मिल्कीपुर विजय से भाजपा को राहत व सपा की राह कठिन

जून 2024 के लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद सबसे अधिक चर्चा फैजाबाद संसदीय क्षेत्र में भाजपा की पराजय की हुई, जहाँ श्री रामजन्मभूमि पर दिव्य, भव्य राम मंदिर का हिन्दू समाज का 500 वर्ष पुराना सपना पूरा होने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा। फैजाबाद जीत से विपक्ष का आत्मविश्वास इतना बढ़ गया कि इसके बाद हुई अपनी गुजरात रैली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने, भाजपा के राजनीति से विश्राम ले चुके वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी जी के राम मंदिर आंदोलन को ही हरा देने का दंभ भरा। लोकसभा में सपा सांसद अवधेश  प्रसाद की तो मानो प्रदर्शनी लगा दी गई बड़बोले नेताओं ने उनको अयोध्या का रजा तक कह दिया।  फैजाबाद संसदीय सीट की हार और अवधेश प्रसाद को अयोध्या का राजा कहे जाने से सनातन समाज में दुःख, निराशा और क्षोभ था। मिल्कीपुर को सनातनी हिन्दुओं ने अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था क्योंकि सनातनधर्मी प्रभु राम को ही अयोध्या का एकमात्र राजा मानते हैं । यहां पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि जब से सपा मुखिया और कांग्रेस ने अवधेश प्रसाद को अयोध्या का राजा कहना आरम्भ किया तभी से इनकी राजनीति गड़बड़ाने लगी।अब तक प्रदेश में 11 विधानसभा उपचुनाव हो चुके हैं जिसमें भाजपा को आठ सीटों पर सफलता मिली है और प्रदेश में सपा ओैर कांग्रेस गठबंधन भी बिखर रहा है।  राजनैतिक दल के रूप में भाजपा ने मिल्कीपुर चुनाव जीतने के लिए बेहद आक्रामक रणनीति तैयार की और स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई बार मिल्कीपुर का दौरा किया। जब योगी जी मिल्कीपुर जाते थे तब सपा सांसद का बयान आता था कि योगी जी जितनी बार मिल्कीपुर आयेंगे भाजपा का वोट प्रतिशत उतना ही घटेगा और सपा का उतना ही वोट प्रतिशत बढ़ता जायेगा जबकि परिणाम उसके विपरीत आये हैं। मिल्कीपुर की जनता के बता दिया है कि अयोध्या के एकमात्र राजा प्रभु राम ही है। इसे भी पढ़ें: पर्यटकों की बढ़ती संख्या के नाते यूपी सर्वाधिक लाभान्वित राज्यमिल्कीपुर की जनता ने विपक्ष के नकारात्मक विचारों के एजेंडे को नकारते हुए विकास और सुशासन का साथ दिया। मिल्कीपर की जनता को अच्छी तरह से समझ में आ गया कि स्थानीय विकास के लिए सत्तारूढ़ भाजपा का विधायक ही आवश्यक है। मिल्कीपुर की जनता ने सपा के परिवारवाद और जातिवाद को नकार दिया है। परिणाम से यह भी साफ हो गया है कि योगी का बटेंगे तो कटेंगे का नारा जातिवाद के विरुद्व हिंदुत्व की राजनीति को ताकत दे रहा है। इस विजय से भाजपा के लिए एकजुट हिंदुत्व की राजनीति के पथ पर आगे बढ़ना आसान हो गया है।  मिल्कीपुर सीट पर भाजपा को तीसरी बार जीत मिली है ।इससे पहले 1991 और 2017 में जीत मिली और अब 2025 में चंद्रभानु पासवान ने सपा के गढ़ में भगवा परचम लहराने में सफलता हासिल की है। मिल्कीपुर सीट का गठन 1967 में हुआ था और 1969 में तत्कालीन जनसंघ हरिनाथ तिवारी विधायक चुने गये थे। इसके बाद 1974 से 1989 तक यह विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी का अभेद्य किला बन गया।1991 में राम लहर में मथुरा प्रसाद तिवारी ने भाजपा से जीत दर्ज की फिर 2012 तक यहां पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2017 में मोदी लहर में भाजपा के बाबा गोरखनाथ विजयी रहे। यह अलग बात है कि इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के अवधेश प्रसाद ने बाबा को पराजित किया। 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा ने अवधेश  प्रसाद को अपना उम्मीदवाबर बनाया था और वह जीत गये। तभी से भाजपा पर लगातार दबाव बनता जा रहा था कि किसी न सिकी प्रकार से यह सीट हर हाल में जीतकर दिखानी है और योगी जी की टीम ने यह काम कर दिखाया है।मिल्कीपुर चुनाव से पूर्व प्रयागराज महाकुम्भ- 2025 में योगी कैबिनेट ने एक साथ गंगा में पवित्र डुबकी लगाकर मीडिया जगत और जनमानस में इस बात का संदेह पूरी तरह से दूर कर दिया कि योगी कैबिनेट व भाजपा में आपस में कोई मतभेद व मनभेद है। मिल्कीपुर विधानसभा चुनाव में भाजपा भदरसा दुष्कर्म कांड के बहाने सपा पर हमलावर रही। चुनावों के बीच ही वहां पर एक बालिका के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या का एक मामला सामने आया उसके बाद विपक्षी दलों ने भाजपा को घेरने का असफल प्रयास किया। इस घटना को लेकर सभी दलों के नेताओं ने सोशल मीडिया पोस्ट करके राजनीतिक तापमान को गरमाने का असफल प्रयास किया था किंतु आरोपियों के पकड़े जाते ही यह मामला अपने आप गायब हो गया। इस प्रकरण में अवधेश प्रसाद के आंसू भी निकले और खूब निकले यहां तक की मीडिया में बार-बार दिखाया भी गया, मतदान के दिन अवधेश प्रसाद ने एक वीडियो बनवाकर चलवाया जिसमें वह हनुमान चालीसा पढ़ रहे थे, किन्तु ऐसी कोई भी ट्रिक इस चुनाव में नहीं चली। मिल्कीपुर की जनता ने इस बार लोकसभा की गलती  को ठीक करने का मन बना लिया था।मिल्कीपुर में अबकी बार संघ ने भी काम संभाला और मजबूत किलेबंदी के साथ हर बूथ पर संघ के पदाधिकारी मोर्चा पर डटे रहे। इसका असर मतदान के दिन दिखा भी। संघ ने मतदाता को मतदान केंद्र तक पहुंचाने में पर्याप्त श्रम किया। मिल्कीपुर जीत से भाजपा का विश्वास बढ़ा है, योगी जी की प्रतिष्ठा बढ़ी है और उनके नारे की लोकप्रियता भी बढ़ रही है। महाकुंभ- 2025 के समापन के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री येगी आदित्यनाथ जी का एक नया अवतार देखने को मिल सकता है। हिंदुत्व की राजनीति में काशी, मथुरा के साथ संभल का अध्याय भी जुड़ चुका है। 

Feb 12, 2025 - 14:37
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मिल्कीपुर विजय से भाजपा को राहत व सपा की राह कठिन
मिल्कीपुर विजय से भाजपा को राहत व सपा की राह कठिन

मिल्कीपुर विजय से भाजपा को राहत व सपा की राह कठिन

Netaa Nagari

इस लेख को लिखा है: सिता वर्मा, टीम नेतानागरी

परिचय

उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव ने राजनीतिक समीकरण को एक नया मोड़ दिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस चुनाव में जीत हासिल कर लोकतांत्रिक ताकत को मजबूत किया है, वहीं समाजवादी पार्टी (सपा) की राह अब और भी कठिन होती जा रही है। इस लेख में हम चुनाव के परिणाम, उनके प्रभाव और ताजा राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा करेंगे।

भाजपा की जीत: क्यों है यह महत्वपूर्ण?

मिल्कीपुर के चुनाव परिणाम भाजपा के लिए राहत लाने वाले हैं। भाजपा ने इस चुनाव में न केवल जीत हासिल की, बल्कि इसके साथ ही विकास के मुद्दे, सामाजिक समरसता और केंद्र सरकार की योजनाओं का प्रभाव भी देखा जा रहा है। यह जीत पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है कि लोग उनके कार्यों और नीतियों से संतुष्ट हैं।

सपा की चुनौतियां

वहीं दूसरी ओर, सपा के लिए यह चुनाव एक बड़ा झटका है। पार्टी ने अपनी ताकत को बनाए रखने के लिए इस चुनाव में कड़ी मेहनत की थी, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। विशेष रूप से, विपक्ष के समीकरणों में अब बड़ा बदलाव आने की संभावना है। सपा को अब अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए नए रणनीतिक कदम उठाने होंगे।

चुनाव में मुद्दे और मतदान का असर

मिल्कीपुर चुनाव में विभिन्न मुद्दे जैसे रोजगार, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवाएं प्रमुख रहे। भाजपा ने जहां इन मुद्दों पर सकारात्मक दृष्टिकोण रखा, वहीं सपा ने इन मुद्दों पर अपनी सटीक योजनाएं प्रस्तुत करने में असफल रही। ऐसे में मतदाताओं ने भाजपा को अधिक प्राथमिकता दी।

निष्कर्ष

मिल्कीपुर में भाजपा की जीत न केवल उनकी राजनीतिक स्थिरता को दर्शाती है, बल्कि सपा की मुश्किलों का भी संकेत देती है। आगामी चुनावों में सपा को अपनी रणनीतियों को बदलने और जनता के मुद्दों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। इस चुनाव ने स्पष्ट किया है कि जनता का मूड क्या है और किस दिशा में राजनीतिक सर्किट की चाल रहेगी।

इस तरह के राजनीतिक संकटों से निपटने के लिए, भाजपा को अपनी योजनाओं को और भी प्रभावी ढंग से कार्यान्वित करना होगा, जबकि सपा को अपने समर्थन आधार को पुनर्जीवित करने के लिए तत्पर रहना होगा। राष्ट्रहित में, सभी राजनीतिक दलों को अपनी भूमिका को समझते हुए आगे बढ़ना होगा।

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