Bangladesh: मो. यूनुस का होगा तख्तापलट, शेख हसीना को फिर प्रधानमंत्री बनाने की जुगत में सेना; दावे से खलबली
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की किस्मत का ताला क्या फिर से खुलने जा रहा है, क्या शेख हसीना दोबारा बांग्लादेश की कमान संभालने जा रही हैं...सुनकर चौंकिये मत, क्योंकि यह दावा हम नहीं, बल्कि छात्रों की नवगठित एनसीपी कर रही है। एनसीपी का आरोप है कि देश की सेना हसीना को फिर पीएम बनाने के की फिराक में है।

Bangladesh: मो. यूनुस का होगा तख्तापलट, शेख हसीना को फिर प्रधानमंत्री बनाने की जुगत में सेना; दावे से खलबली
लेखिका: सुमेधा शर्मा
टीम नेता नागरी
बांग्लादेश की राजनीतिक हलचलें एक बार फिर से सियासी अटकलों का बाजार गर्म कर रही हैं। खबर है कि देश में एक बार फिर से सत्ता परिवर्तन की तैयारी चल रही है, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की वापसी की संभावना बढ़ गई है। यह जानकारी मिली है कि सेना इस खेल में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
बंगाल की बागडोर की कठिनाई
मो. यूनुस, जो कि बांग्लादेश की नई नेतृत्व प्रणाली के प्रतीक माने जा रहे हैं, को लेकर विभिन्न प्रकार की अटकलें की जा रही हैं। मौजूदा सत्तारूढ़ दल के भीतर मतभेदों के चलते, उन्हें चुनौती देने वाली कई शक्तियाँ एकत्रित हो रही हैं। ऐसी स्थिति में, कई राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि सेना इस बार निर्णायक भूमिका निभा सकती है। इस संदर्भ में, शेख हसीना की 2009 में प्रधानमंत्री के रूप में वापसी की बात भी चर्चा में है।
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
शेख हसीना का शासन पिछले वर्षों में कई विवादों का सामना कर चुका है, लेकिन उनके कुशल प्रशासन की तारीफ भी होती रही है। हाल में हुए कुछ चुनावों में उनकी पार्टी ने जीत हासिल की थी, लेकिन वर्तमान मुद्दों को देखते हुए उनकी लोकप्रियता में गिरावट आई है। यह स्थिति उनके और मो. यूनुस के बीच की दूरी को और अधिक गहरा कर सकती है।
सेना की भूमिका
एक विश्वसनीय सूत्र के अनुसार, बांग्लादेश की सेना ने इस तख्तापलट के संभावित परिदृश्य पर नज़र रखी है। अगर मो. यूनुस की सरकार को बनाए रखना कठिन हो जाता है, तो स्थिति Army के हाथों में जा सकती है। कई राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि सेना का हस्तक्षेप न केवल बांग्लादेश के भविष्य को संवार सकता है, बल्कि इसे एक स्थिर राजनीतिक दिशा भी दे सकता है।
आवश्यक कदम
इस राजनीतिक हलचल के बीच, आवश्यक है कि बांग्लादेश के नागरिक अपनी आवाज उठाएँ और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का समर्थन करें। चेहरे बदलती राजनीति से नागरिकों को एक स्थायी और पारदर्शी शासन की आवश्यकता है, जो सबकी भलाई के लिए काम कर सके।
निष्कर्ष
बांग्लादेश की राजनीति एक बार फिर से गर्म हो चुकी है, जिससे यहाँ के नागरिकों को चिंता हो सकती है। लेकिन एक चीज़ स्पष्ट है कि जिस तरह से सियासी गतिविधियाँ बढ़ रही हैं, उससे एक नया परिवर्तन संभव है। हमें यह देखना है कि मो. यूनुस और शेख हसीना के बीच की यह तिकड़म किस प्रकार परिणाम दिखाएगी।
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