दिशा
इस नई तकनीक का अनुसंधान जारी है और उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में इसे और भी उन्नत किया जाएगा। जल संकट को दूर करने के लिए वैज्ञानिक इस दिशा में और प्रयास कर रहे हैं। यदि यह तकनीक सफल होती है, तो न केवल कानपुर वरन पूरे देश में पानी की उपलब्धता में सुधार हो सकता है।
निष्कर्ष
कानपुर में राष्ट्रीय शर्करा संस्थान की यह पहल निश्चित रूप से जल संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसे देखते हुए, सभी को इस नई तकनीक को अपनाना चाहिए और जल का सही उपयोग करना चाहिए। आगे बढ़ते हुए, सभी नागरिकों को जल की बर्बादी को रोकने के लिए योगदान देना चाहिए।
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